इस नवरात्रि पर बन रहे कई शुभ योग, मां दुर्गा के साथ मां काली की होती है पूजा, जानें महत्व
सीकर. आषाढ़ माह के गुप्त नवरात्र शुरू हो चुके हैं. शेखावाटी के शाकंभरी, मनसा माता, जीण माता सहित अनेक शक्ति मंदिरों में विशेष कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं. पंडित चंद्र…
सीकर. आषाढ़ माह के गुप्त नवरात्र शुरू हो चुके हैं. शेखावाटी के शाकंभरी, मनसा माता, जीण माता सहित अनेक शक्ति मंदिरों में विशेष कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं. पंडित चंद्र प्रकाश शास्त्री ने बताया कि गुप्त नवरात्र 15 जुलाई तक रहेंगे. इस साल तृतीया तिथि दो दिन है. इसलिए आषाढ़ मास के गुप्त नवरात्र 10 दिन के होंगे.
शाकम्भरी माता मंदिर में नवरात्र के समय विशेष पूजा-अर्चना की जा रही है. इस अवसर पर भक्तों की भी भारी भीड़ उमड़ रही है. इसके अलावा शक्तिपीठ जीण माता मंदिर को भी विशेष फूलों से सजाया गया है. जीण माता मंदिर पुजारी ने बताया कि 9 दिन तक माता का अलग-अलग श्रृंगार किया जाएगा. आम दिनों के मुकाबले माता के दरबार में भारी संख्या में भीड़ उमड़ रही है. मंदिर कमेटी ने भक्तों की सहूलियत को लेकर आने को व्यवस्थाएं भी की है.
यह शुभ संयोग रहेंगे
शक्तिपीठ जीण माता मंदिर पुजारी रजत पराशर ने बताया कि 7 जुलाई को राजयोग, रवि पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, 8 जुलाई को सर्वार्थ सिद्धि योग, 9 जुलाई को सर्वार्थ सिद्धि व रवियोग, 10 जुलाई को रवि योग व कुमार योग, 11 जुलाई को रवि योग, 12 जुलाई को रवि योग, 14 जुलाई को रवि योग और 15 जुलाई को रवि योग रहेंगे.
गुप्त नवरात्र का महत्व
गुप्त नवरात्र का धर्म ग्रंथों में काफी महत्व बताया गया है. शास्त्रों के अनुसार आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्र के दौरान मां दुर्गा के अलावा मां काली और अन्य महाविद्याओं की पूजा करने का विधान है. इस दौरान तांत्रिक, साधक और अधोरी तंत्र मंत्र की सिद्धि करने के लिए गुप्त साधना करते हैं. इसमें महाविद्याओं की पूजा गुप्त तरीकों से की जाती है. पंडित चंद्र प्रकाश शास्त्री ने बताया कि वैदिक पंचांग के अनुसार साल में कुल चार नवरात्र आते हैं. इसमें से है दो चैत्र और दो शारदे नवरात्र होते हैं. इसके साथ ही 2 गुप्त नवरात्र भी होते हैं. इस दौरान 10 महाविद्याओं की पूजा करने का विधान है. इन नौ दिनों के दौरान तांत्रिक सिद्धियां की जाती है. पंडित शास्त्री ने बताया कि गुप्त नवरात्र के दौरान 10 महाविद्याओं की पूजा करने का विधान है. इस दौरान मां काली, तारा, छिन्नमस्ता, षोडशी, भुवनेश्वरी, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी मातंगी और कमला माता की पूजा की जाती है.