हाई स्पीड एक्सप्रेस कॉरिडोर के नाम पर जनता की कटेगी जेब

बगैर टोल टैक्स चुकाए नहीं चल पाएगा वाहन भोपाल । प्रदेश में जल्द ही जब आप सडक़ पर चल पाएंगे, जब आप टोल टैक्स का भुगतान कर देंगे। दरअसल इस…

हाई स्पीड एक्सप्रेस कॉरिडोर के नाम पर जनता की कटेगी जेब

बगैर टोल टैक्स चुकाए नहीं चल पाएगा वाहन

भोपाल । प्रदेश में जल्द ही जब आप सडक़ पर चल पाएंगे, जब आप टोल टैक्स का भुगतान कर देंगे। दरअसल इस तरह का प्रावधान सरकार ने उन एक्सप्रेस वे के लिए किया है, जिन्हें हाई स्पीड एक्सप्रेस कॉरिडोर के नाम से बनाया जा रहा है। इसके लिए केन्द्र सरकार ने 70 हजार करोड़ रुपए की योजना बनाई है। यह राशि मप्र में बनने वाले कॉरिडोर पर खर्च की जाएगी। जिसके तहत प्रदेश में करीब तीन हजार किमी लंबे मार्गों पर यात्रा के समय में जरूर बचत होगी। इससे समय में करीब 50 फीसदी की बचत होगी। ज्यादातर कॉरीडोर व एक्सप्रेस वे एक्सेस कंट्रोल्ड हैं। इसका मतलब है कि इन पर केवल वे ही वाहन चल सकेंगे जो टोल टैक्स चुकाएंगे। वहीं ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे के आसपास हरियाली विकसित की जाएगी। बड़ी संख्या में पौधे लगाए जाएंगे। खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। कोशिश यह रहेगी कि इनके आसपास आबादी का विस्तार ज्यादा न हो सके।
दरअसल प्रदेश में चार से आठ लेन तक मार्ग बनाए जा रहे हैं। भारतमाला परियोजना के पहले फेज में ही प्रदेश के लिए 3063 किमी लंबाई के हाई स्पीड एक्सप्रेस कॉरिडोर को स्वीकृति दी जा चुकी है। जिस पर कुल  70175 करोड़ रुपए का खर्च अनुमानित है। इसके तहत  भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अब तक 2017 किमी लंबाई के काम दे चुका है। जिन पर काम भी शुरु हो चुका है। इन कामों पर 47047 करोड़ की लागत आ रही है। इसके अब तक करीब एक हजार किमी लंबाई की सडक़ें बन चुकी हैं। एक्सप्रेस कॉरिडोर का निर्माण पूरा होने पर यात्रा का समय आधा रह सकता है। यही नहीं इन नए एक्सप्रेस वे पर चलने वाले वाहनों के ईधन खर्च में भी बच होगी। इसकी वजह है वाहन चालकों को पूरे मार्ग पर कहीं भी भीड़ भाड़ या अन्य तरह के अवरोधों का सामना नहीं करना पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि केंद्र की मोदी सरकार ने सरकार ने अक्टूबर, 2017 में भारतमाला परियोजना के पहले चरण को मंजूरी दी थी। इसमें देश भर में 34800 किमी लंबाई के नेशनल हाइवे कॉरिडोर का निर्माण करना तय किया था। खास बात यह है कि यह इकोनॉमिक के साथ ही नेशनल, इंटर कॉरिडोर रहेंगे। इसके अलावा 25 ग्रीनफील्ड हाई स्पीड एक्सेस कंट्रोल्ड कॉरिडोर भी बनाए जाएंगे। मप्र में बनने वाले कॉरिडोर से दूसरे राज्यों से कनेक्टिविटी सुधरेगी। पहला चरण पूरा करने के लिए 2022 की समय सीमा तय की गई थी। हालांकि, बाद में इसके लिए बाद में 2027- 28 तक की अवधि तय कर दी गई। इसकी वजह से अब असकी अनुमानित लागत में भी वृद्धि हो गई है।

 

मुंबई से दिल्ली का सफर 12 घंटे में

एक्सप्रेस-वे से मुंबई से दिल्ली के सफर में 12 से 13 घंटे लगेंगे। अभी करीब 22 घंटे लग जाते हैं। खास बात यह है कि रतलाम से मुंबई या दिल्ली के लिए समान रूप से छह से सात घंटे का समय लगेगा। 120 किमी की स्पीड से वाहन इस एक्सप्रेस वे पर चलेंगे और टू-व्हीलर को प्रवेश नहीं दिया जाएगा। इससे ज्यादा की स्पीड पर चालान कटेगा। स्पीड पर नियंत्रण के लिए पूरे मार्ग पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। एक्सप्रेस वे पर दिल्ली व मुंबई के मध्य रतलाम के होने से इसका सर्वाधिक लाभ मिलेगा। खास बात यह है कि रतलाम से धामनोद के समीप होकर व जावरा के भूतेड़ा के समीप इंटरचेंज होने से दो स्थानों से वाहनों की एक्सप्रेस वे पर आवाजाही हो सकेगी।

 

यहां जारी है काम

प्रदेश में वर्तमान में जिन एक्सप्रेस कॉरिडोर का काम चल रहा है, उनमें  कोटा-इंदौर एक्सेस कंट्रोल्ड कॉरीडोर का निर्माण चल रहा है, यह 135 किमी लंबा रहेगा। इंदौर-हैदराबाद ग्रीनफील्ड एक्सेस कट्रोल्ड एक्सप्रेस वे का कुछ कार्य पूरा हो चुका है, इसकी लंबाई 525 किमी है। इसी तरह से देश के सबसे लंबे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे का कुछ हिस्सा मप्र से गुजरेगा। इसका हिस्सा जिन जिलों से होकर निकल रहा  है उनमें मदसौर, झाबुआ व रतलाम शामिल है।  इसी तरह से कोटा-इटावा एक्सप्रेस वे भी मप्र से होकर बनेगा, इसकी कुल लंबाई 412 किमी है, इसका कार्य जल्द शुरू होगा।