ईरान का प्रमुख कमांडर या इजरायल का जासूस? इस्माइल कानी की पहचान को लेकर रहस्य बना हुआ है…
लेबनान में पेजर और वॉकी-टॉकी ब्लास्ट और हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की मौत के बाद ईरान फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है। एहतियातन ईरान अब अपने ही टॉप कमांडरों पर…
लेबनान में पेजर और वॉकी-टॉकी ब्लास्ट और हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की मौत के बाद ईरान फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है।
एहतियातन ईरान अब अपने ही टॉप कमांडरों पर नजर रख रहा है।
हाल के दिनों में ईरान के कुद्स फोर्स का प्रमुख इस्माइल कानी खबरों में है। दावा किया जा रहा है कि कानी का जासूस इजरायल है।
अब उसके लापता होने की खबरें चर्चा का विषय बन गई हैं। कानी को पिछले कुछ हफ्तों से सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया।
उसे पिछले महीने इजरायल के बड़े हवाई हमले के दो दिन बाद लेबनान में देखा गया था। इस हमले में हिजबुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह सहित कई शीर्ष कमांडरों की हत्या कर दी गई थी।
शुरुआत में यह कहा गया था कि कानी इस हमले में मारे गया है लेकिन अब कई अरब और क्षेत्रीय मीडिया में दावे किए जा रहे हैं कि वह जीवित है।
अब ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) द्वारा इजरायली खुफिया एजेंटों के साथ संबंध रखने के आरोप में कानी से पूछताछ की जा रही है।
अल-अरबिया समाचार साइट के अनुसार कानी को नजरबंद किया गया है। वहीं एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि वह सुरक्षित है लेकिन ईरानी अधिकारियों द्वारा उनकी जांच की जा रही है।
हाल ही में स्काई न्यूज अरेबिक ने बताया कि कानी को पूछताछ के दौरान दिल का दौरा पड़ा और उसे अस्पताल ले जाया गया। इसके अलावा उसके मुख्य सहायक एहसान शफीकी भी इस जांच के दायरे में है।
कई रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि कानी को ईरानी सरकार द्वारा तब संदेह के घेरे में लाया गया जब इजरायली हवाई हमले ने नसरल्लाह उत्तराधिकारी हाशिम शफीउद्दीन को निशाना बनाया।
इस मामले में कानी का शामिल होना बताया गया। हालांकि, आईआरजीसी के कमांडर-इन-चीफ हुसैन सलामी के एक सलाहकार ने इन अटकलों को खारिज किया है।
सलाहकार ने कहा कि कानी पूरी तरह से ठीक है और उसे जल्द ही सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई से सैन्य सम्मान दिया जाएगा।
कौन है इस्माइल कानी
1. इस्माइल कानी को 2020 में कासिम सुलेमानी की अमेरिकी हमले में हत्या के बाद कुद्स फोर्स का प्रमुख नियुक्त किया गया था।
2. सुलेमानी को मिले व्यापक सम्मान और प्रभाव के विपरीत कानी उतना प्रभावशाली नहीं रहा। वह ईरान के क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ उतने करीबी संबंध नहीं बना सका।
3. कानी के नेतृत्व में हिजबुल्लाह और इराकी मिलिशिया जैसे ईरानी प्रॉक्सी ग्रुप इजरायली बलों के दबाव का सामना कर रहे हैं। वहीं सुलेमानी के समय ठीक इसका उलटा था।
4. कानी का जन्म मशहद, ईरान में हुआ। उसने ईरान-इराक युद्ध में हिस्सा लिया और 1997 में कुद्स फोर्स का उप-कमांडर बना। अफगानिस्तान और पाकिस्तान में उसका अनुभव है लेकिन वह सुलेमानी की तरह अरबी भाषा में पारंगत नहीं है।
5. सुलेमानी के विपरीत कानी गुप्त रूप से बैठकें करता है और ज्यादातर मामलों में पर्दे के पीछे रहकर काम करता है।
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