यूक्रेन को अपने शहर से खदेड़ने में पुतिन नाकाम क्यों? विश्व युद्ध II के बाद पहली बार रूस की ऐसी हार…
रूस और यूक्रेन के बीच जंग पिछले तीन सप्ताह से भयंकर हो गई है। रूस फरवरी 2022 से ही यूक्रेनी शहरों को दहला रहा था लेकिन, अब यूक्रेन ने भी…
रूस और यूक्रेन के बीच जंग पिछले तीन सप्ताह से भयंकर हो गई है।
रूस फरवरी 2022 से ही यूक्रेनी शहरों को दहला रहा था लेकिन, अब यूक्रेन ने भी रूस में घुसपैठ कर ली है।
रूसी शहर कुर्स्क में यूक्रेनी आर्मी तीन सप्ताह से कब्जा किए हुए है और रूस की तमाम कोशिशों के बावजूद यूक्रेन ने कुर्स्क से कदम वापस नहीं खींचे हैं।
माना जा रहा है कि पुतिन इस खतरे को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। हालांकि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह पहली बार है, जब किसी देश की सेना ने रूस के किसी शहर पर कब्जा किया।
यूक्रेनी सेना कुर्स्क शहर में कई किलोमीटर तक कब्जा कर चुकी है। यूक्रेनी लड़ाकों की दहशत के कारण हजारों रूसियों ने शहर से पलायन कर दिया है।
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध पर बारीकी से नजर रख रहे विशेषज्ञों का कहना है कि रूस का अपने शहर को यूक्रेन से न छुड़ा पाना, पुतिन पर निर्भर करता है।
यूक्रेन में अपनी पूरी ताकत झोंक चुके पुतिन और उनकी सेना के पास अब इतना सैन्य और हथियार भंडार नहीं बचा है कि वो कीव की सेनाओं को अपने इलाकों से बाहर खदेड़ सकें।
जानकारों का यह भी कहना है कि पुतिन यूक्रेन के कुर्स्क क्षेत्र पर हमलों को उतनी गंभीरता से नहीं देखते। उनकी प्राथमिकता यूक्रेन पर पूरी तरह से कब्जा करने की है। लेकिन, ऐसा क्यों है?
पुतिन की प्राथमिकताएं क्या हैं?
कार्नेगी रूस यूरेशिया सेंटर के तातियाना स्टैनोवाया का मानना है, “पुतिन का ध्यान यूक्रेन के पतन पर है। इसलिए वो रूसी शहरों पर यूक्रेन के हमलों को नजरअंदाज कर रहे हैं।
दरअसल, फरवरी 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण शुरू करने के बाद पुतिन की सेना ने डोनेट्स्क, लुहान्स्क, ज़ापोरिज़िया और खेरसॉन के यूक्रेनी क्षेत्रों पर सफलतापूर्वक कब्जा कर लिया है और उनकी प्राथमिकता यूक्रेन पर पूरी तरह से कब्जा करने की है।
पुतिन ने जून में घोषणा की थी कि कीव को उसके हिसाब से शर्तें माननी होंगी, तभी उनकी सेना उन इलाकों से वापस होगी। हालांकि यूक्रेन ने इन शर्तों को मानने से इनकार कर दिया था।
रूस की नजर में यूक्रेन का हमला
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्ट्रैटजिक स्टडीज के निगेल गोल्ड-डेविस का कहना है, “रूसी सरकार यूक्रेन की घुसपैठ को अलग नजरिए से देखती है। पुतिन का मानना है कि यूक्रेन का हमला रूसी सेनाओं को वापस अपने यहां आने की कोशिश भर है।
यूक्रेन ऐसा इसलिए कर रहा है ताकि रूस का ध्यान भटकाया जाए और वो यूक्रेन के कब्जा वाले इलाकों को छोड़ दें और रूस को यूक्रेन में कमजोर किया जाए। रूस मानता है कि वह यूक्रेन में अपने सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य से समझौता किए बिना अपनी धरती पर खतरे को नियंत्रित कर सकता है।”
गौरतलब है कि बीते 6 अगस्त को जब यूक्रेनी सेनाएं रूस के कुर्स्क शहर में घुसी, तब भी रूसी सैनिकों ने पोक्रोव्स्क और डोनेट्स्क के यूक्रेनी हिस्सों के आसपास अपना आक्रमण जारी रखा।
कुर्स्क पर यूक्रेन की घुसपैठ को पुतिन ने कीव द्वारा डोनेट्स्क में रूसी अभियान को धीमा करने का एक प्रयास बताया। उन्होंने कहा कि कुर्स्क में घुसपैठ की घटनाओं के बावजूद रूस यूक्रेन में लगातार सफल हो रहा है।
यूक्रेन के चार क्षेत्रों पर कब्ज़ा करने के बाद पुतिन ने कुर्स्क में आक्रमण को बहुत कम महत्व देने की कोशिश की है।
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