शिव को गेहूं चढ़ाने से होगी आज्ञाकारी पुत्र की प्राप्ति, जानिए भोलेनाथ को क्यों पसंद है सावन का महीना

जयपुर. इस बार सावन में 5 सोमवार रहेंगे. इसमें अनेकों शुभ योग भी बन रहे हैं. पंडित घनश्याम शर्मा ने बताया कि सोम का अर्थ चंद्रमा से होता है और…

शिव को गेहूं चढ़ाने से होगी आज्ञाकारी पुत्र की प्राप्ति, जानिए भोलेनाथ को क्यों पसंद है सावन का महीना

जयपुर. इस बार सावन में 5 सोमवार रहेंगे. इसमें अनेकों शुभ योग भी बन रहे हैं. पंडित घनश्याम शर्मा ने बताया कि सोम का अर्थ चंद्रमा से होता है और चंद्रमा भगवान शिव को अधिक प्रिय है, जिन्हें वह मस्तक पर धारण करते हैं. इसलिए भगवान शिव को सोमवार का दिन अधिक प्रिय होता है.

ज्योतिष के अनुसार जब सनत कुमारों ने महादेव से श्रावण महीना प्रिय होने का कारण पूछा तो महादेव भगवान शिव ने बताया कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योग शक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था. अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया. पार्वती ने युवावस्था में श्रावण महीने में निराहार रह कर कठोर व्रत किया था.

सुख-समृद्धि पाने के लिए शिवलिंग पर चढ़ाएं ये चीजें

(1). सावन के सोमवार के दिन यदि आप किसी तीर्थ या गंगा नदी से निकले जल से शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं तो ऐसे लोगों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और शिवलिंग पर लगातार जल चढ़ाने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और बीमारियां दूर होती है.
(2). अगर कोई व्यक्ति शारीरिक रूप से कमजोर, थका हुआ और बीमार महसूस करता है तो उसे शिवलिंग पर गाय के दूध से बना शुद्ध घी चढ़ाना चाहिए, ऐसा करने से मानसिक और शारीरिक शक्ति बढ़ती है.
(3). शिवलिंग पर दही चढ़ाने से लोगों को सभी प्रकार की धन-संपत्ति प्राप्त होती है और परिवार में खुशहाली बनी रहती है. भगवान शिव को कुशा का जल या सुगंधित इत्र आदि चढ़ाने से सभी रोग और दोष दूर हो जाते हैं.
(4). अगर सोमवार के दिन भगवान शिव को गन्ने का रस अर्पित किया जाए तो मां लक्ष्मी अपार कृपा और सांसारिक सुख प्रदान करती हैं.
(5). शिवलिंग पर दूध-चीनी मिश्रित जल चढ़ाने से अच्छी बुद्धि मिलती है, बच्चों का दिमाग तेज होता है और वे सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचते हैं. वहीं शिवलिंग पर शमी के पत्ते चढ़ाने से शनि ग्रह के दुष्प्रभाव से मुक्ति मिलती है. लेकिन यह सलाह केवल उन्हीं लोगों को अपनानी चाहिए जिनकी कुंडली में शनि ग्रह नीच स्थिति में है और उसके बुरे प्रभाव से पीड़ित है.