सरकार का पेयजल पर सबसे ज्यादा फोकस

भोपाल । मप्र में सरकार का फोकस लोगों को पेयजल मुहैया कराने पर है। इसके लिए सरकार ने सडक़, सिंचाई से अधिक पेयजल के लिए बजट मुहैया कराया है। सरकार…

सरकार का पेयजल पर सबसे ज्यादा फोकस

भोपाल । मप्र में सरकार का फोकस लोगों को पेयजल मुहैया कराने पर है। इसके लिए सरकार ने सडक़, सिंचाई से अधिक पेयजल के लिए बजट मुहैया कराया है। सरकार ने पेजयल के लिए पीएचई को खर्च के लिए 5,519 करोड़ रुपए का फंड रिलीज किया है। जबकि सडक़ों के लिए 4,422 करोड़ और सिंचाई के लिए 4,556 करोड़ की राशि जारी की है। गौरतलब है कि प्रदेश में पेयजल सबसे बड़ी समस्याओं में से एक हैं। हालांकि पीएचई विभाग में भ्रष्टाचार भी खूब होता है। इन सब के बावजुद सरकार ने पेयजल के लिए सबसे अधिक बजट दिया है।

पीएचई को खर्च के लिए 5,519 करोड़ रुपए का फंड रिलीज


प्रदेश में पेयजल कितना बड़ा मुद्दा है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जल जीवन मिशन में गड़बडिय़ों की शिकायतों के बाद भी सरकार ने पूंजीगत खर्च में सडक़ों और सिंचाई परियोजनाओं की अपेक्षा पेजयल के लिए पीएचई को खर्च के लिए 5,519 करोड़ रुपए का फंड रिलीज किया है। जबकि सडक़ों के लिए 4,422 करोड़ और सिंचाई के लिए 4,556 करोड़ की राशि जारी की है। विधानसभा के बजट सत्र के दौरान विधायकों ने जल जीवन मिशन में होने वाली गड़बडिय़ों का मुद्दा सदन में उठाया था। कई सदस्यों ने समूह जल परियोजनाओं में अनियमितताएं और भ्रष्टाचार को लेकर सवाल लगाए थे। लेकिन सदन सिर्फ 5 दिन ही चल सका। जिसके चलते पूरे प्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत कराए जा रहे पेयजल के कार्यों का पूरी तरह खुलासा नहीं हो सका। सत्र के दौरान ही सरकार ने बजट मंजूर कराया और अब पीएचई को पेयजल के लिए सबसे ज्यादा फंड भी रिलीज कर दिया।

प्रभारी के भरोसे पीएचई


सरकार ने पेयजल के लिए पीएचई को बड़ा बजट मुहैया कराया है, लेकिन विभाग प्रभारियों के भरोसे चल रहा है। विभाग में ईएनसी का पद खाली पड़ा हुआ है। अधीक्षण यंत्री को ईएनसी का प्रभार सौंप रखा है। फील्ड में चीफ इंजीनियर और अधीक्षण यंत्रियों का टोटा है। अधिकांश पदों पर प्रभारी अधिकारी नियुक्त कर रखे है। इसके बावजूद पीएचई को अगले 8 माह के लिए 5,519 करोड़ का बजट जारी किया है। पीएचई को हर माह 690 करोड़ की राशि विशेष व्यय सीमा में खर्च करनी होगी। वहीं पंचायत एवं ग्रामीण विकास को 2,217 करोड़, ऊर्जा विभाग को 2,243 करोड़, स्कूल शिक्षा को 2081 करोड़, फॉरेस्ट को 1320 करोड़, जनजातीय कार्य पर 1152 करोड़, चिकित्सा शिक्षा यानि मेडिकल कॉलेज निर्माण सहित अन्य कार्यों के लिए 1016 करोड़, स्वास्थ्य व्यवस्था पर 848 करोड़, औद्योगिक नीति एवं निवेश के लिए 576 करोड़ तथा तकनीकी शिक्षा के लिए 490 करोड़ रुपए की राशि अगले आठ माह में खर्च करने के लिए रिलीज की गई है। वित्त विभाग द्वारा निर्धारित की गई विशेष व्यय सीमा के तहत लोक निर्माण विभाग को हर माह खर्च के लिए 553 करोड़ यानि 8 माह में 4.422 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे। नर्मदा और उसकी सहायक नदियों पर बनने जा रही एक दर्जन से अधिक सिंचाई परियोजनाओं पर खर्च करने हर माह 570 करोड़ की राशि दी है। वहीं 300 से अधिक नगरीय निकायों में पेयजल, सडक़ और अधोसंरचना के कार्य कराने के लिए नगरीय प्रशासन विभाग को हर माह 466 करोड़ के हिसाब से पैसा खर्च करना होगा। वहीं जल संसाधन विभाग द्वारा निर्मित कराई जा रही सिंचाई परियोजनाओं के निर्माण पर हर माह 414 करोड़ के हिसाब से 3,311 करोड़ रुपए ही खर्च करने होंगे। वैसे तो सरकार ने 14 डिपार्टमेंट के लिए अगस्त से लेकर मार्च 2025 तक के लिए 33 हजार 482 करोड़ रुपए खर्च करने को छूट दी है।