क्या सुधरेंगे मणिपुर के हालात? केंद्र सरकार भेज रही है 10,000 से ज्यादा सैनिक, हर इलाके में होगी तैनाती…

जातीय हिंसा से जूझ रहे मणिपुर में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए केंद्र सरकार 10,000 से अधिक अतिरिक्त जवानों को वहां भेज रही है। इस कदम से राज्य…

क्या सुधरेंगे मणिपुर के हालात? केंद्र सरकार भेज रही है 10,000 से ज्यादा सैनिक, हर इलाके में होगी तैनाती…

जातीय हिंसा से जूझ रहे मणिपुर में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए केंद्र सरकार 10,000 से अधिक अतिरिक्त जवानों को वहां भेज रही है।

इस कदम से राज्य में केंद्रीय बलों की कुल तैनाती 288 कंपनियों तक पहुंच जाएगी। मणिपुर के मुख्य सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने इम्फाल में मीडिया को यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि 90 कंपनियां, यानी लगभग 10,800 जवान, राज्य में तैनात किए जा रहे हैं। इनमें से अधिकांश इम्फाल पहुंच चुके हैं।

उन्होंने कहा, “हमने इन जवानों को नागरिकों के जीवन और संपत्ति की रक्षा करने और संवेदनशील क्षेत्रों और अहम बिंदुओं की निगरानी के लिए तैनात किया है। सभी क्षेत्रों को कुछ दिनों में कवर कर लिया जाएगा।”

कुलदीप सिंह ने आगे बताया कि सुरक्षा प्रबंधों को पूरी तरह से चाक-चौबंद किया गया है। हर जिले में नए समन्वय प्रकोष्ठ और संयुक्त नियंत्रण कक्ष स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने कहा, “जो नियंत्रण कक्ष पहले से कार्यरत हैं, उनकी समीक्षा की जा चुकी है और उनकी दक्षता को बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं।”

सिंह ने कहा, “मणिपुर में तैनात करने के लिए हमें सीएपीएफ की लगभग 90 कंपनियां मिल रही हैं, जो राज्य में पहले से तैनात 198 कंपनियों के अतिरिक्त हैं।

इनमें से काफी संख्या में कंपनियां पहले ही इंफाल पहुंच चुकी हैं। हम नागरिकों की जान-माल और संवेदनशील स्थानों की सुरक्षा के लिए सुरक्षा बलों को तैनात कर रहे हैं।”

बैठक के बाद उन्होंने कहा कि अधिकारी प्रत्येक जिले में समन्वय प्रकोष्ठ और संयुक्त नियंत्रण कक्ष स्थापित करेंगे। बैठक में सेना, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), असम राइफल्स, सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और मणिपुर पुलिस के प्रतिनिधि शामिल हुए।

मणिपुर में पिछले कुछ महीनों से जातीय हिंसा की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर स्थिति को सामान्य करने का प्रयास कर रही हैं।

राज्य में हिंसा बढ़ गई है और पिछले सप्ताह पहाड़ी जिले जिरीबाम में कांग्रेस और भाजपा के कार्यालयों में तोड़फोड़ की गई। सुरक्षा बलों ने शनिवार शाम मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के पैतृक आवास पर धावा बोलने की आंदोलनकारियों की कोशिश को विफल कर दिया।

हिंसा तब और बढ़ गई जब 11 नवंबर को सुरक्षा बलों और संदिग्ध कुकी-जो उग्रवादियों के बीच गोलीबारी के बाद जिरीबाम जिले में एक राहत शिविर से मेइती समुदाय की तीन महिलाएं और तीन बच्चे लापता हो गए। इस मुठभेड़ में 10 उग्रवादी मारे गए।

पिछले कुछ दिनों में इन छह लापता लोगों के शव बरामद किए गए। पिछले साल मई से इम्फाल घाटी स्थित मेइती और आसपास की पहाड़ियों पर बसे कुकी-जो समूहों के बीच जातीय हिंसा में 220 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं।

मणिपुर में पिछले साल मई से जातीय हिंसा में 258 लोगों की जान जा चुकी है

मणिपुर में मेइती और कुकी समुदायों के बीच पिछले साल मई से हो रही जातीय हिंसा में 258 लोगों की जान जा चुकी है। राज्य सरकार के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। सुरक्षा समीक्षा बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा, ‘‘इस हिंसा में अब तक आतंकवादियों सहित कुल 258 लोगों की जान जा चुकी है।’’

सुरक्षा सलाहकार ने बताया कि मंत्रियों और विधायकों की संपत्तियों में तोड़फोड़ एवं आगजनी के सिलसिले में 32 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि करीब 3,000 लूटे गए हथियार बरामद किए गए हैं।

सिंह ने कहा, “समन्वय, कार्यप्रणाली, सीमांत क्षेत्रों की सुरक्षा, राष्ट्रीय राजमार्गों की सुरक्षा तथा अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान देने के लिए सुरक्षा बलों की तैनाती के वास्ते कई एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) तैयार की गई हैं।”

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को बैठक के नतीजे के बारे में जानकारी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि नौ शवों का कड़ी सुरक्षा के बीच शांतिपूर्वक अंतिम संस्कार किया गया, जिसमें छह शव उनलोगों के शामिल हैं, जिनकी जिरीबाम में अपहरण कर हत्या कर दी गई थी।

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