छत्‍तीसगढ़ में MBBS की सीटें बढ़कर हुई 2110 सीटें

छत्‍तीसगढ़ में अब डॉक्टर बनने का सपना हर विद्यार्थी का आसानी से पूरा हो सकता है। प्रदेश में एमबीबीएस की सीटें 1,910 से बढ़कर 2,110 हो गई हैं। नेशनल मेडिकल…

छत्‍तीसगढ़ में MBBS की सीटें बढ़कर हुई 2110 सीटें

छत्‍तीसगढ़ में अब डॉक्टर बनने का सपना हर विद्यार्थी का आसानी से पूरा हो सकता है। प्रदेश में एमबीबीएस की सीटें 1,910 से बढ़कर 2,110 हो गई हैं। नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने प्रदेश के दो निजी कॉकालेजों को मान्यता दी है, जिससे एमबीबीएस की नई 200 सीटें मिली हैं। इन पर इसी सत्र से एडमिशन होगा। नवा रायपुर स्थित कालेज को 150 और दुर्ग स्थित कॉलेज को 50 सीटों की मान्यता मिली है।

प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या भी 13 से बढ़कर 15 हो गई है। वर्तमान में दस सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की 1460 और तीन निजी में 450 सीटें हैं। दो नए को मिलाकर अब प्रदेश में पांच निजी मेडिकल कॉलेज हो जाएंगे। 200 सीटें बढ़ने का फायदा नीट यूजी क्वालिफाइड छात्रों को होगा। एमबीबीएस की सीटें बढ़ने से कट ऑफ पांच अंक तक गिर सकता है।

प्रदेश में सबसे कम फीस

देश में एमबीबीएस की सबसे सस्ती पढ़ाई प्रदेश में हो रही है, जो कि कॉलेजों का दावा है। यहां एक वर्ष की ट्यूशन फीस 7.41 से 7.99 लाख रुपये है। तीन वर्षों में फीस रिवाइज करने का नियम है। हालांकि, अभी फीस विनियामक कमेटी ने फीस रिवाइज नहीं किया है। दूसरी ओर सरकारी मेडिकल कॉलेजों की फीस महज 40 हजार और एम्स की फीस 1,289 रुपये सालाना है। निजी मेडिकल कालेजों में 42.5-42.5 फीसदी सीटें स्टेट व मैनेजमेंट कोटे की होती है। वहीं, 15 फीसदी सीटें एनआरआइ के लिए आरक्षित होती हैं। स्टेट कोटे व मैनेजमेंट की फीस समान होती है।

डीएमई डा. यूएस पैकरा ने कहा, दो मेडिकल कालेजों में सीटे बढ़ने का फायदा पात्र छात्रों को होगा। सीटों के बढ़ने से कट आफ मार्क्स भी गिरेगा। स्थानीय छात्रों को मेडिकल कोर्स करने का भी अवसर मिलेगा।