क्यों खास है ब्रुनेई की ऐतिहासिक सैफुद्दीन मस्जिद, जिसका PM मोदी ने किया दौरा…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के दौरे पर हैं। अपनी यात्रा के पहले दिन मंगलवार को उन्होंने ब्रुनेई के बंदर सेरी बेगवान में स्थित ऐतिहासिक उमर अली सैफुद्दीन…

क्यों खास है ब्रुनेई की ऐतिहासिक सैफुद्दीन मस्जिद, जिसका PM मोदी ने किया दौरा…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के दौरे पर हैं।

अपनी यात्रा के पहले दिन मंगलवार को उन्होंने ब्रुनेई के बंदर सेरी बेगवान में स्थित ऐतिहासिक उमर अली सैफुद्दीन मस्जिद का दौरा किया है।

वहां पहुंचने पर उनका स्वागत ब्रुनेई के धार्मिक मामलों के मंत्री पेहिन दातो उस्ताज हाजी अवांग बदरुद्दीन ने किया। उनके साथ ब्रुनेई के स्वास्थ्य मंत्री हाजी मोहम्मद इशाम भी थे। वहां भारतीय समुदाय के लोग भी मौजूद थे जिन्होंने पीएम मोदी का स्वागत किया।

मस्जिद की खासियत क्या?

यह ऐतिहासिक मस्जिद ब्रुनेई के 28वें सुल्तान उमर अली सैफुद्दीन तृतीय के नाम पर बनी है। उमर अली सैफुद्दीन तृतीय मौजूदा सुल्तान के पिता थे, जिन्होंने इस मस्जिद का निर्माण कार्य शुरू करवाया था और यह 1958 में बनकर तैयार हुआ था।

यह मस्जिद ब्रुनेई में इस्लामी आस्था का प्रतीक केंद्र है। यह आधुनिक इस्लामी वास्तुकला का भी एक उत्तम नमूना है। ये मस्जिद मुगल वास्तुकला और मलय शैलियों का मिश्रण है और इसका डिजाइन वास्तुकार और मूर्तिकार रुडोल्फो नोली ने तैयार किया था।

कृत्रिम लैगून के बीच बना है मस्जिद

मस्जिद की सबसे अलग और बड़ी विशेषता इसका मुख्य गुंबद है, जो शुद्ध सोने से ढका हुआ है। मस्जिद 52 मीटर ऊंची है और इसे बंदर सेरी बेगवान में लगभग कहीं से भी देखा जा सकता है।

ब्रुनेई नदी के तट पर कम्पोंग आयर में एक कृत्रिम लैगून में इसका निर्माण किया गया है। इस मस्जिद में संगमरमर की मीनारें और सुनहरे गुंबद हैं। एक आंगन है और यह बड़ी संख्या में पेड़ों और फूलों के बगीचों से घिरा हुआ है। एक पुल लैगून के पार नदी के बीच में कम्पोंग आयर तक जाता है।

मॉस्कपीडिया के मुताबिक, इस मस्जिद का अंदरूनी हिस्सा सिर्फ़ नमाज़ पढ़ने के लिए है, जिसमें रंगीन कांच की खिड़कियाँ, मेहराब, अर्ध-गुंबद और संगमरमर के स्तंभ जैसी विशेषताएँ हैं। इस मस्जिद के निर्माण में इस्तेमाल की गई लगभग सभी सामग्री विदेशों से आयात की गई थी।

मसलन, इटली से संगमरमर, शंघाई से ग्रेनाइट, इंग्लैंड से क्रिस्टल झूमर और सऊदी अरब से कालीन मंगवाए गए थे। इस मस्जिद में एक मुख्य गुंबद है और 10 मीनारें हैं। यहां एकसाथ 30000 लोग आ सकते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को ही ब्रुनेई में भारतीय उच्चायोग के नए ‘चांसरी’ परिसर का भी उद्घाटन किया और इसे दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों का संकेत बताया।

दो देशों की यात्रा के पहले चरण में आज यहां पहुंचे मोदी ब्रुनेई की द्विपक्षीय यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘भारतीय उच्चायोग के नये ‘चांसरी’ परिसर का उद्घाटन करके प्रसन्न हूं। यह ब्रुनेई दारुस्सलाम के साथ हमारे मजबूत संबंधों का संकेत है। यह भारतीय मूल के लोगों की भी सेवा करेगा।’’

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘भारत-ब्रुनेई संबंधों को मजबूत करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बंदर सेरी बेगवान में भारतीय उच्चायोग के चांसरी (उच्चायोग का एक हिस्सा) भवन का उद्घाटन किया और एक स्मारक पट्टिका का अनावरण किया।’’

विदेश मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में कहा कि इस अवसर पर मोदी ने दीप प्रज्वलित किया तथा पट्टिका का अनावरण किया। 

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