बीजेपी सरकार तेंदूपत्ता तोड़ाई के लिए आदवासियों को फिर चरण पादुका बांटेंगी, वहीं नोनी (छात्रायें) साइकिल पर सवार होकर स्कूल जा सकेंगी
रायपुर । छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकार तेंदूपत्ता तोड़ाई के लिए आदवासियों को फिर चरण पादुका बांटेंगी। वहीं नोनी (छात्रायें) साइकिल पर सवार होकर स्कूल जा सकेंगी। दरअसल, प्रदेश की साय सरकार…
रायपुर । छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकार तेंदूपत्ता तोड़ाई के लिए आदवासियों को फिर चरण पादुका बांटेंगी। वहीं नोनी (छात्रायें) साइकिल पर सवार होकर स्कूल जा सकेंगी। दरअसल, प्रदेश की साय सरकार जल्द ही चरण पादुका वितरण योजना और सरस्वती सायकल योजना फिर से शुरू करने जा रही है। सीएम विष्णुदेव साय ने इसकी घोषणा की है। बता दें कि ये दोनों योजनायें रमन राज में 15 सालों तक चल चुकी हैं, जिसे साय सरकार दोबारा शुरू करने जा रही है। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि केन्द्र सरकार की भांति छत्तीसगढ़ की सरकार भी गरीबों के कल्याण, विकास और खुशहाली के लिए समर्पित है। मोदी की गांरटी के तहत गांव गरीब, किसान, महिला, युवा आदिवासी पिछड़े सभी वर्ग के विकास के लिए योजना चलायी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की सरकार ने कार्यभार संभालते ही कैबिनट की पहली बैठक में 18 लाख से अधिक आवासहीन परिवारों को पक्का मकान बनाने की स्वीकृति दी थी। तेन्दूपत्ता तोड़ने वालों को फायदा पहुंचाने के लिए इस बार साढ़े पांच हजार रूपए मानक बोरा की दर से पत्ता खरीदी की गई और पूरे सीजन पत्ता खरीदा गया। साय ने कहा कि अब तेन्दूपत्ते को बेचने के बाद होने वाले फायदे को भी बोनस के रूप में संग्राहकों को दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि सरकार ने 21 क्विंटल धान प्रति एकड़ खरीदने की गारंटी पूरी की है। 3100 रूपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी की गई। मोदी की इस गारंटी के पूरे होने से छत्तीसगढ़ के किसानों को अच्छा फायदा हुआ है। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि प्रदेश के किसानों को 3716 करोड़ रूपए दो साल के बकाया धान का बोनस के रूप में भी भुगतान कर दिया गया है।
'भूपेश सरकार ने बंद कर दी थी दोनों योजनायें'
सीएम साय ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने दोनों योजनाओं को बंद कर दिया था। भाजपा की सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के उद्देश्य को पूरा करते हुए बालिकाओं को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने साइकिल देने योजना की शुरुआत करने जा रही है। पूर्व में डेढ़ दशक तक भाजपा की सरकार ने तेंदूपत्ता संग्राहकों और बालिकाओं के हित को देखते हुए दोनों योजनाएं शुरू की थी।