पहले मंत्री ने निरस्त किया टेंडर, फिर विभाग ने कैबिनेट से बढ़वाया ‘स्मार्ट’ कंपनी का कार्यकाल

भोपाल। प्रदेश में परिवहन विभाग ने एक बार फिर सेवाप्रदाता कंपनी ‘मेसर्स स्मार्ट चिप प्रायवेट लिमिटेड’ का कार्यकाल 6 महीने के लिए बढ़वा लिया है। कंपनी की बार-बार काम बंद…

पहले मंत्री ने निरस्त किया टेंडर, फिर विभाग ने कैबिनेट से बढ़वाया ‘स्मार्ट’ कंपनी का कार्यकाल

भोपाल। प्रदेश में परिवहन विभाग ने एक बार फिर सेवाप्रदाता कंपनी ‘मेसर्स स्मार्ट चिप प्रायवेट लिमिटेड’ का कार्यकाल 6 महीने के लिए बढ़वा लिया है। कंपनी की बार-बार काम बंद करने की लिखित चेतावनी के बाद भी विभाग पिछले 6 साल 10 महीने में नई सेवाप्रदाता कंपनी की तलाश नहीं कर पाया है। हालांकि पिछली सरकार के आखिरी कार्यकाल में परिवहन विभाग ने नए सेवाप्रदाता के लिए टेंडर निकाला था। जिसमें दो कंपनियों ने भाग लिया, लेकिन विभागीय मंत्री उदयप्रताप सिंह ने तमाम सुझाव एवं खामियों के साथ ‘रिक्वेस्ट फॉर प्रुपोजल’ (आरएफपी) को निरस्त कर दिया है। इसके बाद परिवहन विभाग ने कैबिनेट से कंपनी का कार्यकाल दिसंबर 2024 तक बढ़ाने पर मुहर लगवा ली है।

दिसंबर तक काम करती रहेगी स्मार्ट चिप प्रायवेट लिमिटेड

परिवहन विभाग की ‘वाहन’ एवं ‘सारथी’ ऑनलाइन सेवा का संचालन ‘मेसर्स स्मार्ट चिप प्रायवेट लिमिटेड’ द्वारा किया जाता है। कंपनी ने विभाग को पत्र लिखकर 30 जून 2024 से सेवा बंद करने की बात कही, इस बीच विभाग ने नई कंपनी के चयन की फाइल को आगे बढ़ाया। फाइल अनुमोदन के लिए मंत्री के पास भेजी तो 20 जून 2024 को मंत्री ने आरएफजी प्रक्रिया को निरस्त करने के साथ ही अन्य सुधार के साथ नई सिरे से प्रक्रिया शुरू करने की सिफारिश कर दी। ऐसे में आनन-फानन में परिवहन मुख्यालय ने मौजूदा ‘स्मार्ट चिप’ कंपनी का कार्यकाल बढ़ाने का प्रस्ताव कैबिनेट में भेजा। जिस पर कैबिनेट ने ‘स्मार्ट चिप’ कंपनी का कार्यकाल दिसंबर 2024 तक कार्यकाल इस शर्त के साथ बढ़ा दिया है कि इस अवधि में नई सेवाप्रदाता कंपनी का चयन करना होगा। अनंतकाल तक स्मार्ट चिप कंपनी कार्यकाल नहीं बढ़ाया जा सकता।

 

हर बार यही ‘स्मार्ट’ तरीका


कंपनी का कार्यकाल बढ़वाने के लिए परिवहन मुख्यालय हर बार यही ‘स्मार्ट’ तरीका अपनाता है। पहले भ्ी कंपनी द्वारा काम बंद करने की चेतावनी दी गई, फिर विभाग ने कार्यकाल बढ़ाया। हालांकि कंपनी के कार्यकाल बढ़ाने के प्रस्ताव में वित्त विभाग की टीप में उल्लेख है कि 26 सितंबर 2018 के बाद इतनी लंबी अवधि में नए वेंडर का चयन न हो पाना ‘वित्तीय’ औचित्य की दृष्टि से उचित नहीं है। विभाग को इस विषय को गंभीरता से लेकर नवीन एजेंसी के चयन के लिए सार्थक प्रयास करना चाहिए।