छत्तीसगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज का सीएम साय पर हमला, बृजमोहन को मंत्री पद से बर्खास्त करें
रायपुर. छत्तीसगढ़ के रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट से विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने पिछले दिनों सोमवार को विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह को उन्होंने इस्तीफा सौंपा।…
रायपुर.
छत्तीसगढ़ के रायपुर दक्षिण विधानसभा सीट से विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने पिछले दिनों सोमवार को विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। विधानसभा अध्यक्ष रमन सिंह को उन्होंने इस्तीफा सौंपा। हालांकि वो मंत्री पद पर छह महीने तक बने रहेंगे। अब इस मामले में विपक्ष ने सवाल उठाया है। पीसीसी चीफ दीपक बैज ने कहा कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय बृजमोहन अग्रवाल को तत्काल बर्खास्त करें? अग्रवाल सांसद का चुनाव जीतने के बाद विधायक पद से इस्तीफा दे दिये हैं।
दीपक बैज ने कहा कि नैतिकता का तकाजा है कि वो विधायक के साथ ही मंत्री पद से भी इस्तीफा दे देते, लेकिन उन्होंने मंत्री पद के लालच में सारी नैतिकताओं को किनारे कर दिया। संवैधानिक प्रावधानों की आड़ लेकर मंत्री पद पर बने रहना सही नहीं है। इससे सिद्ध होता है कि बीजेपी नेता सत्ता और पद लोलुपता होते हैं। सत्ता में बने रहना ही उनके लिये सब कुछ होता है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बैज ने कहा कि कांग्रेस राज्यपाल से भी मांग करती है कि यदि बृजमोहन मंत्री पद से खुद इस्तीफा नहीं देते है या मुख्यमंत्री उनको नहीं हटाते हैं तो राज्यपाल स्वयं उनको मंत्री पद से बर्खास्त कर एक नजीर प्रस्तुत करें। राज्य में संवैधानिक नैतिकता की रक्षा का दायित्व राज्यपाल के पास ही है। राज्य की जनता उनसे अपेक्षा कर रही है कि वो बृजमोहन को तत्काल बर्खास्त करें।
ली चुटकी, कहा- यह सब बीजेपी में ही संभव
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कोई सांसद पद पर तत्काल निर्वाचित व्यक्ति यह कहकर मंत्री पद नहीं छोड़ रहा है कि वह छह महीने तक मंत्री बना रह सकता है। यह सब बीजेपी में ही संभव है। भाजपा और मुख्यमंत्री बताये कि क्या वह भी अग्रवाल के इस निर्णय के साथ है या राजनैतिक सुचिता को देखते हुये मुख्यमंत्री उन्हें बर्खास्त करेंगे।
'बृजमोहन के मामले में स्थितियां अलग'
बैज ने कहा कि कोई व्यक्ति बिना विधानमंडल का सदस्य रहते हुये भी छह महीने तक मंत्री पद धारित कर सकता है। उसे छह महीने के अंदर सदन का सदस्य निर्वाचित होना होता है, लेकिन बृजमोहन के मामले में स्थितियां अलग हैं। उन्होंने सांसद निर्वाचित होने के बाद विधायक पद से इस्तीफा दिया है। यहां पर छह महीने के अंदर सदस्य के निर्वाचन की अपेक्षा वाली बात लागू नहीं होती है। ऐसे में संवैधानिक प्रावधानों की आड़ लेकर मंत्री पद पर बने रहना उचित नहीं है।