पोट्ठ लइका पहल कार्यक्रम अंतर्गत कुपोषण से आजादी पाने के लिए तिरंगे भोजन का महत्व समझाया गया

राजनांदगांव. जिले में गंभीर कुपोषित बच्चों को सुपोषण की श्रेणी में लाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा पोट्ठ लईका पहल कार्यक्रम के तहत युद्ध स्तर पर कार्य किया जा रहा…

पोट्ठ लइका पहल कार्यक्रम अंतर्गत कुपोषण से आजादी पाने के लिए तिरंगे भोजन का महत्व समझाया गया

राजनांदगांव.
जिले में गंभीर कुपोषित बच्चों को सुपोषण की श्रेणी में लाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा पोट्ठ लईका पहल कार्यक्रम के तहत युद्ध स्तर पर कार्य किया जा रहा है। जिला प्रशासन द्वारा जनसहभागिता से संचालित इस अभियान में जनसामान्य को बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य के लिए खान-पान, पौष्टिक आहार, स्वच्छता संबंधी व्यवहार, स्वास्थ्य के प्रति सजगता के लिए लगातार कार्य किए जा रहे हैं। बच्चे के स्वास्थ्य के प्रति माताओं एवं परिवारजनों में जागरूकता लाने से यह एक स्थायी समाधान होगा। स्थानीय स्तर पर उपलब्ध विभिन्न फल, सब्जी, अनाज का उपयोग करते हुए बच्चों को सुपोषित बनाने के लिए कार्य किया जा रहा है।

कलेक्टर संजय अग्रवाल के मार्गदर्शन में इस अभियान अंतर्गत जिले भर में विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन एवं आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को पौष्टिक आहार दिया जा रहा है। कलेक्टर के नेतृत्व में तथा मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सुसुरूचि सिंह के निर्देशन में इस अभियान के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम द्वारा बेहतरीन कार्य किया जा रहा है। जिसके तहत प्रत्येक शुक्रवार को आंगनबाड़ी केंद्रों में पालक चौपाल का आयोजन किया जाता है।

हर घर तिरंगा कार्यक्रम अंतर्गत पालकों को विशेष तौर पर तिरंगा भोजन का महत्व बताया गया और जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में हर घर तिरंगा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सभी ने हर घर तिरंगा की शपथ भी ली। अभिभावकों को बच्चों को कुपोषण मुक्त करने के लिए तिरंगा भोजन के रूप में पौष्टिक आहार खाने के लिए प्रेरित किया गया। जिससे बच्चों को प्रोटीन, विटामिन एवं अन्य पोषक तत्वों से भरपूर भोजन मिल सके।

तिरंगा भोजन क्या है?
तिरंगा भोजन ऐसा पौष्टिक आहार होता है, जो हर घर में उपलब्ध होता है। केसरी रंग अंतर्गत दलहन, सोया, अंडा, सफेद रंग चावल, रोटी तथा हरा रंग में हरी सब्जी जैसे पालक, मेथी, मुनगा भाजी एवं अन्य हरी साग-सब्जी का होता है। यह तिरंगा भोजन कहलाता है। अपने बच्चों को पौष्टिक भोजन कम से कम 3 बार दिन में खिलाने और 2-3 बार स्वयं भी खाने की सलाह दी गई।