विराट कोहली से 4 साल में कैसे आगे निकले जो रूट: इंग्लैंड की फ्लैट पिचें और टेस्ट क्रिकेट पर फोकस
इंग्लैंड के जो रूट 34 टेस्ट सेंचुरी लगाकर इतिहास रच चुके हैं, वे इंग्लैंड की ओर से सबसे ज्यादा शतक लगाने वाले बैटर हैं। उनकी निगाह अब टेस्ट में सचिन…
इंग्लैंड के जो रूट 34 टेस्ट सेंचुरी लगाकर इतिहास रच चुके हैं, वे इंग्लैंड की ओर से सबसे ज्यादा शतक लगाने वाले बैटर हैं। उनकी निगाह अब टेस्ट में सचिन तेंदुलकर के 51 शतक और 15,921 रन के रिकॉर्ड को तोड़ने पर है। 33 साल के रूट ने टेस्ट रन और शतक के मामले में विराट कोहली (29 शतक) को बहुत पीछे छोड़ दिया है।
दिसंबर 2019 तक एक्टिव प्लेयर्स में कोहली सबसे ज्यादा टेस्ट शतक लगाने वाले प्लेयर थे, तब रूट टॉप-5 में भी नहीं थे। फिर पिछले 4 सालों में रूट ने 17 सेंचुरी लगाईं और एक्टिव प्लेयर्स में टॉप पर पहुंच गए। कोहली इस दौरान 2 सेंचुरी ही लगा सके।
स्टोरी में 4 पॉइंट्स से जानेंगे कि पिछले 4 साल में रूट ने ऐसा क्या अलग किया, जिससे वे टेस्ट में बेस्ट बन गए। उन्होंने कोहली ही नहीं ऑस्ट्रेलिया के स्टीव स्मिथ और न्यूजीलैंड के केन विलियमसन जैसे मॉडर्न डे ग्रेट्स को भी पीछे छोड़ दिया।
1. एक ही फॉर्मेट पर फोकस करते हैं रूट
जो रूट ने 13 दिसंबर 2012 को भारत के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया। एक महीने में उन्होंने वनडे और टी-20 डेब्यू भी कर लिया। 2018 तक रूट तीनों फॉर्मेट खेलते रहे, लेकिन मई 2019 से मैनेजमेंट ने उन्हें टी-20 से बाहर कर दिया।
रूट को वनडे में भी ज्यादा मौके नहीं मिले, लेकिन उन्होंने टेस्ट कभी मिस नहीं किए। 2019 से इंग्लैंड ने 69 टेस्ट खेले, रूट इनमें 68 का हिस्सा रहे, इंजरी के कारण वे एक मैच नहीं खेल सके। जबकि इन 6 सालों में रूट 50 वनडे और 4 ही टी-20 खेल सके। इंग्लैंड ने इस दौरान लिमिटेड ओवर्स के 163 मैच खेले।
दूसरी ओर विराट डेब्यू के बाद से ही तीनों फॉर्मेट पर फोकस कर रहे हैं। 2019 से भारत ने 47 टेस्ट खेले, विराट ने इनमें टीम में सबसे ज्यादा 37 में हिस्सा लिया। भारत ने 105 वनडे खेले तो विराट ने यहां भी टीम में सबसे ज्यादा 79 में हिस्सा ले लिया। यहां तक कि उन्होंने भारत के 125 में से 60 टी-20 भी खेले। सिर्फ टी-20 क्रिकेट खेलने वाले सूर्यकुमार यादव भी इस दौरान 71 मैच ही खेल सके।
अंतर साफ है, एक ही फॉर्मेट खेलने के कारण रूट अपना सारा ध्यान टेस्ट में रन और शतक बनाने पर लगा पा रहे हैं। दूसरी ओर, विराट तीनों फॉर्मेट में टीम के लिए कॉन्ट्रिब्यूट कर रहे थे। कोहली ने अब टी-20 से रिटायरमेंट ले लिया है, वनडे मैचों की संख्या भी घट गई है, ऐसे में उनके पास टेस्ट में अपना पीक पाने का सुनहरा मौका है।
2. साल में भारत से ज्यादा टेस्ट खेलता है इंग्लैंड
टेस्ट खेलने वाले 12 देशों में इंग्लैंड सबसे ज्यादा मैच खेलता है। टीम ने इसी साल 10 टेस्ट खेल लिए और उन्हें 7 टेस्ट और खेलने हैं, यानी 2024 में 17 टेस्ट। 2019 के बाद से तो इंग्लैंड ने 69 और ऑस्ट्रेलिया ने 49 टेस्ट खेले हैं, जबकि भारत 47 टेस्ट ही खेल सका।
ज्यादा टेस्ट खेलने के कारण ही 33 साल के रूट ने 11 साल के करियर में 145 मैच खेल लिए। जिसके चलते उन्हें टेस्ट में रन बनाने के ज्यादा मौके भी मिले। जबकि 35 साल के विराट 13 साल के करियर में भी 113 टेस्ट ही खेल सके। इंग्लैंड हर साल 12 से 18 टेस्ट खेलता है, जबकि भारत 8 से 12 टेस्ट ही खेल पाता है। पिछले कुछ सालों में आंकड़े जरूर बढ़े, लेकिन इंग्लैंड की बराबरी अब भी दूर है।
3. बैजबॉल की पिचों ने दिया रूट का साथ
मई 2022 में न्यूजीलैंड के ब्रेंडन मैक्कुलम इंग्लैंड टेस्ट टीम के कोच बने। रूट के कप्तानी छोड़ने के बाद बेन स्टोक्स इंग्लैंड के कप्तान बन गए। तभी से इंग्लैंड ने अटैकिंग बैटिंग का अप्रोच अपना लिया, लेकिन इसके लिए टीम ने अपनी घरेलू पिचें भी बदल दीं। इसे इंग्लैंड ने बैजबॉल का नाम भी दिया। 2022 तक इंग्लैंड में पिच पर घास होती थी, तेज गेंदबाजों को मदद मिलती थी और स्विंग के चलते रन बनाना मुश्किल होता था।
बैजबॉल आने के बाद इंग्लैंड में हर पिच फ्लैट हो गईं, रन बनाना आसान हुआ और विकेट लेना बहुत मुश्किल। रूट ने इसका फायदा उठाया और घर पर 18 ही टेस्ट में 7 शतक लगा दिए, जबकि विदेश के 10 टेस्ट में वह 2 ही सेंचुरी लगा सके। बैजबॉल के बाद रूट इंग्लैंड में हर 5 टेस्ट में 2 शतक लगा रहे हैं। इससे पहले उन्हें 2 शतक लगाने के लिए 8 टेस्ट खेलने पड़ते थे।
दूसरी ओर, भारत ने फरवरी 2021 में इंग्लैंड सीरीज से ही अपनी पिचों को बदलना शुरू कर दिया। पहले मैच में शुरुआती 2-3 दिन बैटिंग आसान होती थी, आखिरी 2 दिन स्पिन को मदद मिलती थी। लेकिन पिछले 4 साल से मुकाबले के पहले दिन से गेंद घूमने लग जाती है, जिससे रन बनाना बहुत मुश्किल हो गया है। इससे विराट ही नहीं दुनियाभर के बैटर्स भी भारत में रन बनाने के लिए तरस जा रहे हैं।
पिछले 3 साल में विराट घर पर एक ही सेंचुरी लगा सके। इस दौरान बाकी 87 प्लेयर्स मिलकर भी 14 टेस्ट में 19 शतक ही लगा सके। इनमें भी विदेशी प्लेयर्स 6 शतक ही लगा पाए। जबकि 2011 से 2021 तक भारत में 48 टेस्ट में 92 सेंचुरी लग गई थी। यानी पहले जहां हर 2 टेस्ट में करीब 4 शतक लगते थे, अब 2 टेस्ट में 3 ही शतक लगते हैं। हालांकि, एक बात जरूर है, विराट पिछले 3 साल से विदेश में भी एक ही शतक लगा सके।
इंग्लैंड में रूट के नाम 21 शतक हैं, उन्होंने भारत, श्रीलंका, साउथ अफ्रीका और न्यूजीलैंड में 9 सेंचुरी लगाईं, लेकिन ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, पाकिस्तान और UAE में एक भी शतक नहीं लगा सके। दूसरी ओर, विराट ने बांग्लादेश के अलावा जिस भी देश में क्रिकेट खेला, वहां शतक लगाया। ऑस्ट्रेलिया में तो उनके नाम 6, जबकि इंग्लैंड, साउथ अफ्रीका और न्यूजीलैंड में 5 सेंचुरी हैं। यानी घरेलू पिचें न मिलें तो रूट का 40 टेस्ट सेंचुरी तक पहुंचना भी मुश्किल है।
4. लंबे समय तक आउट ऑफ फॉर्म रहे विराट
विराट कोहली ने 23 नवंबर 2019 को बांग्लादेश के खिलाफ अपना 27वां टेस्ट शतक लगाया। 2019 में उन्होंने खूब रन बनाए, लेकिन 2020 से वह आउट फॉर्म हो गए। तीनों फॉर्मेट में सेंचुरी आनी बंद हो गईं, वनडे और टी-20 में विराट रन जरूर बना रहे थे, लेकिन टेस्ट में उनके रन बनना भी बंद हो गए।
3 साल 3 महीने तक विराट 22 टेस्ट में 26.13 की औसत से 993 रन ही बना सके। इनमें उन्होंने 6 फिफ्टी लगाईं, यानी विराट का फॉर्म साफ तौर पर गायब था। भारत में तो रन बनाना मुश्किल था ही, विराट विदेश में भी मुश्किलें झेल रहे थे। फिर मार्च 2023 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्होंने टेस्ट करियर की 28वीं सेंचुरी लगाई, यहां से उन्होंने वेस्टइंडीज जाकर भी शतक लगा दिया।
विराट ने सितंबर 2022 से तीनों फॉर्मेट में रन और शतक बनाना शुरू कर दिया। अगले 6 महीने तक भारत घर में 5 और ऑस्ट्रेलिया में 5 टेस्ट खेलेगा। दोनों ही जगह कोहली के नाम 20 शतक हैं, ऐसे में उन्हें अपना पीक फॉर्म पाने का इससे सुनहरा मौका शायद ही कभी मिल सकेगा।
विराट जब आउट ऑफ फॉर्म हुए, तभी रूट ने टेस्ट में रन और शतक बनाने की आदत सी बना ली। दिसंबर 2019 से उन्होंने 57 टेस्ट में 5000 से ज्यादा रन बना दिए। जिनमें 17 सेंचुरी और 19 फिफ्टी शामिल हैं। उनका औसत भी 55 के करीब रहा, जो 20 प्लस टेस्ट खेलने वाले एक्टिव प्लेयर्स में सबसे ज्यादा है।
फैब-4 के टेस्ट आंकड़ों में सबसे आगे पहुंचे रूट
31 अगस्त 2014 को न्यूजीलैंड के दिग्गज मार्टिन क्रो ने टॉप-4 खिलाड़ियों को पहचाना और उन्हें फैब-4 कहा। इनमें जो रूट और विराट कोहली के साथ न्यूजीलैंड के केन विलियमसन और ऑस्ट्रेलिया के स्टीव स्मिथ को भी रखा। क्रो ने तब कह दिया था कि चारों अगले दशक में क्रिकेट के महान बैटर्स होंगे और अपनी-अपनी टीमों की कप्तानी करेंगे। ऐसा ही हुआ भी।
फैब-4 के वनडे और टी-20 आंकड़ों में विराट से बेहतर कोई भी नहीं है। हालांकि, टेस्ट में कभी स्मिथ, कभी विराट, कभी विलियमसन तो अभी रूट आगे हो गए हैं। दिसंबर 2019 तक विराट ने सबसे ज्यादा 27 टेस्ट शतक लगाए थे। तब स्मिथ के 26, विलियमसन के 21 और रूट के 17 ही शतक थे।
आंकड़े दिसंबर 2019 तक के हैं।
पिछले 4 साल में स्मिथ 6 और विराट 2 ही टेस्ट शतक लगा सके, लेकिन विलियमसन ने इस दौरान 11 और रूट ने 17 शतक लगा दिए। जिसके चलते रूट टेस्ट में विराट ही नहीं स्मिथ और विलियमसन से भी आगे निकल गए। हालांकि, टेस्ट कप्तानी में विराट से बेहतर कोई भी साबित नहीं हुआ।