छत्तीसगढ़-बिलासपुर में हाइटेन्शन तारों से आ रहा करेंट, हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को बताया जवाबदेह
बिलासपुर. बिलासपुर के रतनपुर क्षेत्र के गांवों के खेतों में करंट आने के मामले में मंगलवार को हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि किसी भी कंपनी को सिर्फ लाइसेंस…
बिलासपुर.
बिलासपुर के रतनपुर क्षेत्र के गांवों के खेतों में करंट आने के मामले में मंगलवार को हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि किसी भी कंपनी को सिर्फ लाइसेंस देकर आप जवाबदेही से बच नहीं सकते। कोर्ट ने शासन को शपथपत्र में जवाब देने के निर्देश देते हुए बुधवार 10 जुलाई को अगली सुनवाई निर्धारित की है।
हाईटेंशन बिजली तार के कारण कई गांवों में ग्रामीणों और मवेशियों की जान को खतरा है। भयभीत ग्रामीणों ने हजारों एकड़ में इसके चलते खेती बंद कर दी है। प्रकाशित मीडिया रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने जनहित याचिका के तौर पर इसकी सुनवाई शुरू की है। सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश ने हाईटेंशन तार बिछाने वाली सरकारी कंपनी पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन, यहां इस काम को पूरा करने वाली जबलपुर ट्रांसपोर्टेशन कंपनी से इन जगहों पर इंजीनियरों को भेजकर पूरी जांच कराने का निर्देश दिया था। इसकी रिपोर्ट व्यक्तिगत शपथपत्र पर कोर्ट में प्रस्तुत करने का भी आदेश कोर्ट ने दिया था। मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायाधीश रविन्द्र अग्रवाल की डीबी में केंद्र शासन की ओर से कहा गया कि, हमने पावर ग्रिड को सिर्फ लाइसेंस दिया है। उन्होंने अगर कहा होता तो हम इस जगह पर पहले सर्वे कराकर जांच रिपोर्ट जारी करते। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि, आप सिर्फ लाइसेंस देकर जवाबदेही से बच नहीं हो सकते। साथ ही कहा कि जानकारी दें कि हाईटेंशन विद्युत लाइन होने के चलते रतनपुर क्षेत्र के लगभग आठ गांवों के खेतों में हाईटेंशन तार के नीचे और टॉवरों के आसपास करंट के झटके महसूस किए जा रहे हैं। बचने के लिए लोग रबड़ के बूट, जूते पहन रहे हैं, इसके बावजूद हर रोज ग्रामीणों को करंट लग रहा है।
मवेशियों और बच्चों को इससे ज्यादा खतरा है। इस समस्या से कछार, लोफंदी, भरारी, अमतरा, मोहतराई, लछनपुर, नवगंवा, मदनपुर अधिक प्रभावित हैं। इन गांवों में 20 से अधिक टावर होने की वजह से जमीन में करंट दौड़ रहा है। यहां के किसानों का मुख्य व्यवसाय सब्जी की खेती है। हाईटेंशन लाइन के कारण बार-बार करंट लगता है। यही वजह है कि अधिकांश किसानों ने टॉवर वाली जमीन पर खेती करना छोड़ दिया है।