शासकीय जे. योगानंदम छत्तीसगढ़ कॉलेज रायपुर में विधि विभाग में अब बीएएलएलबी का कोर्स शुरू

 रायपुर  शासकीय जे. योगानंदम छत्तीसगढ़ कॉलेज रायपुर में विधि विभाग में अब बीएएलएलबी का कोर्स शुरू हो गया है। इसके लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सम्बद्धता प्रदान कर दी…

शासकीय जे. योगानंदम छत्तीसगढ़ कॉलेज रायपुर में विधि विभाग में अब बीएएलएलबी का कोर्स शुरू

 रायपुर
 शासकीय जे. योगानंदम छत्तीसगढ़ कॉलेज रायपुर में विधि विभाग में अब बीएएलएलबी का कोर्स शुरू हो गया है। इसके लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सम्बद्धता प्रदान कर दी है। उच्च शिक्षा विभाग ने प्रवेश की तिथि 16 अगस्त तक बढ़ा दी है। लिहाजा बीएएलएलबी पाठ्यक्रम के प्रथम सेमेस्टर और एलएलएल के प्रथम सेमेस्टर के लिए प्रवेश की प्रक्रिया जारी है।

विधि विभाग की विभागाध्यक्ष डा. विनीता अग्रवाल ने बताया कि प्रथम प्रवेश सूची आठ अगस्त 2024 को जारी हो चुकी है और अंतिम प्रवेश तिथि 16 अगस्त को है। इसके बाद ओपन काउंसलिंग की जाएगी। विधि की पढ़ाई के मामले में अब कॉलेज में एलएलबी, बीएएलएलबी, एलएलएम और पीएचडी पाठ्यक्रम एक साथ संचालित हो रहा है। यहां से पांच शोधार्थी पीएचडी की डिग्री हासिल कर चुके हैं और कई शोधार्थी अध्ययनकार्य में जुटे हुए हैं।

सहायक प्राध्यापकों के पद पर भर्ती

छत्तीसगढ़ कालेज के प्राचार्य अमिताभ बैनर्जी ने बताया कि नए पाठ्यक्रम के अनुसार विधि विभाग में सहायक प्राध्यापक के रिक्त पद के विरुद्ध अध्यापन व्यवस्था के लिए योग्य और निर्धारित योग्यताधारी आवेदकों से अतिथि व्याख्याता के चार पद के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। इसी तरह अतिथि व्याख्याता मनोविज्ञान और इतिहास के लिए भी एक-एक पदों पर भर्ती की जाएगी। भर्ती प्रक्रिया की अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए छत्तीसगढ़ कॉलेज के वेबसाइट www.cgcollege.org पर संपर्क किया जा सकता है।

छत्तीसगढ़ कालेज का पुराना है इतिहास

छत्तीसगढ़ में यदि पहले महाविद्यालय का जब भी जिक्र होता है, तो हर कोई छत्तीसगढ़ महाविद्यालय का नाम जरूर लेता है। इतिहासकारों की मानें तो अंग्रेजों के शासन काल में उच्च शिक्षा हासिल करना काफी मुश्किल था। उस दौर में महाविद्यालय की स्थापना किसी युद्ध जीतने से कम नहीं थी। ऐसे में एडवोकेट जे. योगानंदम ने महाविद्यालय की स्थापना के लिए एक समिति बनाई, जिसका नाम छत्तीसगढ़ शिक्षण समिति रखा गया। इसी समिति की बदौलत 16 जुलाई 1938 को महाविद्यालय का निर्माण किया गया। पहले यह महाविद्यालय बांस की टट्टों से पुराना हेडक्वार्टर के पास संचालित होता था, लेकिन नवंबर 1957 में देश के प्रथम उपराष्ट्रपति डा. राधाकृष्णन ने महाविद्यालय का उद्धाटन किया था।