हरियाली तीज के दिन करें इस मंत्र का जाप…मिलेगा मनचाहा वर!

सनातन धर्म के सभी त्योहारों में से हरियाली तीज का त्योहार बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है .इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं.…

हरियाली तीज के दिन करें इस मंत्र का जाप…मिलेगा मनचाहा वर!

सनातन धर्म के सभी त्योहारों में से हरियाली तीज का त्योहार बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है .इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं. तो कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए हरियाली तीज का व्रत करती हैं. प्रत्येक वर्ष सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज का पर्व मनाया जाता है. इस वर्ष यह पर्व 7 अगस्त को मनाया जाएगा. हरियाली तीज के दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा आराधना की जाती है. इस दिन महिलाएं 16 श्रृंगार कर विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना करती हैं और व्रत का संकल्प लेती हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि इस दिन सुहागिन महिलाएं आखिर16 श्रृंगार क्यों करती हैं तो चलिए आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताते हैं.

दरअसल अयोध्या के ज्योतिषी पंडित कल्कि राम बताते हैं कि हरियाली तीज सावन के महीने में मनाया जाता है और सावन का महीना हरियाली का प्रतीक होता है. हरियाली तीज के खास अवसर पर सुहागिन महिलाएं सुबह स्नान कर साफ वस्त्र धारण करती हैं और भगवान सूर्य को जल अर्पित करती हैं. साथ ही 16 श्रृंगार भी करती हैं.

हरियाली तीज के दिन 16 श्रृंगार का महत्व
पंडित कल्कि राम बताते हैं कि धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से माता पार्वती प्रसन्न होती हैं. साथ ही साधक पर अपनी कृपा प्रदान करती है. माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए सुहागिन महिलाएं इस दिन 16 श्रृंगार कर नए वस्त्र धारण करने के साथ पूजा के दौरान माता पार्वती को 16 श्रृंगार का सामान भी अर्पित करती हैं. ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है शायद यही वजह है कि इस दिन 16 श्रृंगार किया जाता है.

करें इस मंत्र का जाप
पंडित कल्कि राम बताते हैं कि हरियाली तीज के दिन सुहागिन महिलाएं के अलावा कुंवारी लड़कियां भी व्रत करती हैं और माता पार्वती की पूजा आराधना करती हैं. ऐसा करने से मनचाहे वर की प्राप्ति होती है इसलिए पूजा के दौरान कुंवारी कन्याओं को कुछ खास मंत्रों का जाप करना चाहिए.
कुंवारी कन्याओं के लिए मंत्र
हे गौरी शंकरार्धांगी। यथा त्वं शंकर प्रिया। तथा मां कुरु कल्याणी, कान्त कान्तां सुदुर्लभाम्।।