मप्र में मात्र 500 रूपए मिल रहा मकान भाड़ा भत्ता

भोपाल । केंद्रीय कर्मचारियों को अब चार प्रतिशत बढक़र मकान भाड़ा भत्ता मिलेगा। केंद्रीय कर्मचारियों को अब मूल वेतन का 50 प्रतिशत मकान भाड़ा भत्ता मिलेगा। पहले मूल वेतन का…

मप्र में मात्र 500 रूपए मिल रहा मकान भाड़ा भत्ता

भोपाल । केंद्रीय कर्मचारियों को अब चार प्रतिशत बढक़र मकान भाड़ा भत्ता मिलेगा। केंद्रीय कर्मचारियों को अब मूल वेतन का 50 प्रतिशत मकान भाड़ा भत्ता मिलेगा। पहले मूल वेतन का 46 प्रतिशत मकान भाड़ा भत्ता मिल रहा था लेकिन मध्य प्रदेश में सातवां वेतनमान लागू होने के बाद  भी कर्मचारियों को मात्र 500 मकान भाड़ा भत्ता मिल रहा है, जो देश के सभी राज्यों कर्मचारियो से कम है। मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच ने मुख्यमंत्री को पत्र सौंप कर मांग की है कि मप्र के कर्मचारियों को भी केंद्र के कर्मचारियों के समान मूल वेतन का 50 प्रतिशत मकान भाड़ा भत्ता सातवें वेतनमान के अनुरूप दिया जाए। मांग करने वाले कर्मचारी नेताओं में अशोक पांडे, हरि सिंह गुर्जर, लव प्रकाश पाराशर, राजू उपाध्याय, लल्लन शुक्ला, राजकरण चतुर्वेदी, प्रेमलाल त्रिपाठी, योगेंद्र सिंह तोमर आदि शामिल है। 

केंद्र के कर्मचारियों का 4 प्रतिशत मकान भाड़ा भत्ता बढ़ा


मप्र कर्मचारी मंच के प्रदेश अध्यक्ष अशोक पांडे ने बताया कि केंद्र सरकार प्रतिवर्ष कर्मचारियों के महंगाई भत्ता गृह भाड़ा भत्ता मेडिकल भत्ता बढ़ा रही है, लेकिन मप्र सरकार प्रदेश के कर्मचारियों का ना तो वेतन बढ़ा रही है ना ही महंगाई भत्ता बढ़ा रही है और ना ही मेडिकल भत्ता बड़ा रही है। राजस्थान में कर्मचारियों को 7200 रुपए प्रतिमाह मकान भाड़ा भत्ता मिल रहा है। छत्तीसगढ़ उत्तर प्रदेश में सातवें वेतनमान के अनुरूप मकान भाड़ा भत्ता मिल रहा है, लेकिन मप्र के कर्मचारियों को देश के सभी राज्यों के कर्मचारियों से कम मात्रा 500 प्रतिमाह मकान भाड़ा भत्ता मिल रहा है।

समझौते का पालन नहीं


पांडे ने बताया कि राज्य सरकार ने कर्मचारी संगठनों से समझौता किया था कि प्रदेश के कर्मचारियों को समस्त लाभ केंद्र के कर्मचारियों के सामान दिए जाएंगे। लेकिन समझौते के अनुरूप कभी भी सरकार ने कर्मचारियों को भक्तों का लाभ नहीं दिया। अभी भी मप्र राज्य की कर्मचारी केंद्र के कर्मचारियों से चार प्रतिशत महंगाई भत्ता कम प्राप्त कर रहे हैं। राज्य  सरकार ने बजट 2024 में भी कर्मचारियों को किसी प्रकार का कोई आर्थिक लाभ नहीं दिया है। जबकि प्रदेश का कर्मचारी सरकार को दो प्रकार के टैक्स दे रहा है एक केंद्रीय टैक्स दूसरा राज्य टैक्स दे रहा है। फिर भी राज सरकार कर्मचारियों की आर्थिक लाभों की अनदेखी कर रही है। इस कारण कर्मचारी संवर्ग में असंतोष व्याप्त हो गया है। प्रदेश का 12 लाख कर्मचारी राज्य सरकार से पुरजोर मांग करता है कि राज्य सरकार नियमित अनियमित कर्मचारी के आर्थिक लाभ एवं उनके अधिकारों को संज्ञान में लेकर अतिशीघ्र निर्णय करने का काम करें।