जल जीवन मिशन से वंचित मजरे टोलों की बदलेगी तस्वीर

भोपाल । हर घर नल से जल पहुंचाने के सपने को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वर्ष 2019 में शुरू किए गए जल जीवन मिशन में मप्र…

जल जीवन मिशन से वंचित मजरे टोलों की बदलेगी तस्वीर

भोपाल । हर घर नल से जल पहुंचाने के सपने को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वर्ष 2019 में शुरू किए गए जल जीवन मिशन में मप्र के 51 हजार गांव शामिल हो गए हैं। इन गांवों के एक करोड़ 11 लाख 86 हजार 778 घर इस योजना से लाभान्वित होंगे। वर्तमान में 67 लाख 88 हजार 570 घरों तक नल से जल पहुंच रहा है। लेकिन प्रदेश में करीब 5 हजार मजरे-टोलों के 7.50 लाख घर जल जीवन मिशन में शामिल होने से छूट गए थे। अब इन्हें योजना में शामिल कर लिया गया है। इन मजरे टोलों में नल से जल पहुंचाने पर 1500 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
गौरतलब है कि हर घर में नल से पानी पहुंचने से गांवों की तस्वीर धीरे-धीरे बदल रही है। अब कई किमी दूर से नदी या कुएं से पानी लाने के लिए जद्दोजहद नहीं करनी पड़ती है।  प्रदेश में जल जीवन मिशन में एक करोड़ 11 लाख घरों तक नल से जल पहुंचाए जाने का लक्ष्य है। इनमें से 67 लाख घरों में नल से पानी की सप्लाई शुरू हो गई है। यह लक्ष्य का 63 प्रतिशत है। शेष 44 लाख घरों तक नल से पानी पहुंचाने के लिए काम चल रहा है। प्रदेश में बुरहानपुर और निवाड़ी जिले के शत-प्रतिशत गांवों में नल से पानी की सप्लाई की जा रही है।

 5 हजार मजरे-टोलों की भी बदलेगी तस्वीर


गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने जल जीवन मिशन के तहत देश के एक-एक गांव के प्रत्येक घर तक नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य रखा है, लेकिन मध्य प्रदेश में करीब 5 हजार मजरे-टोलों के 7.50 लाख घर जल जीवन मिशन में शामिल होने से छूट गए। सरकार ने इन मजरे-टोलों को जल जीवन मिशन में शामिल कराने की तैयारी कर ली है। इन मजरे टोलों में नल से जल पहुंचाने पर 1500 करोड़ रुपए खर्च होंगे। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर रहा है, जिसे जल्द ही कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा। कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद प्रस्ताव को केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। देश में जल जीवन मिशन वर्ष 2019 में शुरू हुआ था। इसमें मध्य प्रदेश के 55 हजार से ज्यादा गांवों को शामिल किया गया था, लेकिन करीब 5 हजार मजरे- टोले जल जीवन मिशन में शामिल होने से छूट गए। इन मजरे-टोलों में घरों की संख्या 7.50 लाख है। इन मजरे- टोलों में न तो पानी की टंकियां बनाई जा रही हैं और न ही पाइप। लाइन बिछाई जा रही है। पीएचई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जब जल जीवन मिशन के तहत कार्य की योजना बनाई गई और ठेकेदारों को काम सबलेट किया गया था, तब ये मजरे-टोले अस्तित्व में नहीं थे। अब ऐसे मजरे-टोलों को सूचीबद्ध किया गया है और उन्हें जल जीवन मिशन में शामिल किया जाएगा। इन मजरे-टोलों में नल से पानी पहुंचाने पर करीब 1500 करोड़ रुपए खर्च होंगे। सचिव लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी पी. नरहरि का कहना है कि बचे हुए 5 हजार मजरे-टोलों को जल जीवन मिशन में शामिल कराने को लेकर प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। इसे कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा।

 

विधानसभा में छाया जल जीवन मिशन


विधानसभा में जल जीवन मिशन में कथित भ्रष्टाचार का मुद्दा उठने के बाद पीएचई के प्रयास शुरू कर दिए हैं। सभी कलेक्टरों विभाग ने इस संबंध में विधायकों के समक्ष वस्तु स्थिति स्पष्ट करने को निर्देश दिए गए हैं कि वे जिला जल एवं स्वच्छता समिति की बैठक कर विधायकों को आमंत्रित करें और उन्हें जल जीवन मिशन की गतिविधियों से अवगत कराएं। साथ ही छूटे हुए मजरों-टोलों के संबंध में जानकारी दें। अब तक 20 जिलों में समिति की बैठकें हो चुकी हैं। पक्ष-विपक्ष के विधायकों ने इस महीने की शुरुआत में विधानसभा के मानसून सत्र में 100 से अधिक प्रश्न पूछे थे, जिसमें बताया गया था कि उनके विधानसभा क्षेत्रों के कई इलाकों में योजना के तहत पानी की आपूर्ति नहीं की जा रही है और जल जीवन मिशन में कथित अनियमितताएं हैं। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने 4 जुलाई को विधानसभा में बजट भाषण पर हुई चर्चा के जवाब में जल जीवन मिशन के कार्यों में गड़बड़ी होने की बात स्वीकारी थी।