आप तो बलवान हैं, पहलवान हैं, पीओके को छीन लाइए; जब अधीर रंजन चौधरी ने अमित शाह को दिया चैलेंज…
लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को चुनौती देते हुए कहा कि आप तो बलवान हो, पहलवान हो, पीओके को छीन कर लाइए।…
लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को चुनौती देते हुए कहा कि आप तो बलवान हो, पहलवान हो, पीओके को छीन कर लाइए। हम यह देखना चाहते हैं, आप करके दिखाइए। पीओके को हासिल करके दिखाइए।
चौधरी ने कहा कि गृह मंत्री को चुनाव से पहले यह करके दिखाना चाहिए। गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी पर पलटवार करते हुए कहा, ”यह बताएं कि पीओके और अक्साई चिन किसके शासन में गए थे?”
अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा में कहा, ”हमारे अमित शाह जी, सदन के अंदर कहते हैं कि हम पीओके को देश में लेकर आएंगे, लेकिन आज पीओके का सीना चीरकर चाइना-पाकिस्तान इकॉनमिक कॉरिडोर बन रहा है। तीन हजार किलोमीटर का रास्ता बन गया है।
आप कहते हैं कि पीओके की ओर से किसी को नुमाइंदा बनाएंगे। हमारा कहने का मतलब यह है कि आप कुछ करके तो दिखाओ। मान लीजिए कांग्रेस कुछ नहीं कर पाई, आप तो बलवान हो, पहलवान हो, तो आप पीओके को छीनकर लाइए, हम यह देखना चाहते हैं। आपने लद्दाख में क्या किया है? यह बताइए। आप अक्साई चिन, पीओके कब लेकर आएंगे?”
अधीर रंजन चौधरी ने निशाना साधते हुए कहा कि सुबह-शाम नेहरू के खिलाफ अनवैरिफाइड बातें मत किया कीजिए। सिर्फ आरोप लगाना सही नहीं होता है।
आज इस तरह का आरोप लगाया जा रहा है जैसे कि पूर्व प्रधानमंत्री अपराधी थे, लेकिन ऐसा नहीं है। वहीं, लोकसभा में उस समय भी तीखी नोकझोंक देखने को मिली जब गृह मंत्री अमित शाह ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सदस्य सौगत राय द्वारा धारा 370 को निरस्त करने, अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण और समान नागरिक संहिता को भाजपा का ‘सांप्रदायिक और विभाजनारी एजेंडा’ बताने पर आपत्ति जताई।
सदन में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2023 और संघ राज्य क्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक, 2023 पर चर्चा के दौरान राय ने भाजपा पर इन विषयों को लेकर निशाना साधा। इस पर अमित शाह ने पलटवार करते हुए कहा, ”राम मंदिर का निर्माण उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार किया जा रहा है, अनुच्छेद-370 को निरस्त करने का उच्चतम न्यायालय ने अनुमोदन किया है। क्या आप यह कहना चाहते हैं कि उच्चतम न्यायालय सांप्रदायिक एजेंडे पर काम कर रहा है?”