यूक्रेन की मदद के लिए एक फिर आगे आया अमेरिका, 22.5 करोड़ डॉलर की दी सैन्य सहायता 

अमेरिका ने यूक्रेन के लिए 22.5 करोड़ डॉलर के नए सुरक्षा पैकेज की घोषणा की। इसमें पैट्रियट मिसाइल, आर्टिलरी राकेट सिस्टम और मिसाइलों के लिए अतिरिक्त गोला-बारूद, अन्य सामान शामिल…

यूक्रेन की मदद के लिए एक फिर आगे आया अमेरिका, 22.5 करोड़ डॉलर की दी सैन्य सहायता 

अमेरिका ने यूक्रेन के लिए 22.5 करोड़ डॉलर के नए सुरक्षा पैकेज की घोषणा की। इसमें पैट्रियट मिसाइल, आर्टिलरी राकेट सिस्टम और मिसाइलों के लिए अतिरिक्त गोला-बारूद, अन्य सामान शामिल हैं। वर्ष 2022 में रूसी आक्रमण के बाद से वाशिंगटन यूक्रेन को 50 अरब डालर से अधिक की सैन्य सहायता प्रदान कर चुका है।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने वाशिंगटन में उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) शिखर सम्मेलन में द्विपक्षीय बैठक से पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से कहा, हम आपके साथ रहेंगे। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने पैकेज की घोषणा करते हुए कहा, अमेरिका और हमारा अंतरराष्ट्रीय गठबंधन यूक्रेन के साथ खड़ा रहेगा।

नाटो सदस्यों ने यूक्रेन के समर्थन की घोषणा की

इस बीच यूक्रेन ने गुरुवार को नाटो से उस प्रतिबंध को हटाने के लिए आग्रह किया जिसके तहत यूक्रेन रूस के खिलाफ लंबी दूरी के हथियारों का इस्तेमाल नहीं कर सकता। नाटो सदस्यों ने बुधवार को वाशिंगटन में शिखर सम्मेलन में यूक्रेन के समर्थन की घोषणा की। नाटो की घोषणा में कहा गया है कि सहयोगी देश अगले वर्ष के भीतर यूक्रेन को कम से कम 40 अरब यूरो की सैन्य सहायता देंगे।

बीजिंग यूरोप और सुरक्षा के लिए चुनौतियां पेश कर रहा

अमेरिका, नीदरलैंड और डेनमार्क ने घोषणा की है कि वे यूक्रेनी सैन्य पायलटों को एफ-16 लड़ाकू विमान उपलब्ध कराएंगे। अमेरिका ने कहा कि वह 2026 में जर्मनी में लंबी दूरी की मिसाइलें तैनात करेगा। इसका उद्देश्य रूस के बढ़ते खतरे का मुकाबला करना है। नाटो ने कहा कि चीन रूस के साथ अपनी असीमित भागीदारी और उसके रक्षा औद्योगिक आधार को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देकर युद्ध का समर्थक बन गया है। बीजिंग यूरोप और सुरक्षा के लिए चुनौतियां पेश कर रहा है।

यूक्रेन नाटो सदस्यता के 'बहुत करीब': जेलेंस्की

यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने गुरुवार को कहा कि यूक्रेन नाटो सदस्यता के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के बहुत करीब है। वाशिंगटन में नाटो महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा, हम अपने लक्ष्य के बहुत करीब हैं। जेलेंस्की ने नाटो के हिंद-प्रशांत सहयोगी देशों के नेताओं से भी मुलाकात की।

अल जजीरा की रिपोर्ट के अनुसार नाटो महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने इस बात पर जोर दिया कि यूक्रेन गठबंधन में तुरंत शामिल नहीं होगा, हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि युद्ध समाप्त होने के बाद यूक्रेन को नाटो में शामिल होना चाहिए ताकि रूस फिर कभी कीव पर हमला न करे।

एशिया में अराजकता न फैलाए नाटो : चीन

चीन ने गुरुवार को नाटो पर दूसरों की कीमत पर सुरक्षा चाहने का आरोप लगाते हुए कहा कि नाटो एशिया में भी वैसी ही अराजकता न फैलाए। चीन के विदेश मंत्रालय का यह बयान नाटो द्वारा यूक्रेन संघर्ष में उसे रूस समर्थक बताए जाने के बाद आया है। चीन ने नाटो देशों से चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप बंद करने को कहा है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि यूक्रेन मुद्दे पर नाटो द्वारा चीन की जिम्मेदारी को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना दुर्भावनापूर्ण है। लिन ने कहा कि चीन रूस के इस विचार का समर्थन करता है कि नाटो का विस्तार रूस के लिए खतरा है। इसके साथ चीन ने आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान और दक्षिण कोरिया के साथ नाटो के बढ़ते संबंधों को लेकर चिंता जताई।

यूक्रेन को हथियार आपूर्ति करने वाली जर्मन कंपनी के सीईओ की हत्या की रूसी साजिश नाकाम

इस साल की शुरुआत में अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने दावा किया था कि रूस ने यूक्रेन को हथियार आपूर्ति करने वाली जर्मन की प्रमुख हथियार निर्माता कंपनी के सीईओ की हत्या की साजिश रची थी, हालांकि वह कामयाब नहीं हो पाई। यह कंपनी मुख्य रूप से यूक्रेन को तोपों के गोले और सैन्य वाहनों के साथ अन्य युद्ध सामग्रियों की आपूर्ति कर रही है। सीएनएन ने इस मामले से परिचित कई अमेरिकी और पश्चिम के अधिकारियों का हवाला देते हुए रिपोर्ट प्रकाशित की है।

इसके मुताबिक यह साजिश यूरोप भर में रक्षा उद्योग के अधिकारियों को टारगेट करने वाली उस व्यापक साजिश का हिस्सा थी, जोकि यूक्रेन को युद्ध में सहयोग कर रहे थे। इसी के तहत जर्मन हथियार निर्माता कंपनी राइनमेटल के प्रमुख आर्मिन पैपरगर की हत्या की साजिश रची गई। मामले की जानकारी मिलते ही अमेरिकी अधिकारियों ने तुरंत अपने जर्मन समकक्षों को सचेत किया। इससे जर्मनी सचेत हो गया और उसने पैपरगर की सुरक्षा चाक-चौबंद कर दी और रूस अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाया।