कर्नाटक में सरकारी अधिकारी और इंजीनियरों के ठिकानों पर छापेमारी

कर्नाटक में लोकायुक्त ने गुरुवार को लगभग दर्जनभर सरकारी अधिकारियों और इंजीनियरों पर बड़ी कार्रवाई करते हुए उनके ठिकानों पर छापा मारा। लोकायुक्त ने 56 स्थानों पर छापेमारी में पाया…

कर्नाटक में सरकारी अधिकारी और इंजीनियरों के ठिकानों पर छापेमारी

कर्नाटक में लोकायुक्त ने गुरुवार को लगभग दर्जनभर सरकारी अधिकारियों और इंजीनियरों पर बड़ी कार्रवाई करते हुए उनके ठिकानों पर छापा मारा। लोकायुक्त ने 56 स्थानों पर छापेमारी में पाया कि 11 सरकारी अधिकारियों और इंजीनियरों ने 45.14 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की है जो उनकी आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक है।

56 स्थानों पर तलाशी ली

सुबह-सुबह एक ऑपरेशन में, लगभग 100 अधिकारियों ने कथित तौर पर आय से अधिक संपत्ति (डीए) जमा करने वाले सरकारी अधिकारियों के खिलाफ नौ जिलों में एक साथ छापेमारी की। जिलों के अधीक्षकों ने छापेमारी की निगरानी की और 56 स्थानों पर तलाशी ली।

इन अधिकारियों के ठिकानों पर मारा छापा

लोकायुक्त द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि जिन अधिकारियों पर छापे मारे गए उनमें बेलगावी में पंचायत राज इंजीनियरिंग विभाग में सहायक कार्यकारी अभियंता, डी महादेव बन्नूर; कर्नाटक पावर ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड के कार्यकारी अभियंता डीएच उमेश; दावणगेरे में BESCOM सतर्कता पुलिस स्टेशन में सहायक कार्यकारी अभियंता, एमएस प्रभाकर; बेलगावी निर्मिति केंद्र के परियोजना निदेशक शेखर गौड़ा कुराडगी; सेवानिवृत्त पीडब्ल्यूडी मुख्य अभियंता एम रवींद्र; और पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता केजी जगदीश।

अन्य अधिकारी ग्रामीण पेयजल और स्वच्छता प्रभाग मांड्या के सेवानिवृत्त कार्यकारी अभियंता, एस शिवराजू हैं; रामनगर में हारोहल्ली तहसीलदार, विजयन्ना; सिंचाई विभाग में अधीक्षण अभियंता, महेश के; पंचायत सचिव एन एम जगदीश; और बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका के महादेवपुरा राजस्व अधिकारी प्रभाग, बसवराज मागी।

इनके पास मिला सबसे ज्यादा धन

लोकायुक्त कार्यालय के अनुसार, गुरुवार को मारे गए छापों में शेखर गौड़ा कुराडगी के पास उनकी आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक 7.88 करोड़ रुपये की सबसे अधिक संपत्ति पाई गई। बयान में कहा गया है कि जिन अधिकारियों का डीए पांच करोड़ रुपये से अधिक है उनमें उमेश, रवींद्र, केजी जगदीश और शिवराजू शामिल हैं। बयान में कहा गया है कि कुल मिलाकर 11 अधिकारियों के पास 45.14 करोड़ रुपये का डीए पाया गया।