पाक ने लगाई ड्रैगन की गुलामी की मुहर; चीन से की यह गुपचुप डील, क्यों भारत के लिए खतरा…
गले तक कर्ज में डूबे पाकिस्तान ने इस बात पर मुहर लगा दी है कि वह चीन के अहसानों तले दबा हुआ है। पाकिस्तान ने चीन के प्रति अपनी वफादारी…
गले तक कर्ज में डूबे पाकिस्तान ने इस बात पर मुहर लगा दी है कि वह चीन के अहसानों तले दबा हुआ है।
पाकिस्तान ने चीन के प्रति अपनी वफादारी एक बार फिर साबित की है।
हाल ही में पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बोली लगाने की जरूरतों को नजरअंदाज करते हुए चीन को सीधे 2 अरब अमेरिकी डॉलर का एक अहम सड़क निर्माण का ठेका दे दिया है।
ये ठेका काराकोरम हाईवे के थाकोट-रायकोट सेक्शन के पुनर्निर्माण के लिए दिया गया है, जो चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
ये कदम भारत के लिए चिंता का सबब हो सकता है क्योंकि ये इलाका भारत के बेहद करीब है।
पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब की अगुवाई वाली आर्थिक समन्वय समिति ने एक खास नियम का सहारा लेकर अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धात्मक बोली लगाने की जरूरत को हटाकर ये ठेका सीधे चीनी कंपनियों को सौंप दिया।
इस फैसले से पाकिस्तान और चीन के बीच मजबूत होते गठजोड़ की झलक मिलती है, जो भारत के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर सकता है।
काराकोरम हाईवे का थाकोट-रायकोट सेक्शन चीन और पाकिस्तान के बीच जमीनी कनेक्टिविटी बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी है।
ये हाईवे भारत की सीमा के करीब है और इसके पुनर्निर्माण में चीन की बढ़ती भूमिका भारत के लिए एक गंभीर सुरक्षा चिंता बन सकती है।
चीन और पाकिस्तान का ये गठबंधन, CPEC के तहत आने वाले इलाकों में चीन के प्रभाव को और मजबूत करने का इरादा रखता है।
ये परियोजना सिर्फ पाकिस्तान के बुनियादी ढांचे को सुधारने के लिए नहीं है, बल्कि चीन की रणनीतिक योजना का हिस्सा है, जो भारत की सुरक्षा के लिए सीधी चुनौती पेश कर सकती है।
भारत के लिए चिंता का विषय ये है कि पाकिस्तान ने अपने सार्वजनिक खरीद नियमों को दरकिनार कर चीन को ये ठेका दे दिया है। ये फैसला अंतरराष्ट्रीय मानकों के खिलाफ है, क्योंकि कोई भी ठेका बोली लगाने की प्रक्रिया से ही गुजरता है।
लेकिन चीन के साथ हुए समझौते के तहत पाकिस्तान ने अपने नियम बदलकर ये ठेका सीधे चीनी कंपनियों को सौंप दिया है।
ये मामला सिर्फ सड़क निर्माण तक सीमित नहीं है। पाकिस्तान ने दक्षिण कोरिया से 49 मिलियन अमेरिकी डॉलर के कर्ज के लिए भी अपने नियमों में ढील दी है, ताकि विदेशी सलाहकारों को उनकी शर्तों के मुताबिक नियुक्त किया जा सके।
इस तरह के कदम पाकिस्तान की वित्तीय अस्थिरता को और बढ़ा सकते हैं, जिससे भारत के लिए एक अस्थिर पड़ोसी का खतरा और बढ़ सकता है।
चीन और पाकिस्तान के बीच बढ़ता ये गठजोड़ भारत के लिए कई स्तरों पर चुनौती बन सकता है। एक तरफ चीन अपनी विस्तारवादी नीतियों को अंजाम दे रहा है, वहीं पाकिस्तान उसका पिछलग्गू बनकर अपनी संप्रभुता को दांव पर लगा रहा है।
भारत को इस इलाके में अपनी सुरक्षा नीति को और मजबूत करने की जरूरत है, ताकि चीन और पाकिस्तान के इस गठजोड़ का प्रभावी तरीके से मुकाबला किया जा सके।
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