जैन धर्मावलंबियों के लिए खुशखबरी, जयपुर में इस बार 9 जगहों पर होगा चातुर्मास, ये संत होंगे शामिल

जैन धर्म के लोगों के लिए अच्छी खबर है. जयपुर शहर और ग्रामीण क्षेत्र में 9 स्थानों पर दिगम्बर जैन संतों के चातुर्मास होंगे. जयपुर के मीरा मार्ग दिगम्बर जैन…

जैन धर्मावलंबियों के लिए खुशखबरी, जयपुर में इस बार 9 जगहों पर होगा चातुर्मास, ये संत होंगे शामिल

जैन धर्म के लोगों के लिए अच्छी खबर है. जयपुर शहर और ग्रामीण क्षेत्र में 9 स्थानों पर दिगम्बर जैन संतों के चातुर्मास होंगे. जयपुर के मीरा मार्ग दिगम्बर जैन मंदिर में भी 6 संतों का इस वर्ष चातुर्मास होगा. इन चातुर्मास में जैन संत जीव हिंसा से बचने के लिए चार माह तक एक स्थान पर रहकर प्रवचन देंगे और त्याग तपस्या की भावना का महत्व सबको सिखाएंगे.

 

इन जगहों पर होगा जैन संतो का चातुर्मास
जयपुर के सभी चातुर्मास में देश के जाने-माने जैन धर्म के संत महात्मा होंगे. इनमें मानसरोवर के वरुण पथ स्थित दिगम्बर जैन मंदिर में आचार्य शशांक सागर महाराज, प्रतापनगर सेक्टर 8 स्थित शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में उपाध्याय उर्जयन्त सागर महाराज, कीर्तिनगर के पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में मुनि समत्व सागर महाराज और मुनि शील सागर महाराज ससंघ का चातुर्मास होगा. इसके अलावा मानसरोवर मीरा मार्ग के आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में मुनि प्रणम्य सागर महाराज, मुनि नीरज सागर महाराज, मुनि निर्मद सागर महाराज, क्षुल्लक सविनय सागर महाराज, क्षुल्लक समन्वय सागर महाराज ससंघ इस वर्ष का चातुर्मास करेंगे.

थड़ी मार्केट पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में उपाध्याय वृषभानन्द महाराज, दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र पदमपुरा में मुनि महिमा सागर महाराज, अजमेर रोड दहमीकलां के दिगम्बर जैन मंदिर में आचार्य नवीन नंदी महाराज, गणिनी आर्यिका नंगमति माताजी ससंघ का नांग्लया बीलवा के विमल परिसर में, बरकतनगर चन्द्रप्रभु दिगम्बर जैन मंदिर में मुनि अर्चित सागर महाराज, छोटा गिरनार बापू गांव एवं आदिश्वर धाम चाकसू में आचार्य प्रज्ञा सागर महाराज का चातुर्मास होगा.

जैन धर्म में चातुर्मास का अर्थ
जैन धर्म में चातुर्मास को सामूहिक वर्षायोग या चौमासा के रूप में भी जाना जाता है. भगवान महावीर ने चातुर्मास को इसिणां पसत्था कहा है. इस साल जैन चातुर्मास 16 जुलाई से शुरू होगा. जैन धर्म के अनुसार ये महीने जिज्ञासा और तनाव को शांत करने के माह होते हैं और यही वह चार माह हैं, जब धर्म को साधा या जाना जा सकता है. इसलिए जैन धर्म के प्रमुख संत जगह-जगह चातुर्मास कार्यक्रम का आयोजन करते हैं. इन कार्यक्रमों में हजारों की संख्या में जैन धर्म को मानने वाले लोग पहुंचते हैं.