अमेरिका को साधा, रूस को संदेश; यूक्रेन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चीन को भी संकेत…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यूक्रेन दौरा बेहद खास रहा है। इस दौरे से भारत ने कई स्पष्ट संदेश दिए हैं, वहीं कुछ बड़े संकेत भी दिए हैं। इन सबसे बढ़कर…

अमेरिका को साधा, रूस को संदेश; यूक्रेन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चीन को भी संकेत…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यूक्रेन दौरा बेहद खास रहा है। इस दौरे से भारत ने कई स्पष्ट संदेश दिए हैं, वहीं कुछ बड़े संकेत भी दिए हैं।

इन सबसे बढ़कर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत ने अपनी साख को और ज्यादा मजबूत किया है। युद्ध के समय में अभी तक रूस के पक्ष में खड़े दिखाई दे रहे भारत की भूमिका पीएम मोदी के यूक्रेन दौरे के बाद बदल चुकी है।

पीएम मोदी ने स्पष्ट कह दिया है कि वह किसी देश के नहीं, बल्कि शांति के पक्षधर हैं। इतना ही नहीं, भारत ने यहां से अमेरिका, रूस के साथ-साथ चीन को भी एक संदेश दिया है।

मोदी की यूक्रेन की लगभग नौ घंटे की यात्रा, 1991 में यूक्रेन की स्वतंत्रता के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा थी। आइए समझते हैं पीएम मोदी के यूक्रेन दौरे के भारत के लिए मायने क्या रहे…

हम एकपक्षीय नहीं
यूक्रेन की धरती से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट कहा कि वह किसी एक देश के पक्षधर नहीं हैं। पीएम मोदी का यह कहना कि हम न्यूट्रल नहीं, बल्कि शांति के पक्षधर हैं, बड़ा संदेश दे गया। पीएम मोदी ने जेलेंस्की से कहा कि आज मैं आपके साथ शांति और प्रगति के रास्ते पर विशेष रूप से चर्चा करना चाहता हूं।

मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि भारत शांति के हर प्रयास में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार है। यदि मैं व्यक्तिगत रूप से इसमें योगदान दे सकता हूं, तो मैं ऐसा करना चाहूंगा। एक मित्र के रूप में, मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं।

पीएम मोदी की इस यात्रा से भारत अमेरिका समेत पश्विमी देशों को भी साधता नजर आ रहा है। बता दें कि पीएम मोदी की रूस यात्रा के बाद विभिन्न पश्चिमी देशों की भौहें तन गई थीं।

अब यूक्रेन की यात्रा से पीएम मोदी ने संतुलन साधने और सभी पक्षों को शांति के रास्ते पर चलने का संदेश दिया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान से भी यह स्पष्ट हो जाता है, जिसमें उन्होंने कहा है कि पीएम मोदी का यह कदम, शांति और स्थिरता के लिए सभी देशों को एकजुट करने का प्रयास है।

भारत का कद बढ़ेगा
पीएम मोदी की यू्क्रेन यात्रा के वैश्विक मायने भी काफी ज्यादा हैं। जिस तरह से उन्होंने पहले रूस और फिर यूक्रेन की यात्रा की, यह एक बड़े प्रयास का हिस्सा है। खुद यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने शुक्रवार को कहा कि भारत उनके देश और रूस के बीच युद्ध समाप्त कराने के वैश्विक कूटनीतिक प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

जेलेंस्की ने भारत के समर्थन को अहम बताते हुए कहा कि दुनिया में सभी को संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र का समान रूप से सम्मान करना चाहिए। जेलेंस्की ने मोदी के साथ बातचीत के बाद एक्स पर लिखा कि आज इतिहास रचा गया।

jहमारे देश की आजादी के बाद से हमारे स्वतंत्रता दिवस पर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहली बार यूक्रेन की यात्रा की है। उन्होंने कहा कि मैंने आपके बड़े और महान देश के बारे में बहुत कुछ पढ़ा है।

यह बहुत दिलचस्प है। एक युद्धग्रस्त देश का राष्ट्रपति शांति के लिए भारत की तरफ उम्मीद भरी नजरों से देख रहा है। इससे साफ पता चलता है कि ग्लोबल स्तर पर भारत किस तरह से एक मजबूत देश के रूप में उभर रहा है।

भारत ने अपना ग्लोबल नैरेटिव दिया
पीएम मोदी ने यूक्रेन की धरती से एक ग्लोबल नैरेटिव दिया है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि भारत युद्ध का नहीं, बुद्ध का देश है। पीएम ने कहा कि हम महात्मा गांधी की धरती से आते हैं, जिन्होंने हमेशा दुनिया में शांति के लिए संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि अन्य देशों के लोग भी जानते हैं कि भारत ने सक्रिय रूप से शांति प्रयासों की योजना बनाई है। मैं आपको और पूरी दुनिया को आश्वस्त करना चाहता हूं कि यह भारत की प्रतिबद्धता है और हम मानते हैं संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। हम इसका समर्थन करते हैं।

रूस से रिश्तों में संतुलन
पीएम मोदी की इस यात्रा का सबसे अहम पहलू है, भारत का रूस के लिए संकेत। भारत ने हमेशा रूस को एक मित्र राष्ट्र का दर्जा दिया है। इसके बावजूद रूस ने हमारे साथ लव-हेट का रिलेशन रखा है। कभी वह हमारे प्रतिद्वंद्वी पड़ोसी चीन के साथ गलबहियां करता नजर आता है। तो हमारे लिए मुश्किलें खड़ी करने वाले पाकिस्तान का मददगार बनकर उभरता है। रूस, पाकिस्तान को हथियारों की सप्लाई भी करता है। अब यूक्रेन का दौरा करके पीएम मोदी ने रूस को रिश्तों में संतुलन का संदेश दिया है।

चीन को संकेत
हालिया दिनों में चीन खुद को ग्लोबल स्तर पर उभारने में जुटा हुआ है। एक तरफ चीन ने रूस को साधा, वहीं, इस्लामिक देशों के बातचीत कराते हुए मध्यस्थ के रूप में भी अपनी छवि बनाने का प्रयास किया। इन सबके बीच पहले रूस और अब यूक्रेन की यात्रा करके पीएम ने चीन को बड़ा संकेत तो दिया ही है।

साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वैश्विक स्तर पर मध्यस्थता करने में भारत की भूमिका बेहद अहम होने वाली है। जिस तरह से यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने भारत के महत्व और उसकी भूमिका के बारे में बातें कही हैं, वह भी भारत के बढ़ते दबदबे का संकेत है।

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