चंद्रमा कैसे हुआ इतना ठंडा? चंद्रयान-3 पर लगे रोवर ने खोले राज, और भी अपडेट्स…

चंद्रयान-3 अपने मिशन पर जुटा हुआ है। अब इसके परिणाम भी सामने आने लगे हैं। वह लगातार चंद्रमा के राज खोल रहा है। चंद्रयान-3 पर लगे उपकरणों में से एक…

चंद्रमा कैसे हुआ इतना ठंडा? चंद्रयान-3 पर लगे रोवर ने खोले राज, और भी अपडेट्स…

चंद्रयान-3 अपने मिशन पर जुटा हुआ है। अब इसके परिणाम भी सामने आने लगे हैं। वह लगातार चंद्रमा के राज खोल रहा है।

चंद्रयान-3 पर लगे उपकरणों में से एक ने चंद्रमा के प्रारंभिक विकास की नई जानकारी भेजी है। इसके मुताबिक, शुरुआती दिनों में चंद्रमा की सतह पिघले हुए पदार्थ यानी की मैग्मा के समुद्र से ढकी हुई थी।

चंद्रयान-3 के रोवर पर लगे दो उपकरणों में से एक अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (APXS) ने चंद्रमा के दक्षिणी अक्षांशों में ऊपरी मिट्टी की संरचना के बारे में पहली जानकारी प्रदान की है।

APXS द्वारा एकत्र किए गए डेटा के विश्लेषण से पता चला है कि चंद्रमा के इस नए क्षेत्र की मिट्टी मुख्य रूप से दो प्रकार की चट्टानों का मिश्रण थी। उनमें से एक मैग्मा की मिट्टी है। दूसरी संभवतः चंद्र सतह की गहरी परतों की मिट्टी है, जो चंद्रमा के बारे में और नई जानकारी प्रदान कर सकती है।

कैसे ठंडा हुआ चंद्रमा?
माना जाता है कि चंद्रमा का निर्माण लगभग 4.2 से 4.3 अरब साल पहले पृथ्वी के साथ एक बड़े क्षुद्रग्रह की टक्कर के कारण हुआ था।

यह भी माना जाता है कि अपने आरंभिक जीवन में चंद्रमा पूरी तरह से मैग्मा का महासागर था। लाखों वर्षों में जब यह ठंडा हुआ तो यहां भारी सिलिकॉन और मैग्नीशियम युक्त खनिज जैसे ओलिविन और पाइरोक्सिन डूब गए और चंद्रमा की आंतरिक परतों का निर्माण हुआ।

विक्रम लैंडर द्वारा रोवर को तैनात किया गया था। लैंडर ने 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की थी। लैंडर और रोवर से युक्त चंद्रयान-3 को इसरो, बेंगलुरु द्वारा प्रक्षेपित किया गया था।

100 मीटर की दूरी से निकाले रिकॉर्ड
आपको बता दें कि यह विश्लेषण चंद्रमा पर मिट्टी की माप से संबंधित है, जिसे प्रज्ञान रोवर द्वारा सतह पर 100 मीटर की दूरी तय करते हुए कई बिंदुओं पर रिकॉर्ड किया गया।

शोधकर्ताओं ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से प्राप्त प्रज्ञान के आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए पाया कि चंद्रमा की मिट्टी एक ही प्रकार की चट्टान फेरोअन एनोर्थोसाइट (एफएएन) से बनी है।

मैग्मा का समुद्र
अध्ययन के लेखकों ने कहा कि उनके परिणाम भूमध्यरेखीय और मध्य अक्षांश क्षेत्रों से लिए गए नमूनों के विश्लेषण से मिलते-जुलते हैं।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा, भौगोलिक रूप से दूर के स्थानों से लिए गए नमूनों की समान संरचना चंद्र मैग्मा महासागर परिकल्पना का समर्थन करती है, जो चंद्रमा के प्रारंभिक विकास के लिए व्यापक रूप से स्वीकृत परिदृश्य है।

अध्ययन में कहा गया है कि जब चंद्रमा का निर्माण हो रहा था, तब वह ठंडा हुआ, कम घनत्व वाले एफएएन सतह पर तैरने लगे, जबकि भारी खनिज नीचे डूब गए और ‘मेंटल’ बन गया, जो कि ‘क्रस्ट’ (सतह का ऊपरी हिस्सा) के नीचे स्थित है। विश्लेषण से यह भी पता चला कि प्रज्ञान ने चंद्रमा की मिट्टी में मैग्नीशियम का पता लगाया है।

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