निकोलस मादुरो तीसरी बार बने वेनेजुएला के राष्ट्रपति, विपक्ष ने उठाए धांधली के सवाल

वेनेजुएला में हुए राष्ट्रपति चुनाव में एक बार फिर निकोलस मादुरौ की सत्ता में वापसी हुई है और वह लगातार तीसरी बार वेनेजुएला के राष्ट्रपति चुने गए हैं। हालांकि विपक्ष…

निकोलस मादुरो तीसरी बार बने वेनेजुएला के राष्ट्रपति, विपक्ष ने उठाए धांधली के सवाल

वेनेजुएला में हुए राष्ट्रपति चुनाव में एक बार फिर निकोलस मादुरौ की सत्ता में वापसी हुई है और वह लगातार तीसरी बार वेनेजुएला के राष्ट्रपति चुने गए हैं। हालांकि विपक्ष ने चुनाव में धांधली के आरोप लगाते हुए नतीजों पर सवाल उठाए हैं। वेनेजुएला में राष्ट्रपति चुनाव के लिए रविवार को मतदान हुआ था। देश के विभिन्न मतदान केंद्रों पर लोगों की भारी भीड़ देखी गई थी और करीब दो करोड़ पंजीकृत मतदाताओं ने राष्ट्रपति चुनाव में मतदान किया था। 

विपक्ष अपनी जीत को लेकर था आश्वस्त

वेनेजुएला के चुनाव आयोग नेशनल इलेक्टोरल काउंसिल के प्रमुख एल्विस एमोरोसो ने बताया कि निकोलस मादुरो को 51 प्रतिशत वोट मिले। वहीं विपक्ष के नेता एडमुंडो गोंजालेज को 44 प्रतिशत मत मिले। विपक्ष अपनी जीत को लेकर इतना सुनिश्चित था कि चुनाव नतीजे आने से पहले ही विपक्ष के नेताओं ने सोशल मीडिया पर जीत के दावे करना और जीत का जश्न मनाना शुरू कर दिया था। एग्जिट पोल्स के नतीजों में भी गोंजालेज को बड़े अंतर से जीतता हुआ बताया गया था, जिससे विपक्ष के हौसले बुलंद थे। हालांकि जैसे ही नतीजे सामने आए तो विपक्ष हैरान रह गया। विपक्ष चुनाव में धांधली का आरोप लगा रहा है। 

निकोलस मादुरो को मिली थी कड़ी चुनौती

मौजूदा राष्ट्रपति निकोलस मादुरो को इस चुनाव में एकजुट विपक्ष से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा था। विपक्ष ने चुनाव प्रचार के दौरान वादा किया था कि वे बीते एक दशक से जारी आर्थिक संकट को दूर करेंगे। वेनेजुएला में आर्थिक संकट के चलते करीब 70 लाख लोग देश छोड़कर अन्य देशों में बस चुके हैं। 74 वर्षीय एडमुंडो गोंजालेज युरुशिया के नेतृत्व में विपक्ष ने मादुरो के खिलाफ चुनाव लड़ा था। हालांकि वह बीते 11 वर्षों से सत्ता पर काबिज निकोलस मादुरो को मात नहीं दे सके। 

वेनेजुएला में दुनिया के सबसे बड़े तेल भंडार हैं और कभी लैटिन अमेरिका की सबसे उन्नत अर्थव्यवस्था थी, लेकिन मादुरो के सत्ता में आने के बाद देश में आर्थिक गिरावट का दौर शुरू हुआ। यूएस के आर्थिक प्रतिबंधों ने भी स्थिति को और खराब किया। विपक्ष ने देश में व्याप्त विशाल असमानताओं पर ध्यान केंद्रित करने और बेहतर नौकरी की संभावनाएं देने का वादा किया था।