निजी विद्यालय फीस स्ट्रक्चर बताने को तैयार नहीं

स्कूल शिक्षा विभाग को बढ़ानी पड़ी डाक्यूमेंट अपलोड करने की तारीख, अब 24 तक कर पाएंगे जमा भोपाल। निजी विद्यालयों द्वारा विद्यार्थियों के अभिभावकों से वसूली जाने वाली फीस के…

निजी विद्यालय फीस स्ट्रक्चर बताने को तैयार नहीं

स्कूल शिक्षा विभाग को बढ़ानी पड़ी डाक्यूमेंट अपलोड करने की तारीख, अब 24 तक कर पाएंगे जमा

भोपाल। निजी विद्यालयों द्वारा विद्यार्थियों के अभिभावकों से वसूली जाने वाली फीस के स्ट्रक्चर का ब्यौरा देने में आनाकानी की जा रही है। इसके साथ ही इसके लिए शासन से समय की भी मांग की जा रही है। इसके चलते स्कूल शिक्षा विभाग ने 15 दिन का और समय स्कूल संचालकों को दिया है और 24 जून तक पोर्टल पर फीस स्ट्रक्चर और अन्य जानकारी अपलोड करने के लिए कहा है। कलेक्टरों, संभागीय संयुक्त संचालकों और जिला शिक्षा अधिकारियों से कहा गया है कि अपने जिले और संभाग के निजी विद्यालयों से इसका पालन समय सीमा में कराएं।
लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा इसको लेकर पूर्व में जारी निर्देश में पोर्टल पर जानकारी अपलोड करने के लिए 8 जून का समय तय किया गया था। यह समय सीमा शनिवार को खत्म होने के पहले सात जून को स्कूल शिक्षा विभाग ने इसकी समय सीमा 24 जून करने के निर्देश दिए हैं। विभाग ने प्रदेश के सभी जिलों में मध्य प्रदेश निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) अधिनियम 2018 और नियम 2020 के प्रावधानों का पालन सख्ती से कराने को कहा है।

फर्जी व डुप्लीकेट पुस्तकों संबंधी अभियान पर कार्रवाई नहीं
स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी निर्देश में यह भी कहा गया है कि फर्जी व डुप्लीकेट आईएसबीएन पाठ्यपुस्तकों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है। इसे ठीक करने के लिए तीस जून 2024 तक विशेष अभियान चलाकर जांच कराएं और चिन्हित करें कि कितने विद्यालयों द्वारा किन कारणों से इस तरह की गड़बड़ी की गई है? इस तरह की गड़बड़ी करने वाले प्रकाशक और बुक सेलर्स के विरुद्ध कार्यवाही भी की जाए। इसकी जांच रिपोर्ट भी कलेक्टरों को देने के लिए कहा गया है। इसके विपरीत स्थिति यह है कि कुछ जिलों को छोडक़र बाकी जिलों के कलेक्टर इस मामले में कार्रवाई करने को लेकर गंभीर नहीं हैं। जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना की 11 निजी विद्यालयों पर 81.30 करोड़ की अतिरिक्त फीस वसूलने का खुलासा करने और 240 करोड़ की नियम विरुद्ध आय अर्जित करने का खुलासा करने के बाद शासन ने सभी जिलों के कलेक्टरों को इस मामले में कार्रवाई करने के लिए कहा था लेकिन शिक्षा माफिया के सामने अधिकांश जिलों के कलेक्टरों ने घुटने टेक रखे हैं।