सभी पापों से मिलेगी मुक्ति, निर्जला एकादशी पर कर लीजिए ये उपाय, मनोवांछित फल की होगी प्राप्ति
सनातन संस्कृति में हर साल तिथि अनुसार पड़ने वाले कई व्रत ऐसे हैं जिनका महत्व शास्त्रों में भी बहुत अधिक बताया गया है. वैसे तो हिंदू धर्म के हर एक…
सनातन संस्कृति में हर साल तिथि अनुसार पड़ने वाले कई व्रत ऐसे हैं जिनका महत्व शास्त्रों में भी बहुत अधिक बताया गया है. वैसे तो हिंदू धर्म के हर एक व्रत का अपना एक महत्व है. लेकिन, एक व्रत ऐसा है जिसे सालभर के सभी व्रतों में सबसे ताकतवर और फलदाई बताया गया है. सभी पापों का नाश करने वाला यह व्रत हिंदू धर्म का सबसे कठोर व्रत है. इस व्रत में लोग पानी तक नहीं पी पाते है.
सालभर की सभी एकादशियों के व्रतों में भी इसका दर्जा सबसे ऊपर है. इस व्रत का नाम है निर्जला एकादशी. जों हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार 18 जून 2024 को पड़ने वाला है. हर साल निर्जला एकादशी का व्रत ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है.इस व्रत वाले दिन भगवान विष्णु की आराधना का विशेष महत्व होता है. शास्त्रों में भी व्रत का महत्व सबसे ऊपर है. इसलिए यह व्रत नर-नारी दोनों को ही करना चाहिए.
संकल्प लेकर करना चाहिए यह व्रत
पंडित प्रकाश चंद जती बताते हैं कि निर्जला एकादशी का व्रत संकल्प लेकर ही करना चाहिए. इस व्रत वाले दिन नर- नारी को सुबह उठकर स्नान करके सर्वप्रथम भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करनी चाहिए और फिर व्रत संकल्प लेना चाहिए. उन्होंने बताया कि पद्मपुराण के अनुसार निर्जला एकादशी के व्रत से जहां मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है. वहीं निर्जला एकादशी के व्रत रखने से अनेक रोगों से छुटकारा और जीवन के सुख सौभाग्य में भी वृद्धि होती है.पंडित के अनुसार इस व्रत की महिमा है इतनी है कि इसका महत्व सुनकर ही मनुष्य इसका फल पा लेता है.
व्रत को करने वाले जरूर करें यह काम
पंडित प्रकाश चंद्र जती ने बताया कि इस बार निर्जला एकादशी का व्रत 18 जून को तिथि अनुसार पड़ने वाला है. इस व्रत को रखने वालों के लिए उन्होंने कई ऐसे कार्य बताएं हैं जिनसे भगवान विष्णु सबसे अधिक प्रसन्न होते है.उन्होंने बताया कि इस व्रत को करने वालों को इस दिन ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए. मान्यता अनुसार भगवान विष्णु को पीले रंग काफी प्रिय है. इसलिए एकादशी के दिन उन्हें पीले फल, पीले फूल, पीले पकवान का ही भोग लगाएं. सभी व्रत करने वालों को इस दिन अधिक से अधिक दान-पुण्य भी करना चाहिए.
मीठे जल का वितरण रहता है सर्वाधिक पुण्यकारी
मान्यता अनुसार इस व्रत में साधक के लिए जल का सेवन जरूर निषेध रहता है. किंतु, इस दिन मीठे जल का वितरण करना सर्वाधिक पुण्यकारी भी रहता है. इसलिए इस दिन खासकर ठंडा और मीठे चल का वितरण जरूर करना चाहिए. पंडित ने बताया कि यह व्रत सभी पापों का नाश करने वाला और मन में जल संरक्षण की भावना को उजागर करने वाला व्रत है.