छत्तीसगढ़-बलरामपुर में मनाया विश्व जनसंख्या दिवस, किसी को न पीछे छोड़ना और सभी की गिनती करना

बलरामपुर. छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार एवं  अध्यक्ष/जिला न्यायाधीश, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रामानुजगंज के मार्गदर्शन में विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर न्यू ईरा पब्लिक स्कूल, रामानुजगंज…

छत्तीसगढ़-बलरामपुर में मनाया विश्व जनसंख्या दिवस, किसी को न पीछे छोड़ना और सभी की गिनती करना

बलरामपुर.

छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार एवं  अध्यक्ष/जिला न्यायाधीश, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रामानुजगंज के मार्गदर्शन में विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर न्यू ईरा पब्लिक स्कूल, रामानुजगंज में विधिक साक्षरता का आयोजन किया गया। विधिक साक्षरता शिविर में श्री लोकेश कुमार, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के द्वारा उपस्थित समस्त छात्र-छात्राओं को विश्व जनसंख्या दिवस के उद्देश्य के बारे में बताते हुये कहा कि विश्व जनसंख्या दिवस एक वार्षिक आयोजन है, जो हर साल 11 जुलाई को मनाया जाता है।

विश्व जनसंख्या दिवस एक महत्वपूर्ण अवसर है जो हमें तेजी से बढ़ती जनसंख्या और उससे जुड़ी चुनौतियों के प्रति जागरूक करता है। इस दिवस की स्थापना वैश्विक जनसंख्या वृद्धि से जुड़े प्रमुख मुद्दों तथा विकास एवं स्थिरता पर इसके प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए की गई । यह दिन हमें याद दिलाता है कि जनसंख्या नियत्रण और परिवार नियोजन के मुद्दों पर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता है। विश्व जनसंख्या दिवस 2024 की थीम है किसी को पीछे न छोड़ना, सभी की गिनती करना। यह थीम दुनिया में मौजूद लोगों को जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए जनसंख्या डेटा एकत्र करने के महत्व पर प्रकाश डालती है। उक्त साक्षरता शिविर में श्री शाश्वत दुबे मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी ने संबोधित करते हुए कहा कि विश्व जनसंख्या दिवस का उद्देश्य जनसंख्या सम्बंधित समस्याओं पर वैश्विक चेतना जागृत करना है। यह आयोजन 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की गवर्निंग काउंसिल द्वारा स्थापित किया गया था। यह 11 जुलाई 1987 को पांच बिलियन दिवस में सार्वजनिक हित से प्रेरित था, जिसकी अनुमानित तारीख जिस पर दुनिया की आबादी पांच अरब लोगों तक पहुंच गई थी। विश्व जनसंख्या दिवस का उद्देश्य विभिन्न मुद्दों पर लोगो की जागरूकता बढ़ाना है जैसे कि परिवार नियोजन, लिंग समानता, गरीबी, मातृ स्वास्थ्य और मानव अधिकारों का महत्व से अवगत कराना है।