नेपाल में नई सरकार, ओली ने चौथी बार ली प्रधानमंत्री पद की शपथ
काठमांडू । नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी के नेता केपी शर्मा ओली ने सोमवार को चौथी बार नेपाल के प्रधानमंत्री पद की शपथ ले ली। राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल उन्हें पद…
काठमांडू । नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी के नेता केपी शर्मा ओली ने सोमवार को चौथी बार नेपाल के प्रधानमंत्री पद की शपथ ले ली। राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल उन्हें पद की गोपनीयता की शपथ दिलाई। ओली ने इसके ठीक बाद अपने मंत्रिमंडल में 22 मंत्रियों को जगह देने का एलान किया। इनमें ओली का समर्थन करने वाले चार दलों के नेताओं को जगह दी गई है। इस मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी ने एक्स पर पोस्ट कर ओली को बधाई दी। प्रधानमंत्री ने लिखा- दोनों देशों के बीच दोस्ती के गहरे बंधन को और मजबूत करने के लिए साथ में काम करने के लिए उत्सुक, जिससे दोनों देशों का परस्पर सहयोग और अपने लोगों की प्रगति और समृद्धि को आगे बढ़ाया जा सके। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी एक्स पर पोस्ट कर ओली को बधाई दी। उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस की तरफ से हम नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में उनकी नियुक्ति पर केपी शर्मा ओली को शुभकामनाएं देते हैं। करीबी पड़ोसियों के रूप में भारत और नेपाल मित्रता तथा साझेदारी के अनूठे संबंध साझा करते हैं। प्रत्येक भारतीय उज्ज्वल भविष्य के लिए आपसी सहयोग के बंधन को और मजबूत करने के लिए तत्पर है। गौरतलब है कि नेपाल को बीते कुछ वर्षों में लगातार राजनीतिक उथल-पुथल का सामना करना पड़ा है। दरअसल, रिपब्लिकन प्रणाली लागू होने के बाद पिछले 16 वर्षों में देश में 14 सरकारें आई हैं। अब नेपाल की सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता के पी शर्मा ओली को रविवार को चौथी बार नेपाल का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। वह एक नई गठबंधन सरकार का नेतृत्व करने वाले हैं, जिसके सामने इस हिमालयी राष्ट्र में राजनीतिक स्थिरता प्रदान करने की कठिन चुनौती है। प्रधानमंत्री ओली के कार्यालय के अनुसार, आज ही एक छोटा मंत्रिमंडल भी गठित किया जाएगा। राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी, जनता समाजवादी पार्टी नेपाल, लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी, जनमत पार्टी और नागरिक मुक्ति पार्टी सहित अन्य राजनीतिक दलों के भी सरकार में शामिल होने की संभावना है। केपी शर्मा ओली 11 अक्टूबर 2015 से 3 अगस्त 2016 तक और फिर 5 फरवरी 2018 से 13 जुलाई 2021 तक नेपाल के प्रधानमंत्री रहे। वे 13 मई 2021 से 13 जुलाई 2021 तक पद पर बने रहे। क्योंकि तत्कालीन राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने उन्हें नियुक्त किया था, जिसे स्थानीय मीडिया ने ओली की चालबाजी की सफलता बताया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि प्रधानमंत्री पद के लिए ओली का दावा असंवैधानिक था।
प्रचंड नहीं हासिल कर पाए थे विश्वास मत
बता दें कि शुक्रवार को पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' ने प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत खो दिया था। जिसके बाद संविधान के अनुच्छेद 76 (2) के अनुसार नई सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू हुई। राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा जारी नोटिस के अनुसार, राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी-एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी (सीपीएन-यूएमएल) के अध्यक्ष ओली को नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 76-2 के तहत नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया। ओली संसद में सबसे बड़ी पार्टी नेपाली कांग्रेस के समर्थन से चौथी बार प्रधानमंत्री बने। संवैधानिक जनादेश के अनुसार ओली को अब नियुक्ति के 30 दिनों के भीतर संसद से विश्वास मत हासिल करना होगा। दरअसल, केपी शर्मा ओली को 275 सीटों वाली प्रतिनिधि सभा में कम से कम 138 वोटों की आवश्यकता होगी। शुक्रवार की रात में केपी शर्मा ओली ने नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा के समर्थन से अगला प्रधानमंत्री बनने का दावा पेश किया था। साथ ही प्रतिनिधि सभा के 165 सदस्यों के हस्ताक्षर प्रस्तुत किए। इसमें जिनमें उनकी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ नेपाल-एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी ( सीपीएन यूएमएल) पार्टी के 77 और नेपाली कांग्रेस (एनसी) के 88 सदस्य शामिल हैं। वहीं सीपीएन-माओवादी सेंटर के अध्यक्ष प्रचंड शुक्रवार को शक्ति परीक्षण के दौरान प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत हार गए। पिछले सप्ताह की शुरुआत में, नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष देउबा और सीपीएन यूएमएल के अध्यक्ष केपी शर्मा ने पुष्प कमल दहल प्रचंड की जगह नई गठबंधन सरकार बनाने के लिए सात सूत्री समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। दोनों नेताओं ने सहमति जताई कि संसद का शेष कार्यकाल बारी-बारी से उनके बीच साझा किया जाएगा। कांग्रेस प्रमुख देउबा और यूएमएल अध्यक्ष ओली के बीच 1 जुलाई को हुए समझौते के अनुसार, दोनों दल 2027 में होने वाले अगले आम चुनावों तक बारी-बारी से सरकार का नेतृत्व करेंगे।