कैसे कटा तरबूज बना इजरायल के विरोध का प्रतीक, गाजा से लंदन तक सड़कों पर दिखा रहे लोग…
गाजा से लंदन तक सड़कों पर फिलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन करने वाले लोग ‘तरबूज’ वाली तस्वीरें और बैनर लेकर घूमते दिखते हैं। आखिर इसकी वजह क्या है। इस आंदोलन…
गाजा से लंदन तक सड़कों पर फिलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन करने वाले लोग ‘तरबूज’ वाली तस्वीरें और बैनर लेकर घूमते दिखते हैं।
आखिर इसकी वजह क्या है। इस आंदोलन का तरबूज से क्या कनेक्शन है? यह सवाल आपके भी जेहन में आता होगा।
दरअसल फिलिस्तीन के समर्थन और इजरायल के विरोध का प्रतीक तरबूज बन गया है और इसी के चलते पूरी दुनिया में फिलिस्तीन समर्थक इसकी तस्वीरें लेकर घूमते दिखते हैं। एक फल का फिलिस्तीन के विरोध का प्रतीक बन जाने की कहानी करीब 55 साल पुरानी है।
दरअसल 1967 में इजरायल और अरब देशों के बीच भीषण संघर्ष छिड़ा था। उस दौरान इजरायल ने गाजा और वेस्ट बैंक में फिलिस्तीन के झंडे के प्रदर्शन भी रोक लगा दी थी।
यही नहीं 1980 में रामल्लाह में इजरायल की सेना एक गैलरी को भी बंद करा दिया था, जिसे तीन आर्टिस्ट चला रहे थे।
इन लोगों पर आरोप था कि ये राजनीतिक चीजें दिखा रहे हैं और उन्हें फिलिस्तीन के झंडे के रंगों में दिखाया जा रहा है। ये रंग थे- लाल, हरा, काला और सफेद।
इन तीनों लोगों को इजरायल की सेना ने बुलाया था। इस गैलरी को संचालित करने वाले स्लिमैन मंसूर ने बताया कि इजरायली पुलिस अधिकारी ने उनसे कहा कि सेना की परमिशन के बिना गैलरी या प्रदर्शन लगाना मना है।
उसने कहा कि सबसे बड़ी बात यह है कि फिलिस्तीन के झंडे के रंगों में कोई चीज पेंट न की जाए। आर्टिस्ट का कहना है कि इजरायली अधिकारी ने उसी दौरान तरबूज की ओर इशारा करते हुए कहा कि इसका प्रदर्शन भी सेना के नियमों का उल्लंघन है।
ऐसा इसलिए क्योंकि तरबूज जब काटा जाता है तो उसके रंग भी फिलिस्तीन के झंडे से मिलते हैं।
जब इजरायली अफसर ने कहा- तरबूज देख रहे हो, ऐसा रंग भी मना है
इजरायली अधिकारी की ओर से ऐसा कहा जाना था कि पूरी दुनिया में कटा हुआ तरबूज फिलिस्तीन के लिए समर्थन का प्रतीक बन गया। येरूशलम में पैदा हुए लेखक महदी सब्बाग कहते हैं, ‘मैं कहीं भी कटा हुआ तरबूज देखता हूं तो मैं लोगों की भावनाओं के ज्वार को समझने लगता हूं। वह कहते हैं कि लोग इजरायल वाले इलाके में भी इसे प्रदर्शित करते हैं और कई बार इजरायल की सेना ऐसा करने वाले लोगों को अरेस्ट भी कर लेती है।’
जब टैक्सियों पर लगे कटे तरबूज वाले स्टीकर
मंसूर कहते हैं कि 1990 में भी कटे हुए तरबूज को लेकर काफी प्रदर्शन होते थे। अब एक बार फिर से यह फिलिस्तीन का राष्ट्रीय प्रतीक बन गया है।
यही नहीं एक साल पहले इजरायल ने सार्वजनिक स्थान पर फिलिस्तीन के झंडे के प्रदर्शन पर रोक लगा दी थी। इसका काफी विरोध हुआ था।
तब एक ऐक्टिविस्ट ग्रुप जाजिम ने तेल अवीव में टैक्सियों पर कटे हुए तरबूज वाले स्टीकर चिपकवा दिए थे। इनके नीचे कैप्शन में लिखा गया था, ‘यह फिलिस्तीन का झंडा नहीं है।’ इस तरह तरबूज फिलिस्तीन के लिए समर्थन का एक प्रतीक बनता गया है।