शेयर बाजार में स्कैम? दिग्गज कारोबारी ने निवेशकों को चेताया, SEBI से जांच की मांग…
भारत का शेयर बाजार एक बार फिर बड़े स्कैम के लपेटे में आ सकता है। यह दावा देश के दिग्गज कारोबारी हर्ष गोयनका ने किया है। गोयनका के मुताबिक शेयर…
भारत का शेयर बाजार एक बार फिर बड़े स्कैम के लपेटे में आ सकता है।
यह दावा देश के दिग्गज कारोबारी हर्ष गोयनका ने किया है। गोयनका के मुताबिक शेयर बाजार में हर्षद मेहता और केतन पारेख के दौर की गड़बड़ियां दिख रही हैं।
इसके साथ ही उन्होंने शेयर बाजार को रेग्युलेट करने वाले संस्था सेबी के अलावा वित्त मंत्रालय से दखल देने की भी मांग की है।
बता दें कि हर्ष गोयनका आरपीजी समूह के चेयरमैन हैं। यह समूह इंफ्रा, ऑटोमोटिव, आईटी के अलावा फार्मा, एनर्जी समेत कई सेक्टर में सक्रिय है।
शेयर बाजार पर गोयनका ने क्या कहा
कारोबारी हर्ष गोयनका ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर शेयर बाजार में स्कैम के डर का जिक्र किया। उन्होंने लिखा-शेयर बाजार की तेजी के बीच हर्षद मेहता और केतन पारेख के दौर की गड़बड़ियां वापस आ गई हैं।
कोलकाता का जिक्र करते हुए गोयनका ने दावा किया कि प्रमोटर्स, गुजराती-मारवाड़ी ब्रोकर्स के साथ सांठगांठ करके अपने स्टॉक की कीमतों को बढ़ाकर अवास्तविक स्तर पर ले जा रहे हैं।
इसके साथ ही गोयनका ने सेबी और वित्त मंत्रालय से हस्तक्षेप की मांग की। उन्होंने कहा कि छोटे निवेशकों को बड़े नुकसान होने से पहले सेबी और वित्त मंत्रालय को इस तरह के मामलों की जांच करनी चाहिए।
शेयर बाजार का क्या है हाल
हर्ष गोयनका का यह दावा ऐसे समय में आया है जब शेयर बाजार अपने ऐतिहासिक स्तर पर कारोबार कर रहा है। हालांकि, बीते 3 मई को बेंचमार्क सूचकांक- सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट आई।
सेंसेक्स 75,095.18 अंक के दिन के उच्चतम स्तर से 1,457.80 अंक की गिरावट के साथ 73,637.38 अंक के निचले स्तर पर आ गया।
निवेशकों को बीएसई बाजार पूंजीकरण में गिरावट के कारण करीब 3.21 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इसी दौरान निफ्टी 22,794.70 के नए रिकॉर्ड स्तर से 1.02 प्रतिशत की गिरावट के साथ 22,416.50 पर बंद हुआ।
केतन पारेख और हर्षद मेहता स्कैम
केतन पारेख, हर्षद मेहता को भारतीय शेयर बाजार के दो चर्चित स्कैम के तौर पर जाना जाता है।
इस वजह से शेयर बाजार भरभरा गया और इससे छोटे निवेशकों को बड़ा नुकसान हुआ। इन दोनों स्कैम की वजह से ना सिर्फ सेबी को नियमों में बदलाव करने पड़े बल्कि रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय ने भी कई नियम बदले।