न खामनेई समर्थक जलीली न ही हिजाब विरोधी पजशिकयान, ईरान में किसी को बहुमत नहीं; जु्म्मे के दिन फिर चुनाव…
ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रहीसी की मौत के बाद ईरान में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव जारी है। शुक्रवार को हुई वोटिंग में किसी भी उम्मीदवार को बहुमत नहीं मिला…
ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रहीसी की मौत के बाद ईरान में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव जारी है।
शुक्रवार को हुई वोटिंग में किसी भी उम्मीदवार को बहुमत नहीं मिला है। किसी भी पक्ष को 50 फीसदी वोट नहीं मिलने के कारण अब अगले शुक्रवार फिर से चुनाव होंगे।
इस चुनाव में सबसे अधिक वोट हासिल करने वाले सईद जलीली और मसूद पाजशकियान के बीच सीधा मुकाबला होगा।
ईरान के आंतरिक मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि 61 मिलियन से अधिक पात्र ईरानियों में से केवल 40 फीसदी लोगों ने मतदान किया, जो देश की क्रांति के बाद से राष्ट्रपति चुनावों में एक नया निचला स्तर है।
हालांकि इस चुनाव से ईरान की नीतियों में कोई बड़ा बदलाव आने की संभावना नहीं है, लेकिन इसके नतीजे 1989 से सत्ता में बैठे ईरान के 85 वर्षीय सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई के उत्तराधिकार को प्रभावित कर सकते हैं।
ईरान के पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी सर्वोच्च नेता के लिए पहली पसंद माना जा रहा था। अब उनकी मौत के बाद यह चुनाव और भी ज्यादा दिलचस्प हो गया है।
हिजाब का मुद्दा रहा सबसे ऊपर
ईरानी मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक इस चुनाव में इस बार नए मुद्दे निकलकर सामने आए हैं। भ्रष्टाटार का मुद्दा, देश की आर्थिक स्थिती, प्रेस की आजादी जैसे मुद्दे छाए रहे, सबसे चौंकाने वाला मुद्दा हिजाब कानून का रहा।
2022 में महीसा अमीनी से शुरू हुआ यह हिजाब विरोधी संघर्ष और उसके बाद सरकार द्वारा किया गया उसका दमन वोटर्स के दिमाग में सबसे बड़ा मुद्दा रहा।
हिजाब ईरान में लंबे समय से ईरान में धार्मिक पहचान का प्रतीक रहा है, ईरान में इस्लामिक क्रांति के बाद से हिजाब को एक राजनीतिक हथियार के रूप इस्तेमाल किया जाता रहा है।
1979 में क्रांति के बाद से ईरान में जब से हिजाब का कानून लागू हु्आ था, तब से महिलाएं अलग-अलग तरह से इशका विरोध करती रही है।
ईरान में 6 करोड़ से ज्यादा वोटर्स में आधे से ज्यादा महिलाएं हैं। महिला वोटर्स पर प्रभाव छोड़ने के लिए कट्टरपंथी छवि के नेता मोहम्मद बाकर कालिबाफ ने कुछ दिन पहले कहा था कि हिजाब कानून पर शुरुआत से सोचने की जरूरत है।
उदारवादी पजशिकयान के आगे बढ़ते ही एकजुट हुए कट्टरपंथी रिवॉल्यूशनरी फोर्स के नेता
ईरानी उपराष्ट्रपति आमिर हुसैन काजीजादेह हाशमी ने बुधवार को ही अपना नाम वापस ले लिया था। अपने बयान में हाशमी ने कहा कि रिवॉल्यूशनरी फोर्स की एकता को बनाए रखने के लिए उन्होंने यह कदम उठाया है।
इसके साथ ही हाशमी ने राष्ट्रपति रेस में शामिल बाकी फोर्स से संबंधित नेताओं से भी आम सहमति बनाने की अपील की थी। उनकी इस अपील के बाद तेहरान के मेयर अली रजा जकानी ने भी राष्ट्रपति चुनाव से अपनी दावेदारी वापस ले ली।
80 लोगों ने किया था राष्ट्रपति पद के लिए आवेदन लड़े केवल 6
ईरानी राष्ट्रपति चुनावों के नियमों के मुताबिक जितने भी प्रत्याशी होते हैं उन सभी के आवेदन को ईरान की गार्जियन काउंसिल के पास भेजा जाता है।
काउंसिल की मंजूरी मिलने के बाद ही कोई भी प्रत्याशी चुनाव में खड़ा हो सकता है।
इस चुनाव में राष्ट्रपति बनने के लिए 80 लोगों ने आवेदन दिया था इनमें से केवल 6 लोगों को चुनाव लड़ने लायक पाया। इस चुनाव में 7 महिलाओं ने भी राष्ट्रपति बनने के लिए आवेदन दिया था लेकिन उन्हें काउंसिल की क्लीन चिट नहीं मिली।
ईरानी चुनाव नियमों के मुताबिक किसी भी उम्मीदवार को 50 फीसदी मत नहीं मिले हैं। ऐसे में सबसे अधिक वोट हासिल करने वाले दो प्रमुख उम्मीदवारों के बीच दोबारा चुनाव होता है।
तो ऐसे में अब जलीली और पजशकियान के बीच अगले जुम्मे यानि की 5 जुलाई को फिर से मुकाबला होगा। चुनावी नतीजों के बाद ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता आयतुल्लाह खामेनई राष्ट्रपति चुनावों के नतीजों को मान्यता देंगे, फिर नए राष्ट्रपति को शपथ ग्रहण करवाएंगे।
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