बालोद के ग्राम पीपरछेड़ी में नए स्कूल भवन और शिक्षकों की भर्ती की मांग को लेकर पैरेंटस ने की तालाबंदी
बालोद छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के ग्राम पीपरछेड़ी में नए स्कूल भवन और शिक्षकों की भर्ती की मांग को लेकर गांव के निवासियों और छात्र-छात्राओं ने प्राइमरी और हाई स्कूल…
बालोद
छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के ग्राम पीपरछेड़ी में नए स्कूल भवन और शिक्षकों की भर्ती की मांग को लेकर गांव के निवासियों और छात्र-छात्राओं ने प्राइमरी और हाई स्कूल में तालाबंदी कर दी। प्रदर्शनकारियों ने स्कूल के गेट के बाहर एकत्र होकर जमकर नारेबाजी की और जिला शिक्षा अधिकारी के खिलाफ "हाय हाय" के नारे लगाए। इस दौरान करीब 200 से अधिक ग्रामीण, शाला समिति के सदस्य, पालक और छात्र उपस्थित थे।
तालाबंदी की सूचना मिलते ही एसडीएम प्रतिमा ठाकरे, जिला शिक्षा अधिकारी पीसी मरकले, तहसीलदार आशुतोष शर्मा, बीईओ बसंत बाघ सहित पुलिस की टीम भी मौके पर पहुंच गई। अधिकारियों ने ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन ग्रामीण और छात्र अपनी मांगों को लेकर अड़े रहे।
गौरतलब है कि 26 सितंबर को ग्रामीणों ने नए हायर सेकेंडरी स्कूल भवन के निर्माण और व्याख्याताओं, भृत्यों सहित रिक्त 13 पदों को भरने के लिए जिला प्रशासन को एक ज्ञापन सौंपा था। उन्होंने चेतावनी दी थी कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं, तो वे तालाबंदी करेंगे।
इस प्रदर्शन के दौरान, जब एसडीएम प्रतिमा ठाकरे ने ग्रामीणों को समझाने के लिए उनसे पूछा कि वे किस राजनीतिक पार्टी से संबंधित हैं, कांग्रेस या भाजपा। इस सवाल पर ग्रामीण भड़क उठे। एसडीएम ने कहा कि यदि वे भाजपा के समर्थक हैं, तो उनकी सरकार है, ऐसे में तालाबंदी करने की कोई आवश्यकता नहीं है। इस टिप्पणी ने ग्रामीणों के बीच आक्रोश उत्पन्न कर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे किसी पार्टी से नहीं हैं, बल्कि बच्चों के भविष्य के लिए लड़ रहे हैं।
एसडीएम के सवाल पर उपसरपंच ने जताई नाराजगी
उपसरपंच खेमराज पूरी गोस्वामी ने इस स्थिति पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि एक सक्षम अधिकारी को ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, "हमारा गांव कभी विवादित नहीं रहा, और हम सभी भाईचारे से रहते हैं। एसडीएम द्वारा फुट डालने का प्रयास किया गया है।" उन्होंने यह भी कहा कि एसडीएम ने सरपंच से कहा था कि अगर वह भाजपा के हैं, तो चुप रहें। गांव के निवासियों ने स्पष्ट किया कि वे किसी भी राजनीतिक विवाद में नहीं पड़ना चाहते, बल्कि बच्चों के भविष्य के लिए सभी मिलकर संघर्ष कर रहे हैं।