वास्तुशास्त्र के अऩुसार करें रसोईघर और शौचालय का निर्माण
हमेशा अपने घर को बनाते समय वास्तु का ध्यान रखें क्योंकि अगर ऐसा नहीं होगा तो हमें घर में भी सुख शांति नहीं मिल पाएगी और सफलता की संभावनाएं भी…
हमेशा अपने घर को बनाते समय वास्तु का ध्यान रखें क्योंकि अगर ऐसा नहीं होगा तो हमें घर में भी सुख शांति नहीं मिल पाएगी और सफलता की संभावनाएं भी कम होने लगेंगी। प्राचीन समय में वास्तु शास्त्र का ध्यान रखा जाता था। वास्तु शास्त्र निर्माण की हर कमी का अध्ययन करता है। जिस प्रकार भवन निर्माण के दौरान हर सही निर्णय आपको लाभ पहुंचा सकता है, उसी तरह गलत निर्माण नुकसान भी पहुंचा सकता है। वास्तुशास्त्र के जानकारों के अनुसार अऩुसार रसोईघर और शौचालय के निर्माण से जुड़ी कुछ ऐसी बाते हैं जिनका खयाल रखकर हम न केवल वास्तुदोष के नकारात्मक असर को कम या खत्म कर सकते हैं बल्कि सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ा सकते हैं।
आग्नेय कोण [दक्षिण-पूर्व] का तत्व अग्नि होता है और अग्नि का पानी से परम विरोध है। इसिलए आग्नेय कोण में किचन होना चाहिए ।
खाना बनाना और शौचालय ये दोनों विपरीत बातें हैं। इसलिए आग्नेय कोण में स्नान कक्ष या शौचालय का होना गम्भीर वास्तु दोष की श्रेणी में आता है। ऐसे में घर का निर्माण करते समय इसका विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है।
नहाते समय हमारा मुंह अगर पूर्व या उत्तर है तो लाभदायक माना जाता है। इसलिए बाथरूम बनाते समय इसी के अऩुसार टोंटी लगाना लाभप्रद होगा।
शौच करते समय हमारा मुंह उत्तर या दक्षिण की ओर होना चाहिए इसलिए लैट्रिन सीट को उत्तर या दक्षिण मुखी लगाना चाहिए। यह नकारात्मक ऊर्जा को नियंत्रित करता है।
बाथरूम में वाश बेसिन को उत्तर या पूर्वी दीवाल पर लगाना लाभप्रद रहता है।
शौचालय में गीजर को अग्नि कोण में लगाना चाहिए। इसी तरह बाथरूम में दर्पण को उत्तर या पूर्वी दीवाल पर लगाना चाहिए।
अगर आपका शौचालय सही दिशा में बना है लेकिन साफ-सुथरा नही है तो इसे ज्यादा दोषपूर्ण माना जाता है। इसलिए शौचालय की विशेष रूप से सफाई रखें।
शौचालय में बाथ टब नैरित्य कोण दक्षिण-पश्चिम में लगाना चाहिए
शौचालय के अंदर गंदे कपड़े वायव्य कोण उत्तर-पश्चिम में रखना चाहिए