जब सबसे कम हुआ था मतदान, इंदिरा गांधी को मिली बंपर जीत; वोटिंग बढ़ी तो हारी कांग्रेस…
लोकसभा चुनाव के पहले दो चरणों के मतदान के अंतिम आंकड़ों में हालांकि वोट प्रतिशत पहले से बेहतर हो चुका है और पिछले चुनाव की तुलना में यह मामूली ही…
लोकसभा चुनाव के पहले दो चरणों के मतदान के अंतिम आंकड़ों में हालांकि वोट प्रतिशत पहले से बेहतर हो चुका है और पिछले चुनाव की तुलना में यह मामूली ही कम रहा है।
मतदान के पूर्व के आंकड़े इस बात को खारिज करते हैं कि कम मतदान सत्ता पक्ष के खिलाफ है।
भारत में अब तक सबसे कम मतदान 1971 के लोकसभा चुनाव में हुआ था, लेकिन तब भी तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार भारी बहुमत से चुनाव जीतने में सफल रही थी।
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार 1971 में पांचवीं लोकसभा के लिए सबसे कम मतदान का रिकॉर्ड दर्ज है।
तब महज 55.3 फीसदी मतदान हुआ था। उस वक्त कांग्रेस की सरकार थी और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं, लेकिन जब चुनाव के नतीजे आए तो उन्होंने पहले से और बेहतर जीत दर्ज की थी।
कांग्रेस को 518 में से 352 सीटें मिली और अकेले उसने 43.68 फीसदी मत हासिल किए। दूसरे नंबर पर माकपा पांच फीसदी मतों के साथ 25, भारतीय जनसंघ सात प्रतिशत मतों के साथ 22 तथा कांग्रेस (ओ) 10 फीसदी मतों के साथ 16 सीटें ही जीत पाई। इंदिरा कांग्रेस को पिछले चुनाव के मुकाबले तीन फीसदी मत और 69 सीटों की बढ़त मिली थी।
तीसरे आम चुनाव में भी कम मतदान
1962 में तीसरे लोकसभा चुनावों में भी 55.4 फीसदी मतदान हुआ था। यह दूसरा सबसे कम कम मतदान था। तब भी सत्तारूढ़ कांग्रेस फिर से चुनाव जीतने में सफल रही थी।
मतदान बढ़ने पर कांग्रेस ने कीमत चुकाई
1977 में अचानक मतदान बढ़ा था, जो 60.5 फीसदी दर्ज किया गया। इस बढ़े मतदान की कीमत कांग्रेस को चुकानी पड़ी थी।
तब मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी ने 295 सीटें पाकर शानदार जीत दर्ज की थी। उसे 41 फीसदी मत मिले जबकि कांग्रेस महज 154 सीटें और 35 प्रतिशत मत ही हासिल कर पाई।
पिछले दो चुनाव में वोटिंग के सभी रिकॉर्ड टूटे
रिपोर्ट के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़े गए पिछले दो चुनावों में मतदान के पुराने सारे रिकॉर्ड ध्वस्त हो गए।
इन चुनावों में भाजपा ने अपने बूते क्रमशः 282 और 303 सीटें जीतीं। हालांकि रिकॉर्ड मतदान के बावजूद वह कांग्रेस की सीट जीतने के रिकॉर्ड को तोड़ नहीं पाई।
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि कम मतदान होना कोई ठोस संकेत नहीं देता है। पूर्व में यह देखा गया है कि कभी इससे सत्ता पक्ष को फायदा हुआ और कभी नुकसान भी हुआ है।
इसलिए चुनाव पर असर को लेकर कोई निर्णायक नतीजा नहीं निकाला जा सकता है।
आठवें लोकसभा चुनाव में बरसे वोट
वर्ष 2014 से पहले सर्वाधिक मतदान आठवीं लोकसभा के लिए 1984 में हुआ था। यह चुनाव तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए थे और इसमें कांग्रेस ने रिकॉर्ड 414 सीटें जीती थीं और 47 फीसदी मत उसे मिले थे।
यह सहानुभूति की लहर का स्वभाविक नतीजा माना गया।