साइबर ठगों की गिरफ्त में शहर

भोपाल । सुविधाजनक जीवन के हसीन सपने को पूरा करने रची गई डिजीटल दुनिया में बढ़ते अपराध किसी बुरे सपने से कम नहीं हैं। साल दर साल साइबर अपराध के…

साइबर ठगों की गिरफ्त में शहर

भोपाल । सुविधाजनक जीवन के हसीन सपने को पूरा करने रची गई डिजीटल दुनिया में बढ़ते अपराध किसी बुरे सपने से कम नहीं हैं। साल दर साल साइबर अपराध के मामलों में तेजी आ रही है और भोपाल भी इनसे अछूता नहीं है।
राजधानी को यदि साइबर ठगों की गिरफ्त में कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति न होगी। यहां सिर्फ पिछले छह महीने में 27 करोड़ रूपये से ज्यादा की ठगी हुई है। ठगी गई राशि को वापस पाने की आशा लेकर भोपाल साइबर क्राइम सेल पहुंचने वाले पीडि़तों की कतारें बताती हैं कि भोपाल किस तरह साइबर अपराध के शिकंजे में जकड़ा हुआ है। साइबर पुलिस ने इन अपराधों पर कड़े कदम उठाते हुए 70 आरोपितों को देश के अलग-अलग राज्यों से गिरफ्तार किया है।

निवेश और पेड गेम के नाम पर सबसे ज्यादा धोखाधड़ी

भोपाल साइबर क्राइम सेल के मुताबिक शहर में सबसे ज्यादा मामले शेयर मार्केट में निवेश के सामने आए हैं। साथ ही पेड गेम के नाम पर इंस्टाल किए जाने वाले एप्स के माध्यम से भी काफी राशि ठगी जा रही है। आरोपित लोगों के मोबाइल पर मैसेज भेजते हैं, जिन्हें गेम में आसान से टास्क देकर पैसे देने की बात कही जाती है। इसके बाद जब वे लिंक पर क्लिक करते हैं और वेबसाइट या एप को मोबाइल की अनुमति देते हैं। इसी के जरिए वे राशि ठग लेते हैं। वहीं साइबर ठगी का क्लासिक ओटीपी फ्राड अब भी लोगों को ठगने के लिए अपराधियों का प्रमुख अस्त्र बना हुआ है।

गृहणियां और बुजुर्ग निशाने पर

आनलाइन अपराध का यह जाल यूं तो ठग सभी पर बराबरी से फेंकते हैं, लेकिन इनमें सबसे ज्यादा शिकार हाउस वाइफ और बुजुर्ग बनते हैं। पेड गेम में टास्क करने वाले मामलों में महिलाओं की कई शिकायतें दर्ज की गई हैं। साइबर अपराध के प्रति जागरूकता की कमी के चलते बुजुर्ग भी ठगे जाते हैं। वहीं बेरोजगार युवकों की फिशिंग के लिए ठग उन्हें लुभावने जाब आफर देते हैं। जिसके लिए पहले छोटी-मोटी राशि ली जाती है और फिर वो रूपये फंसने के बाद उनसे बड़ी रकम वसूली जाती है।

बैंकिंग और टेलीकाम से जुड़ी है साइबर अपराध की कड़ी


साइबर अपराध टेलीकाम और बैंकिंग की कड़ी से जुड़ा हुआ है। ठग पहले मोबाइल को निशाना बनाते हैं और फिर बैंक से पैसे गायब करते हैं। ऐसे में जरूरी है कि अंधाधुंध बिकने वाली सिमों पर नजर रखी जाए। साथ ही बैंकिंग सिस्टम को भी अलर्ट रखना होगा, जिससे की अपराध होने से पहले पुलिस को संदेहियों की जानकारी मिल सके। इससे न अपराधों पर रोक लगेगी और अपराधी शिकंजे में कसे जाएंगे।