केरल में भारी बारिश के चलते लैंडस्लाइड,सैकड़ों घर तबाह,स्कूल-कालेजों की छुट्टी
नई दिल्ली। केरल में उत्तरी मालाबार जिलों के पहाड़ी इलाकों में भारी बारिश हो रही है। भयंकर बारिश से यहां सामान्य जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। वायनाड, कन्नूर…
नई दिल्ली। केरल में उत्तरी मालाबार जिलों के पहाड़ी इलाकों में भारी बारिश हो रही है। भयंकर बारिश से यहां सामान्य जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। वायनाड, कन्नूर और कासरगोड जिलों के कई हिस्सों से बाढ़, पेड़ों के उखड़ने, संपत्ति को नुकसान और मामूली लैंडस्लाइड की घटनाएं सामने आईं। यहां आईएमडी ने एक दिन के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। इसके साथ ही तीनों जिलों में जिला प्रशासन ने शुक्रवार को स्कूल-कॉलेज में छुट्टी घोषित कर दी है।
केरल में जगह-जगह हो रही बारिश से भारी तबाही देखने को मिल रही है। पलक्कड़ में एक स्कूल बस नहर में पलट गई, हालांकि कोई घायल नहीं हुआ और बच्चों को बचा लिया गया। कोझिकोड में जगह-जगह जलजमाव के चलते सड़कें डूबी हुई हैं।
कन्नूर में भारी बारिश के चलते 80 लोगों को शिविरों में स्थानांतरित करना पड़ा और लगभग 71 परिवारों को कन्नूर में उनके रिश्तेदारों के घरों में ले जाया गया। यहां 13 घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं और 242 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। उत्तरी केरल के कुछ हिस्सों से बारिश के कारण दीवारें गिरने और आसपास खड़े वाहनों को नुकसान पहुंचने की भी खबरें हैं। त्रिशूर और एर्नाकुलम जिलों से भी बारिश के कारण संपत्ति के नुकसान की खबरें आईं हैं। पिछले कुछ दिनों में राज्य में भारी बारिश के चलते लैंडस्लाइड, संपत्ति को नुकसान, सड़कों पर जलभराव और कई एकड़ खेत में बाढ़ आ गई है। इस बीच, भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (आईएनसीओआईएस) ने चेतावनी दी है कि केरल तट, खासकर कन्नूर और कासरगोड में 2.5 से 3.4 मीटर ऊंची लहरें और तूफान आने की संभावना है। इन क्षेत्रों में मछुआरों और तटीय निवासियों को विशेष सावधानी बरतने, मछली पकड़ने वाले जहाजों को बंदरगाह में सुरक्षित रूप से बांधने और समुद्र तट की यात्रा से पूरी तरह से बचने की सलाह दी है। इनके अलावा, एर्नाकुलम जिले में एक हाथी नदी पार करने के कोशिश करते हुए कथित तौर पर बह गया और उसकी मौत हो गई। वायनाड जिले के पहाड़ी इलाकों में भी बड़े पैमाने पर भारी बारिश हुई, 29 से अधिक घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गए, 1,000 से अधिक लोगों को 22 शिविरों में स्थानांतरित कर दिया गया और क्षेत्र से बहने वाली नदियों के जलस्तर बढ़ गया है।