भगवान विश्वकर्मा ने पहाड़ के नीचे बसा दिया गांव… यहां इंसान नहीं देवताओं का वास, देखें अद्भुत स्थान

गुमला: झारखंड के गुमला को भी बाबा नगरी के नाम से जाना जाता है. यहां कई धार्मिक स्थल हैं, जहां प्राचीन शिवलिंग, देवी-देवताओं की प्रतिमाएं विराजमान हैं. इन्हीं प्रमुख स्थलों…

भगवान विश्वकर्मा ने पहाड़ के नीचे बसा दिया गांव… यहां इंसान नहीं देवताओं का वास, देखें अद्भुत स्थान

गुमला: झारखंड के गुमला को भी बाबा नगरी के नाम से जाना जाता है. यहां कई धार्मिक स्थल हैं, जहां प्राचीन शिवलिंग, देवी-देवताओं की प्रतिमाएं विराजमान हैं. इन्हीं प्रमुख स्थलों में से एक है पालकोट प्रखंड स्थित तपकरा पंचायत स्थित देवगांव, जो विशाल चट्टान के नीचे गुफा में है. पूर्व में तो यह खुला था, लेकिन अब इसे मंदिर का रूप दे दिया गया है. देवगांव अति प्राचीन है और इसकी कथा बड़ी ही रोचक है.

देवगांव में बड़ी तादात में देवी-देवताओं की प्रतिमाएं हैं, जिन्हें पत्थरों में तरासा गया है. कहा जाता है कि इसे भगवान विश्वकर्मा ने खुद अपने हाथों से बनाया है. यहां भगवान भोलेनाथ का परिवार रहता है, इसलिए इसे देवगांव कहा जाता है. यहां भगवान गणेश, बजरंगबली, नंदी बाबा, भोलेनाथ, नाग देवता, देवी महारानी, भगवती मुन्नी माता, सूर्य देवता, शिव शक्ति, गौ गंगा माता, गणेश कार्तिक, मां 10 भुजी महारानी सहित अन्य देवी देवताओं की प्रतिमाएं हैं.

इस तरह यहां पहुंचें
जिला मुख्यालय से जाने के लिए आपको गुमला सिमडेगा मुख्य मार्ग से पालकोट होते हुए पोजेंगा पहुंचना होगा. यहां से थोड़ा पहले बाई ओर मुड़कर लगभग 7 किमी की दूरी पर देवगांव है. देवगांव जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर दूर है. यहां जाने के लिए आप बस से देवगांव मोड़ पर उतर कर फिर उसके बाद ऑटो से पहुंच सकते हैं. वहीं, निजी वाहन से आसानी से यहां जाकर पूजा पाठ कर सकते हैं.

जानें मंदिर का इतिहास
देवगांव के पुजारी डमरू बाबा ने Local 18 को बताया कि गुमला का यह स्थल देवगांव के नाम से जाना जाता है. यह पालकोट प्रखंड के तपकरा पंचायत में विशाल पहाड़ के नीचे गुफा में है. यहां सभी देवी-देवताओं की प्रतिमाएं प्राचीन काल से हैं. मान्यता है कि ये प्रतिमाएं मनुष्यों द्वारा नहीं बनाई गई है. ये विश्वकर्मा द्वारा निर्मित हैं. यह मंदिर इतना प्राचीन है कि पूर्वज भी इसके बारे में नहीं जानते. यह मंदिर श्रीश्री 108 भोलेनाथ, बुढ़वा महादेव के नाम से भी विख्यात है. मान्यता है कि जो लोग बाबा की शरण में आते हैं, माथा टेकते हैं, उनकी मनोकामना जरूर पूरी होती है.