जब पीएम मोदी ने किया इमरान खान से बात करने से इनकार, डर से कांपने लगा था पाकिस्तान…
बात 2019 की शुरुआत की है। तब भारत को मिली पुलवामा हमले की चोट एकदम ताजा थी। इसके तार पाकिस्तान से जुड़े। उस दौरान भारत की आक्रामक कूटनीति ने पाकिस्तान को…
बात 2019 की शुरुआत की है। तब भारत को मिली पुलवामा हमले की चोट एकदम ताजा थी।
इसके तार पाकिस्तान से जुड़े। उस दौरान भारत की आक्रामक कूटनीति ने पाकिस्तान को थर-थर कांपने पर मजबूर कर दिया था।
खबरें थीं कि भारत की तरफ से पाकिस्तान की ओर 9 मिसाइलें तैयार कर ली गई थीं और इस बात से तब के वजीर-ए-आजम इमरान खान भी घबरा गए थे।
भारत के तत्कालीन उच्चायुक्त अजय बिसारिया ने किताब Anger Management: The Troubled Diplomatic Relationship Between India and Pakistan में कई अहम बातों का खुलासा किया है।
पीएम मोदी से बात करना चाहते थे इमरान खान
दरअसल, यह कहानी 27 फरवरी 2019 की है। तब पाकिस्तान ने भारतीय वायुसेना में विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान को पकड़ लिया था।
हालांकि, भारत की रणनीति के चलते महज दो दिनों में ही उन्हें रिहा भी कर दिया गया था। बिसारिया ने अपनी किताब में बताया है कि उन्हें देर रात पाकिस्तान उच्चायुक्त सुहैल महमूद का फोन आया था, जो कह र हे थे खान अब मोदी से बात करना चाहते हैं।
साल 2019 की एक रैली में पीएम मोदी ने भी बड़ी कार्रवाई की तैयारी के संकेत दिए थे। उनका कहना था कि पाकिस्तान ने पायलट को रिहा कर दिया, नहीं तो वो रात कत्ल की रात होती।
इसके बाद बिसारिया ने दिल्ली से संपर्क साधा और महमूद को बताया कि पीएम मोदी अभी बात करने के लिए उपलब्ध नहीं है। साथ ही यह भी बता दिया कि कोई भी जरूरी बात को उच्चायुक्त को बता सकते हैं।
हालांकि, इसके बाद महमूद ने बिसारिया को दोबारा फोन नहीं किया। खास बात है कि पीएम मोदी ने खुद इसे बाद में ‘कत्ल की रात’ बताया था।
अगले ही दिन पाकिस्तान की संसद में बवाल
28 फरवरी की सुबह खान ने संसद में वर्धमान को छोड़ने का ऐलान कर दिया। साथ ही खान ने यह भी बताया कि वह पीएम मोदी से बात करने की कोशिश कर रहे थे।
तब अमेरिका और ब्रिटेन समेत पश्चिम के कई राजनयिकों ने इस्लामाबाद को पहले ही बताया था कि अगर वर्धमान को कुछ भी होता, तो भारत की धमकी कितनी गंभीर थी।
किताब में बताया गया है कि पाकिस्तान वाकई डरा हुआ था और उसने तीन बार इन राजनयिकों को तलब किया था।
पाकिस्तान को होश में आना पड़ा
खबर है कि इनमें से ही कुछ राजनयिकों ने देर रात भारत के विदेश सचिव को फोन लगाया और बताया कि पाकिस्तान वर्धमान को छोड़ने तैयार है।
इतना ही नहीं बताया गया कि आतंकवाद के मुद्दे पर भी ऐक्शन लेने के लिए तैयार है। तब भारतीय अधिकारी को जानकारी दी गई कि खान संसद में रिहाई का ऐलान कर देंगे।
फिर देर रात बजा फोन
कुछ महीनों के बाद देर रात करीब 2 बजे बिसारिया को फिर फोन आया। इस बार दूसरी तरफ ISI के करीबी एक संपर्क सूत्र था।
उन्होंने भारतीय उच्चायुक्त को अल कायदा की हमले की प्लानिंग के बारे में अलर्ट किया था, जिसे आतंकवादी संगठन जाकिर मूसा की हत्या के बदले के रूप में कर रहा था।
खबर है कि तब ISI सैन्य स्तर पर बातचीत के साथ यह भी चाहता था कि उच्चायुक्त इसे भारत सरकार तक भी पहुंचाएं।
बिसारिया बताते हैं कि यह इनपुट या तो इस बात का संकेत था कि पाकिस्तान फिर पुलवामा जैसा हमला नहीं चाहता या बाजवा तब जून में हुए SCO शिखर सम्मेलन से पहले माहौल सुधारने की तैयारी कर रहे थे।
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