भारत-कनाडा रिश्तों में खटास, स्ट्राइकर बख्तरबंद गाड़ियों की डील पर छाया संकट

नई दिल्ली। भारत-कनाडा के रिश्तों में आई खटास के कारण भारतीय सेना का स्ट्राइकर आर्मर्ड गाड़ियां खरीदने की योजना अब खटाई में पड़ती दिख रही है। ये गाड़ियां कनाडा बनाता…

भारत-कनाडा रिश्तों में खटास, स्ट्राइकर बख्तरबंद गाड़ियों की डील पर छाया संकट

नई दिल्ली। भारत-कनाडा के रिश्तों में आई खटास के कारण भारतीय सेना का स्ट्राइकर आर्मर्ड गाड़ियां खरीदने की योजना अब खटाई में पड़ती दिख रही है। ये गाड़ियां कनाडा बनाता हैं। भारत और अमेरिका मिलकर मिलिट्री सामान बनाने की बात कर रहे थे, जिसमें ये स्ट्राइकर गाड़ियां भी शामिल थीं। जून में एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा था कि अमेरिका जल्द ही भारतीय सेना को स्ट्राइकर गाड़ियों की ताकत दिखाएगा, लेकिन कनाडा से रिश्ते बिगड़ने के बाद अब इस डील पर संकट के बादल छा गए हैं।
सूत्रों का कहना है कि अब इस मामले में आगे कोई बात नहीं हुई है और न ही गाड़ियां खरीदने को लेकर कोई फैसला। पिछले एक साल से कनाडा की इन गाड़ियों को भारत को बेचने की पुरजोर कोशिशें हो रही थीं। इस प्रोजेक्ट को आत्मनिर्भर भारत पहल का हिस्सा माना जा रहा था। प्लान के मुताबिक पहले तो कनाडा से कुछ गाड़ियां खरीदी जानी थी और बाद में कनाडा की कंपनी के साथ मिलकर भारत में ही इनका निर्माण किया जाना था लेकिन भारत की अपनी रक्षा कंपनियों को यह बात रास नहीं आ रही थी। उनका कहना था कि उन्होंने इसी तरह की गाड़ियां बनाने में अपनी पूंजी और मेहनत लगाई है और अब विदेशी कंपनी को मौका देना सही नहीं होगा। भारतीय कंपनियों ने सरकार से अपनी बात रखी है। उन्होंने कहा है कि हमारे पास ऐसी गाड़ियां बनाने की पूरी तकनीक और क्षमता है, तो फिर स्ट्राइकर गाड़ियों के लिए कनाडा के साथ समझौता करने का क्या मतलब?
भारत में आर्मर्ड गाड़ी व्हील्ड आर्मर्ड प्लैटफॉर्म है, जिसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड ने मिलकर बनाया है। कुछ व्हाप गाड़ियां पहले ही सेना इस्तेमाल कर रही है। इतना ही नहीं, मोरक्को ने भी भारत से ये गाड़ियां खरीदने का फैसला किया है। व्हाप गाड़ियां भारत की मेक इन इंडिया क्षमता का एक बेहतरीन उदाहरण है। आठ पहियों वाली यह गाड़ी हर तरह के मौसम और रास्ते पर चल सकती है। कुल मिलाकर, कनाडा से रिश्ते खराब होने के बाद अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत सरकार स्ट्राइकर गाड़ियों के मामले में क्या फैसला लेती है। क्या वह अपनी रक्षा कंपनियों का साथ देगी या फिर विदेशी कंपनी के साथ समझौता करेगी?