हार कर भी चुनौती दे गई कांग्रेस

ग्वालियर-चंबल अंचल के साथ ही सतना सीट पर दिखा कांग्रेस का दम भोपाल । मप्र में भाजपा ने लोकसभा चुनावों में क्लीन स्वीप किया और 29 में से 29 सीटों…

हार कर भी चुनौती दे गई कांग्रेस

ग्वालियर-चंबल अंचल के साथ ही सतना सीट पर दिखा कांग्रेस का दम

भोपाल । मप्र में भाजपा ने लोकसभा चुनावों में क्लीन स्वीप किया और 29 में से 29 सीटों पर जीत हासिल की। भाजपा ने प्रदेश की 29 सीटों पर करीब 59.5 प्रतिशत वोट हासिल किए। यह 2019 के 58.5 प्रतिशत के मुकाबले सिर्फ एक प्रतिशत ज्यादा रहा। यानी एक प्रतिशत वोट बढ़ाकर भाजपा ने प्रदेश की सभी लोकसभा सीटों को जीत लिया है। लेकिन ग्वालियर-चंबल अंचल की सीटों के साथ ही सतना लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने अपना दम दिखाया है। तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों के कांग्रेस ने इन सीटों पर भाजपा के लिए चुनौती खड़ी की। कांग्रेस भले ही चुनाव हार गई है, लेकिन भाजपा को भविष्य में सचेत रहने का संकेत दे दिए हैं।
प्रदेश की 29 सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों ने कांग्रेस को सिर्फ हराया ही नहीं है, बड़े अंतर से पटखनी दी है। चार लोकसभा सीट भिंड, मुरैना, ग्वालियर, सतना को छोडक़र बाकि 24 सीटों पर कांग्रेस मुकाबले में ही नजर नहीं आई। 10 सीटें तो ऐसी हैं जहां कांग्रेस प्रत्याशी 4 लाख से ज्यादा बोटों से हारे हैं। भोपाल लोकसभा सीट पर कांग्रेस को इतने बीट भी नहीं मिले, जितने मतों से भाजपा प्रत्याशी आलोक शर्मा ने जीत दर्ज की। परिणाम से पहले तक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी दावा करते रहे कि कांग्रेस दहाई के आंकड़े में सीटें जीतेगी। यानी 10 से ज्यादा सीटें जीतने का दावा था। जो हवा-हवाई निकला। उलटे 10 से ज्यादा सीटों पर 4 लाख से ज्यादा के अंतर से हार मिली है। हालांकि पटवारी ने हार की जिम्मेदारी लेकर नैतिकता का परिचय दिया है। प्रदेश प्रभारी भंवर जितेंद्र सिंह का कोई बयान सामने नहीं आया है। इस बार के चुनाव में मध्य प्रदेश में भाजपा ने प्रयोग करते हुए 11 नेताओं को पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ाया था। इन सभी ने जीत हासिल की। इसमें मुरैना से शिवमंगल सिंह तोमर, ग्वालियर से भारत सिंह कुशवाहा, सागर से लता वानखेड़े, दमोह से राहुल सिंह लोधी, सीधी से डा. राजेश मिश्रा, जबलपुर से आशीष दुबे, बालाघाट से भारती पारधी, छिंदवाड़ा से विवेक बंटी साहू, छिंदवाड़ा से दर्शन सिंह चौधरी, भोपाल से आलोक शर्मा और रतलाम से अनीता नागर शामिल हैं। इनमें से राहुल लोधी और शिवमंगल सिंह तोमर का विधानसभा चुनाव में टिकट काट दिया गया था तो विवेक बंटी साहू छिंदवाड़ा विधानसभा से चुनाव हार गए थे। दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के मप्र के बूथ प्रबंधन मॉडल ने उत्तर प्रदेश की पांच लोकसभा सीटों पर पार्टी को जीत दर्ज कराई।

मुरैना में बसपा ने बिगाड़ा खेल
मुरैना लोकसभा सीट पर अगर बसपा चुनाव नहीं लड़ती तो भाजपा की जीत की राह आसान नहीं होती। इस सीट पर कांग्रेस सबसे ज्यादा टक्कर देती नजर आई। कांग्रेस प्रत्याशी सत्यपाल सिंह सिकरवार नीटू का मुकाबला भाजपा प्रत्याशी शिवमंगल सिंह तोमर से था। ठाकुर वर्सेज ठाकुर की इस लड़ाई में तोमर की विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह का समर्थन था। दूसरी तरफ बीच चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक रामनिवास रावत ने सिकरवार का साथ छोड़ दिया, झटका देते हुए वे भाजपा में शामिल हो गई। इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी ने भी कांग्रेस को भारी नुकसान पहुंचाया। भाजपा प्रत्याशी शिवमंगल सिंह तोमर को 43.4 फीसदी वोट मिले हैं। कांग्रेस प्रत्याशी नीटू सिकरवार को 39 फीसदी और बसपा उम्मीदवार रमेश गर्ग को 15.1 फीसदी वोट मिले हैं। इस सीट पर भाजपा के शिवमंगल सिंह तोमर को 5,15,477 वोट मिले। वहीं कांग्रेस के सत्यपाल सिंह सिकरवार को 4,62,947 और बसपा के रमेश गर्ग को 1,79,669 वोट मिले। जबकि जीत का अंतर 52,530 था।

पाठक ने किया दमदारी से मुकाबना
ग्वालियर लोकसभा सीट पर भी कांग्रेस ने जोरदार टक्कर दी है। कांग्रेस ने पूर्व विधायक और युवा नेता प्रवीण पाठक को उम्मीदवार बनाया था। उनका मुकाबला पूर्व मंत्री भारत सिंह कुशवाह से था। ग्वालियर भाजपा का गढ़ रहा है। लेकिन इसके बावजूद प्रवीण पाठक ने अच्छा चुनाव लड़ा। भाजपा प्रत्याशी भारत सिंह कुशवाह को 50 फीसदी वोट मिले हैं। उनके मुकाबले प्रवीण पाठक को 44.8 फीसदी वोट मिले। यहां बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी कल्याण सिंह कंसाना को 2.5 फीसदी वोट मिले। यहां भाजपा के भारत सिंह कुशवाह को 6,71,535 वोट मिले। वहीं कांग्रेस के प्रवीण पाठक को 6,01,325 और बसपा के कल्याण सिंह कंसाना को 33564 वोट मिले। इस सीट पर जीत का अंतर 70,210 रहा।

भिंड सीट पर रही कांटे की टक्कर
ग्वालियर-चंबल अंचल की भिंड लोकसभा सीट पर भी जोरदार मुकाबला देखने को मिला। भिंड सीट पर कांग्रेस विधायक फूल सिंह बरैया ने चुनाव लड़ा था। उनका मुकाबला भाजपा प्रत्याशी संध्या राय से था। लेकिन ऐन चुनाव से पहले टिकट न मिलने से नाराज देवाशीष जरारिया कांग्रेस छोड़ बसपा में शामिल हुए। बसपा ने जरारिया को प्रत्याशी भी बना दिया। वरैया की हार में जरारिया का भी योगदान बराबरी का रहा। संध्या राय को 51.2 फीसदी वोट मिले हैं। फूल सिंह बरैया को 45 फीसदी और देवाशीष को 2 फीसदी वोट मिले हैं। इस लोकसभा सीट पर संध्या राय को 5,37,065 वोट मिले हैं। वहीं कांग्रेस के फूल सिंह बरैया को 4,72,225 वोट तो बसपा के देवाशीष जरारिया को 20,465 मिले। इस सीट पर जीत का अंतर 64,840 रहा।

सतना में त्रिपाठी ने बिगाड़ दिया खेल
विंध्य क्षेत्र के सतना लोकसभा सीट पर इस बार रोचक मुकाबला देखने को मिला। इस सीट पर बसपा के नारायण त्रिपाठी ने कांग्रेस का खेल बिगाड़ दिया। यहां भाजपा प्रत्याशी और सांसद गणेश सिंह के सामने कांग्रेस विधायक सिद्धार्थ कुशवाह मैदान में थे। 2023 के विधानसभा चुनाव में सिद्धार्थ कुशवाह ने गणेश सिंह को हराया था। लिहाजा कांग्रेस को कुशवाह से बहुत उम्मीदें थी। लेकिन इस सीट पर कांग्रेस का गणित गड़बड़ा गया। भाजपा के बागी और बसपा प्रत्याशी नारायण त्रिपाठी ने 17.5 फीसदी वोट ले लिए। भाजपा के गणेश सिंह को 43.4 फीसदी, कांग्रेस के सिद्धार्थ कुशवाह को 35.4 फीसदी वोट मिले हैं। भाजपा के गणेश सिंह को 4,59,728, कांग्रेस के सिद्धार्थ कुशवाह को 3 74 779, बसपा के नारायण त्रिपाठी को 1,85,618 वोट मिले हैं। इस सीट पर जीत का अंतर 84949 रहा।