इजरायली जेल में 21 साल से कैद बरगौटी बनेंगे फिलिस्तीनी राष्ट्रपति! रिहाई पर अड़ा है हमास…
इजरायल और हमास के बीच चल रहे भीषण युद्ध के बीच ऐसी खबरें आई थीं कि रमजान से पहले दोनों के बीच चार सप्ताह का सीजफायर हो सकता है। अमेरिकी…
इजरायल और हमास के बीच चल रहे भीषण युद्ध के बीच ऐसी खबरें आई थीं कि रमजान से पहले दोनों के बीच चार सप्ताह का सीजफायर हो सकता है।
अमेरिकी दावे के बावजूद इस समझौते के आसान काफी कम नजर आ रहे हैं। कारण है- हमास और इजरायल का एक-दूसरे पर अपनी मांगों को थोपना।
हमास जिद पर अड़ा है कि इजरायल गाजा शहर पर हमले पूरी तरह से रोक दे और उसकी जेल में बंद फिलिस्तीनियों की रिहाई सुनिश्चित करे।
हमास ने कैदियों की रिहाई में मारवान अल-बरगौटी की भी पैरवीं की है, यह फतह आंदोलन करने वाले अग्रणी नेताओं में एक हैं, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि वह अगले फिलिस्तीनी राष्ट्रपति हो सकते हैं।
हमास के साथ सीजफायर को लेकर चल रही बातचीत में इजरायल ने दो टूक शब्दों में कहा है कि वह किसी भी सूरत में गाजा शहर पर हमले नहीं रोकेगा।
इजरायली राष्ट्रपति बेंजामिन नेतन्याहू लगातार अपनी कसम दोहरा रहे हैं कि हमास के हर गुर्गे के खात्मे तक जंग खत्म नहीं होगी।
गाजा शहर में इजरायली सैनिकों का कत्लेआम जारी है। इस जंग में अकेले गाजा शहर से कम से कम 30 हजार लोग मारे जा चुके हैं। इसमें महिलाएं और बच्चों की तादाद ज्यादा है।
बरगौटी की रिहाई पर अड़ा हमास
अमेरिका और कतर के माध्यम से हमास और इजरायल में रमजान से पहले सीजफायर को लेकर बातचीत चल रही है।
इजरायली नागरिकों की रिहाई के बदले में इजरायल में फिलिस्तीनी कैदियों को मुक्त करने की संभावना ने फतह आंदोलन के नेता मारवान अल-बरगौती को सुर्खियों में ला दिया है।
बीबीसी उर्दू की रिपोर्ट के मुताबिक, हाल के दिनों में उनका नाम फिलिस्तीनी प्राधिकरण के संभावित नए राष्ट्रपति के रूप में सामने आया है। हमास का कहना है कि कैदियों और बंधकों की अदला-बदली पर किसी भी नए समझौते के तहत उन्हें हर हाल में रिहा किया जाना चाहिए।
हमास नेता ओसामा हमदान ने बीबीसी अरबी को बताया कि ‘एक आंदोलन के रूप में हमने एक स्पष्ट रुख अपनाया है, जिस पर हम अभी भी कायम हैं।
इजरायली जेलों में बंद सभी फिलिस्तीनी कैदियों और बंदियों को बिना किसी शर्त के रिहा किया जाना चाहिए।’ ओसामा हमदान ने कहा कि ‘हम इसे एक राष्ट्रीय मिशन मानते हैं कि फिलिस्तीन के लिए बलिदान देने वाले किसी भी कैदी के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए।’ ऑपरेशन वफ़ा-उल-अहरार में भी हमने ऐसा ही किया।’
गौरतलब है कि हमास 2006 के इजरायली सैन्य गिलाद शालित और फिलिस्तीनी कैदी विनिमय अभियान के लिए वफ़ा अल-अहरार नाम का प्रयोग करता है।
कौन हैं बरगौटी
इजरायली अखबार मारिव के मुताबिक, पिछले साल फरवरी में इजरायली जेल प्रशासन को जानकारी मिली थी कि मारवान अल-बरगौटी विभिन्न तरीकों से पश्चिमी जॉर्डन में अशांति पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं और इसके बाद से इजारयल ने उन्हें एकांत कारावास में डाल दिया।
मारवान अल-बरगौटी ने 15 साल की उम्र में फतह आंदोलन में शामिल होकर अपनी राजनीतिक गतिविधियां शुरू कीं थी। तब यासिर अराफात फतह आंदोलन के प्रमुख थे।
जैसे-जैसे उनका राजनीतिक करियर आगे बढ़ा, उन्होंने फिलिस्तीनी संघर्ष के लिए अपना संघर्ष बढ़ाया।