महंगा होटल, बिजनेस क्लास टिकट; जब 3 IAS अधिकारियों ने पेरिस में उड़ाया टैक्सपेयर्स का रुपया…
आम करदाताओं के पैसों पर पेरिस में मौज उड़ाने के चलते 3 वरिष्ठ IAS अधिकारी निशाने पर आ गए हैं। खबर है कि चंडीगढ़ में डाटरेक्टर जनरल ऑफ ऑडिट (सेंट्रल)…
आम करदाताओं के पैसों पर पेरिस में मौज उड़ाने के चलते 3 वरिष्ठ IAS अधिकारी निशाने पर आ गए हैं।
खबर है कि चंडीगढ़ में डाटरेक्टर जनरल ऑफ ऑडिट (सेंट्रल) की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि तीनों अधिकारियों ने तय राशि से ज्यादा खर्च किया।
इसमें बिजनेस क्लास के टिकट, एक दिन के कार्यक्रम में सात दिनों तक पेरिस में रुकना शामिल है।
मामला जून 2015 का बताया जा रहा है। निशाने पर आए तीन अधिकारियों के नाम विजय कुमार दत्त (तब चंडीगढ़ के प्रशासक के सलाहकार), अनुराग अग्रवाल (तब चंडीगढ़ के गृह सचिव) और विक्रम देव दत्त हैं।
तीनों अधिकारी फंड्स का गलत इस्तेमाल करने के चलते स्क्रूटनी का शिकार हो गए हैं। तीनों ने 6 लाख 72 हजार रुपये ज्यादा खर्च किए।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, तीनो कथित तौर पर पेरिस में तय से ज्यादा दिन रुके, होटल अपग्रेड किया और एक-दूसरे की ट्रिप पर मुहर लगाई।
क्या था मामला
दरअसल, साल 2015 में चंडीगढ़ प्रशासन को पेरिस से एक मीटिंग का न्योता आया, जो आर्किटेक्ट ले कॉर्ब्युसर की 50वीं सालगिरह के मौके पर रखी गई थी।
आर्किटेक्ट भी चंडीगढ़ मास्टर प्लान में शामिल रहे थे। इसपर प्रशासन ने चार लोगों का जाना तय किया। गृहमंत्रालय ने विजय देव, विक्रम देव दत्त और अनुराग अग्रवाल के सर्टिफिकेट्स मांगे थे।
अब ऑडिट रिपोर्ट से पता चला है कि अधिकारी एक दूसरे की यात्राओं पर मुहर लगा रहे थे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, विजय देव ने विक्रम दत्त की ट्रिप को मंजूरी दी। वहीं, दत्त ने देव की ट्रिप पर मुहर लगाई।
विजय देव ने अनुराग अग्रवाल की ट्रिप को मंजूरी दी थी। ऑडिट रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि यात्रा का शुरुआती बजट 18 लाख रुपये का था, जो बढ़कर 25 लाख रुपये पर पहुंच गया। इसमें बिजनेस क्लास के टिकट करीब 1.77-1.77 लाख रुपये थे।
रिपोर्ट में यह भी पता चला है कि पहले ट्रिप सिर्फ एक ही दिन की थी, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर सात दिनों का कर दिया, जिसमें ठीक तरह से अनुमति भी हासिल नहीं की गई थी।
अधिकारियों ने नियमों का भी उल्लंघन किया था। ऑडिट रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि न्योता चंडीगढ़ के चीफ आर्किटेक्ट के लिए था। इसके बजाए तीन सचिव स्तर के अधिकारी कार्यक्रम में शामिल हुए।
फिलहाल, इन तीनों में से एक अधिकारी रिटायर हो चुके हैं। जबकि, दो अन्य को ट्रांसफर हो चुके हैं और अलग-अलग पदों पर हैं। ऑडिट रिपोर्ट सामने आने के बाद चंडीगढ़ प्रशासन ने गलत खर्च को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं।