मंत्रिमंडल विस्तार के लिए नहीं बन पा रहा फॉर्मूला
भोपाल । कांग्रेस से भाजपा में आए रामनिवास रावत मंत्री तो बन गए हैं, लेकिन अमरवाड़ा विधानसभा सीट से उपचुनाव जीतकर भी कमलेश शाह मंत्री नहीं बन पाए हैं। दरअसल,…
भोपाल । कांग्रेस से भाजपा में आए रामनिवास रावत मंत्री तो बन गए हैं, लेकिन अमरवाड़ा विधानसभा सीट से उपचुनाव जीतकर भी कमलेश शाह मंत्री नहीं बन पाए हैं। दरअसल, गोपाल भार्गव जैसे वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी और नागर सिंह चौहान से वन विभाग छिनने के बाद हालात ऐसे बन गए हैं कि कमलेश शाह के मंत्री बनने की संभावना पर फिलहाल पानी फिर गया है। गौरतलब है कि कांग्रेस छोडक़र भाजपा में आए तुलसीराम सितावट प्रद्युम्न सिंह तोमर, गोविंद सिंह राजपूत, एदल सिंह कसाना व रामनिवास रावत को डॉ. मोहन यादव सरकार में मंत्री बनाया गया है। मंत्री राव उदय प्रताप सिंह भी कांग्रेस से भाजपा में आए हैं। इस तरह डॉ. मोहन वादव सरकार में कांग्रेस से आए छह नेता मंत्री बनाए गए है। यदि कमलेश शाह मंत्री बनते हैं, तो इनकी संख्या बढक़र 7 हो जाएगी।
जानकारी के अनुसार, अमरवाड़ा से कांग्रेस विधायक रहे कमलेश शाह को लोकसभा चुनाव से कुछ वक्त पहले ही मंत्री पद का ऑफर देकर कांग्रेस पार्टी से भाजपा में लाया गया था। लोकसभा चुनाव में भी कमलेश शाह ने छिंदवाड़ा में काफी मेहनत की और कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में कमल खिलाने में अहम भूमिका निभाई। अब उपचुनाव में भी उन्होंने जीत दर्ज करने के साथ ही अपनी दावेदारी और बढ़ा दी है। आदिवासी वर्ग से आना भी कमलेश शाह का एक प्लस प्वाइंट है। ऐसे में अब कमलेश शाह की जीत के बाद माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल में एक संक्षिप्त विस्तार और होगा और कमलेश शाह को मंत्री बनाया जा सकता है। लेकिन पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव और मंत्री नागर सिंह चौहान की नाराजगी को देखते हुए फिलहाल मंत्रिमंडल विस्तार की कोई संभावना नहीं दिख रही है।
लंबा हुआ शाह के मंत्री बनने का इंतजार
अमरवाड़ा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी कमलेश शाह ने कांग्रेस के धीरन शा को नजदीकी मुकाबले में 3 हजार से ज्यादा वोटों से हराकर जीत दर्ज कर ली है। कमलेश शाह की जीत के साथ ही अमरवाड़ा में भी अब कमल खिल गया है। अमरवाड़ा उपचुनाव में जीत दर्ज करने के साथ ही अब कमलेश शाह की भी मोहन सरकार में मंत्री बनने की दावेदारी बढ़ती दिख रही है और संभावनाएं हैं कि रामनिवास रावत के बाद अब कमलेश शाह को भी मोहन कैबिनेट में जगह मिल सकती है। लेकिन उनका मंत्री बनने का इंतजार लंबा होता जा रहा है। उन्हें विधायक निर्वाचित हुए 15 दिन से ज्यादा हो गए हैं, पर उनके मंत्री पद की शपथ लेने को लेकर कहीं कोई सुगबुगाहट नहीं है। शाह के मंत्री न बन पाने को प्रदेश सरकार के आदिवासी मंत्री नागर सिंह चौहान और नौ बार के विधायक गोपाल भार्गव की नाराजगी से जोडक़र देखा जा रहा है। भार्गव ने रावत के मंत्री बनाए जाने पर साफ कहा था कि इसकी जरूरत क्या थी यह उन्हें समझ में नहीं आ रहा है। वहीं नागर ने अपना विभाग रावत को दिए जाने पर इस्तीफे की धमकी दी है। इस मामले का पटाक्षेप भले ही हो गया हो पर पार्टी आलाकमान अब फूंक फूंककर कदम रख रहा है। सत्ता साकेत से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अब कमलेश शाह को अकेले मंत्री नहीं बनाया जाएगा। उनके साथ भाजपा के और दो नेताओं को भी शपथ दिलाई जाएगी। यो दो नेता कौन होंगे, इस बारे में पार्टी नेताओं का मंथन जारी है। यह भी तय है कि कुछ मंत्रियों के विभाग में भी कटौती की जा सकती है। इन मंत्रियों के पास तीन तीन विभाग है और सभी महत्वपूर्ण है। इसके अलावा दस अगस्त तक मंत्रियों को प्रभार के जिलों का आवंटन किया जाना तय माना जा रहा है।
भाजपा के कैडरबेस कार्यकर्ता नाराज
गौरतलब है कि कांग्रेस से भाजपा में आए नेताओं को महत्व मिलने से पार्टी का कैडरबेस कार्यकर्ता नाराज है। वह खुलकर इसका विरोध तो नहीं कर रहा पर इसे गैरजरूरी मान रहा है। गौरतलब है कि कांग्रेस छोडकर भाजपा में आए रामनिवास रावत को वन विभाग दिए जाने से नाराज होकर मंत्री नागर सिंह चौहान ने मंत्री पद से इस्तीफे की धमकी दे दी थी। उन्होंने कहा था, मेरे बिना मांगे मुझे तीन-तीन विभाग दिए गए थे, जबकि मैंने आदिवासी होने के नाते आदिवासी विभाग मांगा था। मेरी बात नहीं सुनी गई। प्रदेश में 23 फीसदी आदिवासी आबादी है, लेकिन अब वन विभाग, जो आदिवासियों से बहुत जुड़ा हुआ है, उसे छीनकर कांग्रेस के एक नेता को दे दिया गया है। मुझे नहीं लगता कि यह मेरे या पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए फायदेमंद है। इसके बाद नागर को पार्टी हाईकमान ने दिल्ली तलब किया था। इस प्रकरण ने कमलेश शाह के मंत्री बनने की राह में बाधा खड़ी कर दी है। इससे पहले पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव भी रामनिवास रावत समेत कांग्रेस से आए अन्य नेताओं को मंत्री बनाए जाने पर खुलकर नाराजगी जता चुके हैं।