वेंडर्स अगर सामान बेचने के लिये बच्चे का इस्तेमाल करते हैं, तो एफआईआर करायें

भोपाल : राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने शुक्रवार को मंत्रालय में बाल अधिकारों के लिये बनाये गये कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन के मद्देनजर विभिन्न विभागों…

वेंडर्स अगर सामान बेचने के लिये बच्चे का इस्तेमाल करते हैं, तो एफआईआर करायें

भोपाल : राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने शुक्रवार को मंत्रालय में बाल अधिकारों के लिये बनाये गये कानूनों के प्रभावी क्रियान्वयन के मद्देनजर विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ समीक्षा की। कानूनगो ने कहा कि प्राय: हर चौराहे पर यह देखा जाता है कि छोटे बच्चे विभिन्न प्रकार की सामग्री बेच रहे हैं। इस पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिये। उन्होंने कहा कि वेंडर्स अगर सामान बेचने के लिये बच्चों का इस्तेमाल करते हैं, तो एफआईआर करायें।

कानूनगो ने कहा कि प्राय: देखा गया है कि विभिन्न चौराहों पर छोटे बच्चों से भिक्षावृत्ति कराई जा रही है। सामाजिक परिस्थितियों, आर्थिक अभाव एवं संसाधनों की कमी के कारण अनेक परिवारों के बच्चे विभिन्न अपराधों में लिप्त पाये जाते हैं। सड़क पर रहने वाले बच्चों का चिन्हांकन और अभिलेखीकरण कर बच्चों की देखभाल और सुरक्षा तथा बच्चों को मुख्य धारा से जोड़कर उनके सर्वांगीण विकास का प्रावधान है। कानूनगो ने कहा कि ऐसे बच्चों, जिनकी आयु 6 वर्ष से कम हो, को पोषण एवं शिक्षा के लिये नजदीकी आँगनवाड़ियों में प्रवेश कराया जाये। स्वास्थ्य जाँच, परामर्श, चिकित्सा उपचार के लिये आयुष्मान योजना से जोड़ने की कार्यवाही स्वास्थ्य विभाग द्वारा की जाये। साथ ही परिवार के सदस्यों को रोजगार एवं लघु उद्योग से जोड़ने में सहायता प्रदान की जाये।

कानूनगो ने बाल कल्याण समिति एवं किशोर न्याय बोर्ड के रिक्त पदों की पूर्ति के लिये पूल बनाने का सुझाव दिया। उन्होंने बाल आशीर्वाद योजना के तहत ऑफ्टर केयर के बच्चों को मेडिकल इन्टरेंस की भी नि:शुल्क कोचिंग कराई जाने की बात कही। इसके अतिरिक्त ऑफ्टर केयर के बच्चों की फॉलोअप रिपोर्ट भी अनिवार्य रूप से दिये जाने के निर्देश दिये। कानूनगो ने स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों को शिक्षकों को पॉक्सो की ट्रेनिंग, मदरसों की मेपिंग कराने तथा ऐसे बच्चों, जो लगातार 30 दिनों तक स्कूल में उपस्थित नहीं हुए, तो संबंधित प्राचार्य अनिवार्य रूप से श्रम विभाग के नोडल अधिकारी को जानकारी उपलब्ध करायें।

बैठक में प्रमुख सचिव महिला-बाल विकास संजय शुक्ल, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा विवेक पोरवाल, आयुक्त महिला-बाल विकास सूफिया फारुकी वली, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य दिव्या गुप्ता, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष द्रविन्द्र मोरे, सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा तथा सामाजिक न्याय, चिकित्सा, स्कूल शिक्षा, ग्रामीण विकास, श्रम, म.प्र. राज्य लीगल सर्विस अथॉरिटी गृह आदि विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।