गुरुग्राम में अक्सर रात में ही क्यों होते हैं सड़क हादसे, सैकड़ों लोग गवां चुके हैं जान

गुरुग्राम। गुरुग्राम में हर साल एक हजार सड़क हादसों में चार सौ से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है। गुरुग्राम ट्रैफिक पुलिस और राहगीरी फाउंडेशन ने साल 2023 में…

गुरुग्राम में अक्सर रात में ही क्यों होते हैं सड़क हादसे, सैकड़ों लोग गवां चुके हैं जान

गुरुग्राम। गुरुग्राम में हर साल एक हजार सड़क हादसों में चार सौ से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है। गुरुग्राम ट्रैफिक पुलिस और राहगीरी फाउंडेशन ने साल 2023 में हुई सड़क दुर्घटनाओं और मौत का सर्वे किया। इसमें कई चौंकाने वाले बातें सामने आईं। साल 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक जिले में सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं और मौत शाम छह बजे से सुबह छह बजे के बीच हुई हैं। दुर्घटनाएं और हादसों को कम करने यह सर्वे किया गया। ऐसे में आने वाले एक साल में 20 फीसदी तक सड़क दुर्घटना और मौत को कम करने का लक्ष्य रखा गया है।  पोर्ट के मुताबिक साल 2023 में 1190 सड़क दुर्घटनाओं में 439 लोगों की मौत हो गई थी। इसके अलावा 1020 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। इन दुर्घटनाओं में 62 फीसदी मौतें शाम छह बजे से सुबह छह बजे के बीच में हुई थी। 58 फीसदी दुर्घटनाएं भी रात के समय में हुई थीं।

 

रात के चलने के लिए गुरुग्राम की सड़कें सुरक्षित नहीं 


विशेषज्ञों की मानें तो रात के चलने के लिए गुरुग्राम की सड़कें सुरक्षित नहीं हैं। गुरुग्राम में 20 घंटे में एक युवक की सड़क दुर्घटना में मौत हो जाती है। ट्रैफिक पुलिस द्वारा तैयार किए गए आंकड़े में इसका खुलासा हुआ है। सड़क सुरक्षा एक्सपर्ट ने बताया कि रात में चलने के लिए शहर की सड़कें सुरक्षित नहीं है। इन सड़कों पर रात में पर्याप्त रोशनी नहीं होने, खराब रोड, साइनेज बोर्ड और रिफ्लेक्टर नहीं होना भी एक बड़ा कारण है। इसके अलावा दिल्ली-जयपुर हाईवे, कुंडली-मानेसर-पलवल समेत शहर की अंदरुनी सड़कों पर अवैध वाहनों की पार्किंग भी एक हादसों का बड़ा कारण है। इसके अलावा वाहन चालक रात में शॉर्ट-कट के चक्कर में गलत दिशा में वाहन चलाने से दूसरे की जान भी जोखिम में डालते है। पुलिस का जागरुकता अभियान भी बेअसर है।रिपोर्ट के मुताबिक गुरुग्राम में सड़कों के जाल का कुल 2.1फीसदी हिस्सा राष्ट्रीय राजमार्ग का पड़ता है, लेकिन चिंता इस बात की है कि सिर्फ 2.1 फीसदी हिस्से में 45 फीसदी सड़क दुर्घटनाएं और मौतें होती हैं। जबकि 55 फीसदी मौतें और दुर्घटनाएं शहर की अंदरुनी सड़कों पर होती हैं। 

 

सप्ताह में सबसे ज्यादा हादसे बुधवार के दिन 


सर्वे में सामने आया है कि सप्ताह में सबसे ज्यादा हादसे बुधवार के दिन होते हैं। इसके अलावा रात में शहर की पांच सड़कें सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं जिनमें दिल्ली-जयपुर एक्सप्रेस-वे पर बने एसपीआर क्लोवरलीफ, घाटा गांव चौक, गोल्फ कोर्स रोड, एमजी रोड और फर्रुखनगर है। इन सड़कों पर रात में सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं और मौतें होती है। ट्रैफिक पुलिस ने यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले दो हजार वाहन चालकों के चालान भी काटे हैं। एक हजार चालान ट्रैफिक पुलिस के जोनल ऑफिसर काटते हैं, जबकि एक हजार से ज्यादा चालान रोजाना सड़कों पर लगे सीसीटीवी कैमरों के जरिए काटे जाते हैं।डीसीपी ट्रैफिक वीरेंद्र विज ने कहा कि शहर की सड़कों पर रात में सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं हो रही है, इसमें कई लोग जान गंवा रहे हैं। हादसे कम करने के लिए सभी विभागों के साथ मिलकर एक एक्शन प्लॉन तैयार किया जाएगा। इस पर सभी मिलकर काम करेंगे। इस साल में 20 फीसदी सड़क दुर्घटनाएं और हादसों को कम करने का लक्ष्य रखा है।