भोपाल नगर निगम के 8 जोनल अफसरों समेत 17 लोगों पर लोकायुक्त ने केस दर्ज किया
नगर सरकार में हुए एक और भ्रष्टाचार ने पुतवाई कालिख भोपाल। भोपाल नगर निगम में मृत्यु सहायता के नाम पर अधिकारियो और कर्मचारियो द्वारा मिलीभगत कर की गई करोड़ो रुपये…
नगर सरकार में हुए एक और भ्रष्टाचार ने पुतवाई कालिख
भोपाल। भोपाल नगर निगम में मृत्यु सहायता के नाम पर अधिकारियो और कर्मचारियो द्वारा मिलीभगत कर की गई करोड़ो रुपये की हेराफेरी में जॉच के बाद लोकायुक्त ने निगम के 8 जोनल अफसरों, वार्ड प्रभारियो और दो अन्य कर्मचारियो समेत 17 लोगों के खिलाफ धारा 120 बी, 409, 420, 467, 468 एवं 471 के तहत मामला दर्ज किया है। जॉच में सामने आया है कि निगम के अफसरों ने साठगांठ कर जीवित लोगो को मरा बताकर सहायता राशि दिये जाने के नाम पर करीब दो करोड़ की गड़बड़ी की है। शिकायत की जांच में इस तरह के 123 मामले सामने आए है। लोकायुक्त द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार 19 फरवरी 2024 को मोहम्मद कमर पिता अब्दुल सबूर द्वारा नगर निगम भोपाल के अधिकारियों, कर्मचारियों के खिलाफ उसे मरा हुआ बताकर उसके नाम से नगर निगम भोपाल द्वारा 2 लाख रुपये की सहायता राशि किसी सैयद मुस्तफा अली नामक व्यक्ति के खाते में डाले जाने की लिखित शिकायत की थी। लोकायुक्त और नगर निगम भोपाल द्वारा विभागीय स्तर पर करवाई गई जांच के दौरान इस तरह के 118 संदिग्ध प्रकरणों में से केवल 23 प्रकरणों के दस्तावेज मिले बाकी के 95 मामलो का रिकॉर्ड नगर निगम मुख्यालय, जोनल ऑफिस और वार्ड दफ्तर से गायब मिला। जोनल अधिकारियों द्वारा बाकी 95 प्रकरणों में डीएससी लगाकर ईपीओ जारी किए गए हैं। वह सारे रिकार्ड सरकारी दस्तावेज है और सभी की देखभाल की पूरी जिम्मेदारी जोनल अधिकारी की थीं इस कारण दस्तावेज गायब होने पर लोकायुक्त जॉच अधिकारि निधि सिंह ने अपनी रिर्पोट में संबंधित जोनल अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही किये जाना अनुशंसित किया था।
* इन कर्मचारियो के खिलाफ दर्ज हुआ मामला
इसके बाद लोकायुक्त ने सत्यप्रकाश बड़गैंया, तत्कालीन जोनल अधिकारी, जोन 14, परितोष रंजन परसाई, तत्कालीन जोनल अधिकारी, जोन 04, अवध नारायण मकोरिया, तत्कालीन जोनल अधिकारी, जोन 11, मयंक जाट, तत्कालीन जोनल अधिकारी, जोन 19, अभिषेक श्रीवास्तव, तत्कालीन जोनल अधिकारी, जोन 9, अनिल कुमार शर्मा, तत्कालीन जोनल अधिकारी, जोन 3 सुभाष जोशी, तत्कालीन जोनल अधिकारी, जोन 20, मृणाल खरे, तत्कालीन जोनल अधिकारी, जोन 17, अनिल प्रधान, तत्कालीन वार्ड प्रभारी, वार्ड 35, चरण सिंह खंगराले, तत्कालीन वार्ड प्रभारी, वार्ड 69, शिवकुमार गोफनिया, तत्कालीन वार्ड प्रभारी, वार्ड 36, सुनील सूर्यवंशी, तत्कालीन वार्ड प्रभारी, वार्ड 77, मनोज राजे, तत्कालीन वार्ड प्रभारी, वार्ड 17, कपिल कुमार बंसल, तत्कालीन वार्ड प्रनारी, वार्ड 31 के साथ ही सुधीर शुक्ला, कम्प्यूटर ऑपरेटर, जोन 09, नवेद खान, कर्मचारी, जोन 18 और रफत अली, (29 दिवसीय कर्मचारी) वार्ड 77 के खिलाफ केस दर्ज किया है।
* लोकायुक्त को यह मिली थी गड़बड़िया
1. निगम के जोनल अधिकारियों द्वारा आवंटित जोन के अतिरिक्त अन्य जोन के हितग्राहियों का ऑनलाईन लॉगइन कर अर्थात् डीएससी से भुगतान किया गया।
2. जोनल अधिकारियों द्वारा भुगतान से पूर्व हितग्राही का आवेदन एवं उससे संबंधित अभिलेख प्राप्त कर नियमानुसार वार्ड प्रभारी से मृत्यु, हितग्राही, पता प्रमाण, बैंक से संबंधित अभिलेख का सत्यापन एवं प्रतिवेदन प्राप्त किया जाना था जो नहीं किया गया।
3. संबंधित जोनल अधिकारियों द्वारा इस संबंध में भुगतान से संबंधित निर्धारित नस्तियों का संधारण भी नहीं किया गया।
4. कई प्रकरणों में दस्तावेजों में हेरफेर कर कूटरचित दस्तावेजों का निर्माण कर भुगतान किया जाना पाया गया।
5. जोनल अधिकारियों द्वारा त्रुटिपूर्ण या गलत बैंक खातों में भुगतान किए गए।
6. जोनल अधिकारीयों द्वारा भुगतान हेतु प्रेषित प्रस्ताव भवन संनिर्माण एवं कर्मकार मंडल के कार्यालय को प्रेषित किया जाता है, उनके द्वारा भी इन प्रकरणों की किसी भी प्रकार से जांच नहीं की गई कि प्रकरण सही है अथवा नहीं।
7. उक्त अनुग्रह प्रकरणों में सत्यापन के दौरान कुछ श्रमिक जिन्हे मृत घोषित कर कूटरचित मृत्यु प्रमाण पत्रों के आधार पर फर्जी हितग्राहियों को अंत्येष्ठी एवं अनुग्रह राशि का भुगतान किया गया, जीवित पाये गये।
8. कई श्रमिक एवं हितग्राही जांच के दौरान लेख पते पर तस्दीक नहीं हुए।