बाला-बाला बिक गईं,सस्ती सरकारी दाल, करोड़ों रुपए का वारा-न्यारा

भोपाल । गरीबों के लिए सरकार योजना बनाती है। गरीबों के नाम पर उसका लाभ अमीरों की तिजोरी में पहुंच जाता है।गरीबों को बताया जाता है, उनके लिए सरकार बड़ी-बड़ी…

बाला-बाला बिक गईं,सस्ती सरकारी दाल, करोड़ों रुपए का वारा-न्यारा

भोपाल । गरीबों के लिए सरकार योजना बनाती है। गरीबों के नाम पर उसका लाभ अमीरों की तिजोरी में पहुंच जाता है।गरीबों को बताया जाता है, उनके लिए सरकार बड़ी-बड़ी योजनाएं चला रही है।
केंद्र सरकार द्वारा सस्ती दाल योजना संचालित की जा रही है।एक परिवार को अधिकतम 5 किलो दाल बेचने का नियम है। जिसको दाल दी जाएगी, उसका मोबाइल नंबर आवश्यक रूप से दर्ज किया जाएगा। बाजार में 90रूपये किलो चना दाल बिक रही है। सस्ती दाल योजना में 60 रूपये किलो में यह दाल गरीबों को दी जानी है.
नीय प्रशासन और नाफेड के अधिकारियों ने मिलकर सस्ती दाल का वितरण कर दिया। फर्जी मोबाइल नंबर दर्ज कर दिए। कोई मोबाइल उत्तर प्रदेश का है, कोई बिहार का है, कोई छत्तीसगढ़ का है।
होशंगाबाद जिले मे हुई दाल बिक्री के मामले मे हुई गड़बड़ी का खुलासा हुआ है।जिसमें फर्जी मोबाइल नंबरों के आधार पर सस्ती चना दाल का वितरण बताया गया है। इस योजना में मार्केट में गाड़ी खड़ी करके मोबाइल नंबर के आधार पर सस्ती दाल गरीबों को उपलब्ध कराई जानी थी ।इस योजना में करोड़ों रुपए का घोटाला हो रहा है।
केंद्र द्वारा संचालित योजना का लाभ गरीबों को नहीं मिल रहा है।उनके स्थान पर दाल बड़े कारोबारिओं को महंगी दामों पर बेच दी जाती है। कागजों पर योजना बनती है। कागजों में संचालित हो जाती है। गरीबों के नाम पर बनी योजनाओं का लाभ अमीरों तक पहुंचा दिया जाता है। भ्रष्ट अधिकारियों की जेब भर जाती है, यही सच है।
जब इस मामले का खुलासा हुआ। तब नाफेड के अधिकारी और जिला प्रशासन के अधिकारी अब योजना के अंतर्गत विक्रय की गई दाल मे हुई गड़बड़ी की जांच कराने की बात कह रहे हैं। जांच के नाम पर पर भी किस तरह का भ्रष्टाचार होता है। नर्सिंग घोटाले मे यह उजागर हो गया है।